आधुनिक शिक्षा में तकनीकी की क्या भूमिका है? कठोर एवं कोमल उपागमों में अन्तर कीजिए। शैक्षिक तकनीकी का भारत में क्या भविष्य है ? विवेचना कीजिए।
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आधुनिक शिक्षा में शैक्षिक तकनीकी की भूमिका (Role of Educational Technology in Modern Education)
आधुनिक शिक्षण प्रक्रिया में शैक्षिक तकनीकी की भूमिका और योगदान को निम्नानुसार स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) शिक्षा के लक्ष्यों और उद्देश्यों के निर्धारम में वर्तमान समय में शैक्षिक तकनीकी का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
(2) इन लक्ष्यों और उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु शिक्षा के समस्त स्तरों पर उचित पाठ्यक्रमों का निर्धारण और उनकी रचना में भी शैक्षिक तकनीकी का योगदान है।
(3) शैक्षिक तकनीकी स्कूलों / कॉलेजों में उपलब्ध संसाधनों के उचित प्रबन्धन और उनके उपयोग में पर्याप्त सहायता प्रदान करती है।
(4) शैक्षिक तकनीकी छात्रों / शिक्षार्थियों को अधिगम सम्बन्धी अनुभवों को उचित रूप में अर्जित करने में सहायता देती है।
(5) शैक्षिक तकनीकी शैक्षिक प्रबन्धन और प्रशासन से सम्बन्धित समस्याओं को हल करने में भी सहायता देती है।
(6) यह शिक्षण सिद्धान्तों के प्रतिपादन, शिक्षण नीतियों के चयन और नये शिक्षण प्रतिमानों के विकास में सहायता प्रदान करती है।
(7) शैक्षिक तकनीकी निर्धारित उद्देश्यों, निर्मित पाठ्यक्रमों तथा उपलब्ध संसाधनों के उचित प्रबन्धन तथा उपयोग में भी विशेष रूप से सहायता करती है।
(8) यह शिक्षा के क्षेत्र में विशेष अध्ययनों, नवीन प्रयोगों तथा अनुसंधान कार्यों के लिए समुचित अवसर सुलभ कराती है और सहायता भी प्रदान करती है।
(9) शैक्षिक तकनीकी शैक्षिक मूल्यांकन को उचित प्रविधियों का चयन करने, निर्माण, विकास तथा समुचित उपयोग करने पर बल देती है। फलस्वरूप यह सम्पूर्ण शिक्षा प्रक्रिया पर उचित नियंत्रण रखते हुए उसे उचित प्रतिपुष्टि होती है।
(10) यह शैक्षिक दृष्टि से उचित श्रव्य-दृश्य सामग्रियों की रचना, विकास, चयन तथा उपयोग पर विशेष रूप से ध्यान देती है।
(11) शैक्षिक तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण को प्रभावशाली बनाने के लिए सूक्ष्म शिक्षण/संरचित शिक्षण, टोली-शिक्षण, व्यक्तिगत अनुदेशन और कोमल / मृदुल तकनीकी का प्रयोग करने पर बल देती है।
(12) शैक्षिक तकनीकी छात्रों की वैयक्तिक विभिन्नताओं, समस्यात्मक बालकों, मन्द-बुद्धि बच्चे, अन्धे, मूक बधिर तथा विकलांग बालकों की समस्याओं को हल करने में पर्याप्त रूप से सहायता प्रदान करती है।
(13) यह अपने शिक्षण सिद्धान्तों, शिक्षण नीतियों, प्रविधियों और प्रतिमानों के प्रयोग द्वारा शिक्षकों को अपने शिक्षण को प्रभावपूर्ण बनाने में सहयोग देती है।
(14) यह जनसाधारण और दुर्गम तथा सुदूर क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों के लिए शिक्षा उपलब्ध कराने में सक्षम है। शैक्षिक तकनीकी दूरस्थ शिक्षा के विकास में विशेष भूमिका निभाती है।
