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डिजिटल शिक्षा से बच्चों को लाभ एंव हानियाँ

डिजिटल शिक्षा से बच्चों को लाभ एंव हानियाँ
डिजिटल शिक्षा से बच्चों को लाभ एंव हानियाँ

डिजिटल शिक्षा किस प्रकार छात्रों के लिए लाभदायक हैं?

वर्तमान समय में शिक्षा का डिजिटल प्रारूप बहुत अधिक प्रचलित और विस्तृत हो गया। वह दिन गुजर गए है जब कक्षा में प्रशिक्षण पाठ्य पुस्तकों द्वारा कराया जाता था। शिक्षक अपनी बातों को समझाने के लिए ब्लैकबोर्ड का इस्तेमाल करते थे और छात्र उन यादों को नोट्स के रूप में अपने पास लिखकर रखते थे। सीखने के लिए छात्र अध्यापन और पारस्परिक रूप से कार्य आधारित तरीकों के लिए शिक्षकों पर आधारित थे और लिखने और याद करने पर अधिक ध्यान केन्द्रित करते थे यद्यपि यह अध्यापन का तरीका अब पुराना पड़ चुका है। आजकल डिजिटल शिक्षण जैसे पी.पी.टी., वीडियों  प्रस्तुतियों, ई-लर्निंग विधियों, अभ्यास सम्बन्धी डेमो, ऑन लाइन प्रशिक्षण और अन्य डिजिटल पद्धतियों या प्लेटफार्मों के उपयोग के साथ कक्षा में शिक्षण अत्यधिक संवादात्मक हो गया है।

डिजिटल शिक्षा से बच्चों को लाभ

डिजिटल शिक्षा के निम्नांकित लाभ है-

(1) संवादात्मक :- डिजिटल शिक्षा के जरिए कक्षाओं का शिक्षण अधिक मजेदार और संवादात्मक बन गया है। बच्चे इस पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। वह न केवल इसे सून रहे हैं बल्कि इसे स्क्रीन पर देख भी रहे है जिससे उनके सीखने की क्षमता में काफी इजाफा हो रहा है। ध्वनियों और दृश्यों के माध्यम से बच्चे आसानी से सीख रहे हैं।

(2) विवरणों पर ध्यान देना:- संवादात्मक ऑन-लाइन प्रस्तुतीकरण या संवादात्मक स्क्रीन के माध्यम से व्यावहारिक सत्र में शैक्षणिक सामग्री छात्रों को विवरणों पर और अधिक ध्यान देने में मदद करती है जिससे वे अपनी गतिविधियों को अपने दम से पूरा करने में सक्षम होते हैं।

( 3 ) गृहकार्य को शीघ्र पूर्ण करना:- पेन और पेन्सिल की बजाए टैब, लैपटॉप या नोट पेड के उपयोग की सहायता से बच्चे अपने कार्यों को कम समय में पूरा कर लेते हैं।

(4) बालक के शब्दकोष का विस्तार:- सक्रिय ऑन-लाइन स्क्रीन की सहायता से छात्र अपनी भाषा कौशल में सुधार कर लेते हैं। ई-बुक से या ऑन-लाइन अध्ययन में सामग्री के जरिए वे नए शब्द सीखते हैं और अपनी शब्दावली का विस्तार करते हैं।

(5) स्वक्षमता से अधिगमः- कई बार एक छात्र अपने शिक्षक से कक्षा में प्रशिक्षण के दौरान प्रश्न पूछने से झिझकता है लेकिन डिजिटल शिक्षा के माध्यम से भले ही वह एक बार में कुछ भी न समझ पाए फिर भी वह अपनी दुविधा को मिटाने के लिए रिकोर्डिंग सत्र में शामिल हो सकते हैं। प्रौद्योगिकी एक छात्र को उनकी योग्यता के अनुसार सीखने में मदद करती है।

(6) डिजिटल शिक्षा समय सीमा से परे:- डिजिटल शिक्षा के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यह उपयोगकर्ता के अनुकूल है। आप कहीं भी हो आप अपने पाठ्यक्रम को बहुत आसानी से पढ़ सकते हैं। आप यात्रा के दौरान भी सीख सकते हैं। यहाँ तक कि किसी कारणवश अगर आप कुछ दिन कक्षा में उपस्थित नहीं हो पाए है फिर भी आप स्कूल की वेबसाइट से कक्षा की सामग्री और फाइल डाउनलोड कर सकते हैं।

(7) अपने आप सीखे:- ऑन-लाइन शिक्षा प्रणाली में छात्र की अधिगम की प्रक्रिया स्वप्रेरित होती है, आजकल ऑन-लाइन अध्ययन सामग्री आसानी से उपलब्ध है। यहाँ तक कि अगर पूरी शिक्षा प्रणाली डिजिटल रूप में नहीं है फिर भी छात्र अपनी क्षमताओं के आधार पर डिजिटल सामग्री का लाभ उठा सकते हैं। छात्र शिक्षक के बिना भी अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए विभिन्न विषयों के विशेष ऑन-लाइन अध्ययन के अनुखंडों का उपयोग कर सकते हैं।

(8) बाह्य मार्गदर्शन:- ऑन-लाइन शिक्षा के साथ साथ छात्र अपने कैरियर को बनाने के लिए बाह्य मार्गदर्शन भी प्राप्त कर सकते हैं।

डिजिटल शिक्षा की हानियाँ

डिजिटल शिक्षा भी पूर्णतः दोष मुक्त नहीं है इसकी प्रमुख हानियों का विवरण इस प्रकार है-

(अ) महंगी:- डिजिटल शिक्षा महंगी है। यही कारण है कि हम देखते है कि अधिकांश अन्तर्राष्ट्रीय स्कूल और विद्यालय जिनमें शिक्षा डिजिटल है, नियमित स्कूलों की तुलना में अत्यधिक महंगे है। केवल

(ब) आधारभूत संरचना:- डिजिटल शिक्षा का मतलब यह है कि आपको न स्कूल में बल्कि घर में भी विशेष रूप से नेट की आवश्यकता होती है।

(स) निश्चित समय सारिणी नहीं:- ऑन-लाइन सीखने के लिए बेहतर प्रबंधन और कठोर योजनाओं की आवश्यकता होती है जबकि पारम्परिक कक्षा प्रशिक्षण में सब कुछ एक निश्चित समय सारिणी के अनुसार होता है।

(द) रचनात्मक क्षमताओं की कमी:- इंटरनेट पर सभी जवाब आसानी से प्राप्त हो जाते हैं जिससे बच्चों की रचनात्मक क्षमता में कमी आती है।

(य) अध्ययन में आलसी दृष्टिकोण:- डिजिटल अध्ययन से अध्ययन की आदतें खराब हो जाती है जिससे बच्चों में आलसी दृष्टिकोण का विकास हो सकता है। डिजिटल शिक्षा बच्चों के पढ़ाई के बुनियादी तरीके को भुला सकती है। यहाँ तक कि बच्चों को साधारण होमवर्क के लिए भी नेट की आवश्यकता पढ़ती है।

(र) अध्ययन में भटकाव:- कमी-कमी ऑन-लाइन अध्ययन से बच्चों में भटकाव का अनुसरण होने लगता है। ऑन-लाइन होने का मतलब यह नहीं है कि आपका बच्चा केवल अध्ययन सामग्रियों को नेट पर तलाश करता रहे। इसमें बहुत सारी चीजें ऐसी है जो बच्चों के लिए अच्छी नहीं है वह उन तक पहुँच सकती है।

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About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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