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आधुनिक राजनीति विज्ञान के अनुसार राजनीति विज्ञान का क्षेत्र

आधुनिक राजनीति विज्ञान के अनुसार राजनीति विज्ञान का क्षेत्र
आधुनिक राजनीति विज्ञान के अनुसार राजनीति विज्ञान का क्षेत्र

आधुनिक राजनीति विज्ञान के अनुसार उसके क्षेत्र की व्याख्या कीजिये।

आधुनिक राजनीति विज्ञान के अनुसार राजनीति विज्ञान का क्षेत्र

आधुनिक युग में राजनीति विज्ञान का क्षेत्र अत्यधिक विकसित है। शक्ति व प्रभाव के सन्दर्भ में राजनीति की सर्वव्यापकता ने उसे हर तरफ पहुंचा दिया है और न केवल सामाजिक बल्कि व्यक्तिगत जीवन के भी लगभग सभी पक्ष राजनीतिक व्यवस्था के अधीन है। राजनीतिक विज्ञान के क्षेत्र को राज्यप्रधान व राज्येतर सन्दर्भों में भलीभांति समझा जा सकता है। राज्यप्रधान संदर्भ में राज्य की अवधारणाओं-समाजवाद, लोकतंत्र इत्यादि, सरकार या संगठन संविधान वर्णित व वास्तविक व्यवहार संबंधी, सरकारी पद व संस्थाओं के पारस्परिक संबंध, निर्वाचन, व्यवस्थापिका व न्यायपालिका के संगठनात्मक व प्रयोगात्मक पक्ष तथा राज्य की व्याख्या से सम्बंधित राजनीतिक विचारधारा व अवधारणाएँ, उत्पत्ति के, राज्य क्रियाशीलता के सिद्धान्त, राज्य परक विचारधाराएँ स्वतंत्रता, समानता, अधिकार इत्यादि। राज्येत्तर सन्दर्भ में राजनीति की प्रक्रियात्मक वास्तविकता राजनीति व्यवस्था के विभिन्न दृष्टिकोण, राज्येत्तर संस्थाएँ जैसे राजनीतिक दल, दबाव व हित समूह गैर राज्य प्रक्रियाएँ व उनका विस्तार, अन्तर्राष्ट्रीय राजनीतिक वास्तविकताएँ तथा जटिलताएँ इत्यादि आती हैं। प्रतिनिधित्व के सिद्धान्तों व विधियों को भी इसी सन्दर्भ में समझा जा सकता है।

आधुनिक दृष्टिकोण के अनुसार राजनीति विज्ञान क्षेत्र को निम्न बिंदुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है-

1. राजनीति विज्ञान समस्याओं एवं संघर्षो का अध्ययन- आधुनिक राजनीति शास्त्री यथा प्रोफेसर डायक एवम् पीटर ओडगार्ड राजनीति शास्त्र को सार्वजनिक समस्याओं. व संघर्षों का अध्ययन क्षेत्र में शामिल करते है। उनके मत में मूल्यों एवम् साधनों की में सीमितता के कारण उनके वितरण की समस्या पैदा होने से तनाव व राजनीति का प्रारंभ हो जाता है। वह राजनीतिक दलों के अतिरिक्त विभिन्न व्यक्तियों व समूहों में तक में फैल जाती हैं।

2. विभिन्न अवधारणाओं का अध्ययन- आधुनिक राजनीति विज्ञान मुख्यतः शक्ति, प्रभाव सत्ता, नियंत्रण, निर्णय प्रक्रिया आदि का वैज्ञानिक अध्ययन करता है। इस दृष्टिकोण के अनुसार ये ऐसी अवधारणाएँ है जिनकी पृष्ठभूमि में ही राजनीतिक संस्थाएँ कार्य करती है। राजनीतिशास्त्री इन्हीं अवधारणाओं के परिप्रेक्ष्य में राजनीतिक संस्थाओं का अध्ययन करते है। इसी कारण इस प्रकार के अध्ययन को सत्ताओं का अनौपचारिक अध्ययन कहा गया है।

3. मानव के राजनीतिक व्यवहार का अध्ययन- आधुनिक दृष्टिकोण मानव के राजनीतिक व्यवहार के अध्ययन पर बल देता है। मानव व्यवहार को प्रभावित करने बल्कि गैर-राजनीतिक तत्वों का भी अध्ययन करता है उसकी मान्यता है कि मानव व्यवहार को यथार्थ रूप में समझने के लिये उन सभी गैर राजनीतिक भावनाओं, मान्यताओं एवम् शक्तियों के अध्ययन को सम्मिलित किया जाये जो मानव के राजनीतिक व्यवहार को प्रभावित करते हैं।

4. सार्वजनिक सहमति व सामान्य अभिमत का अध्ययन- कुछ विद्वानों के मत में राजनीति विज्ञान सार्वजनिक समस्याओं पर सहमति व सामान्य अभिमत का अध्ययन है। उनके विचार में संघर्ष के लिए ही नहीं वरन् सामान्य सहमति व सामान्य अभिमत को प्रभावित करने के लिये होता है। इसीलिये एडवर्ड वेनफील्ड ने कहा है कि ‘किसी मसलें को संघर्षमय बनाने अथवा सुलझाने वाली गतिविधियों (समझौता वार्ता, तर्क-वितर्क, विचार विमर्ष शक्ति प्रयोग आदि) सभी राजनीति का अंग है।”

उपरोक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि आधुनिक दृष्टिकोण के विद्धानों में राजनीति विज्ञान के क्षेत्र के संबंध में कुछ मतभेद होने के बावजूद कुछ आधारभूत बातों पर सहमति है, जैसे सभी की मान्यता है कि राजनीति विज्ञान का अध्ययन क्षेत्र यथार्थवादी हो, इसके अध्ययन में अतंर-अनुशासनात्मक दृष्टिकोण व वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग होना चाहिए। हालांकि यह सत्य है कि आधुनिक राजनीतिशात्रियों का राजनीति विज्ञान में वैज्ञानिक प्रामाणिकता व सुनिश्चितता का दावा अभी पूर्ण नही हुआ है। इसी कारण पिनॉक एवं स्मिथ ने आधुनिक दृष्टिकोण में कुछ संशोधन को स्वीकार करते हुए राजनीति विज्ञान के अध्ययन में व्यावहारिक राजनीति के अध्ययन के साथ ही राजनीतिक संस्थाओं के. संगठनात्मक एवं मूल्यात्मक अध्ययन को उचित स्थान देने की बात कही है।

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Anjali Yadav

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