शैक्षिक तकनीकी शिक्षा के प्रत्येक पहलू को तथा शिक्षा से सम्बद्ध प्रत्येक व्यक्ति के किसी न किसी रूप में सहायक है। यह शिक्षक, शिक्षार्थी, प्रशासक, परीक्षक, पाठ्यक्रम, निर्माता, शिक्षा योजना निर्माता और शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया से संक्षिप्त सभी लोगों को अपना कार्य करने और कार्य में कुशलता प्राप्त करने में सहयोग प्रदान करती है। यह शैक्षिक प्रशासन और प्रबन्ध की समस्याओं के अध्ययन के लिए वैज्ञानिक ढंग को प्रतिपादित करती है। उच्च शिक्षा के स्तर को उन्नत करने और विभिन्न विषयों के समन्वय में भी सहायक है।
कठोर और कोमल उपागमों में अन्तर (Difference between Hardware and Software Technology)
कठोर या हार्डवेयर तकनीकी में मशीनों का उपयोग पाठ्य वस्तु के प्रस्तुतीकरण को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए किया जाता है, जबकि कोमल तकनीकी का सम्बन्ध शिक्षण सिद्धान्तों, उद्देश्यों को व्यावहारिक रूप से लिखने, शिक्षण की प्रविधियों, कार्य-विश्लेषण छात्रों के प्रारम्भिक व्यवहार का परीक्षण करने, अनुदेशन प्रणाली के पुनर्बलन, पृष्ठ-पोषण और मूल्यांकन से होता है। कोमल तकनीकी को अदा, प्रक्रिया और प्रदा तीनों ही पक्षों के विकास पर बल दिया जाता है। कठोर तकनीकी का तात्पर्य शिक्षण-अधिगम में मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों का उपयोग करने से है।
भारत में शैक्षिक तकनीकी का भविष्य (Future of Educational Technology in India)
सन् 1966 में सबसे पहले भारत में भारतीय अभिक्रमिक संगठन (IAPL) की स्थापना की गई। इस संगठन ने शैक्षिक तकनीकी को शिक्षण संस्थाओं में प्रसारित एवं प्रचालित करने का प्रयास प्रारम्भ किया। इसके पश्चात् 1970 में NCERT ने Centre for Educational Technology का गठन किया। यह शिक्षण तकनीकी के ज्ञान के प्रसार में शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाने में प्रयत्नशील है।
इसके पश्चात् 1973 में शैक्षिक तकनीकी केन्द्र की स्थापना हुई। इसे UNDP की सहायता प्राप्त हुई। इसमें उपकरण व विशेषज्ञ भी शामिल हैं। सन् 1980 के बाद राज्य सरकारों को पाँच वर्ष तक शैक्षिक तकनीकी कक्षों की स्थापना और सम्बन्धित जानकारी, उपकरण एवं कार्यक्रम में पूर्ण सहायता दी। अब इनका उत्तरदायित्व राज्य सरकारों पर है। अब तक 21 राज्यों में इनके केन्द्र हैं।
वर्तमान समय में इन्सेट- A तथा इन्सेट-B के प्रक्षेपण से दूरदर्शन केन्द्रों पर शैक्षिक तकनीकी केन्द्रों द्वारा कई प्रकार की प्रवृत्तियाँ चलने लगी हैं। शैक्षिक चलचित्रों का निर्माण बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। सूक्ष्म अध्ययन की लोकप्रियता के सन्दर्भ में टी. वी., कम्प्यूटर, वीडियो रिकार्डिंग आदि का प्रयोग बढ़ा है। निकट भविष्य में भारत शैक्षिक तकनीकी की दिशा में कई नवाचार के प्रयोग करेगा। कई नवाचारों; जैसे क्लास आदि का प्रयोग हो रहा है और भविष्य में इसके और विकसित होने की सम्भावना है।
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