परम्परागत राजनीति विज्ञान के अनुसार राजनीति विज्ञान के क्षेत्र की व्याख्या कीजिये।
परम्परागत राजनीति विज्ञान के अनुसार राजनीति विज्ञान का क्षेत्र
परम्परागत राजनीति शास्त्रियों एवम् यूनेस्को के दृष्टिकोण के आधार पर परम्परागत राजनीति विज्ञान के क्षेत्र को निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत विश्लेषित किया जा सकता है-
1. राज्य का अध्ययन- राजनीति विज्ञान में राज्य का सम्पूर्ण एवं सर्वकालीन अध्ययन किया जाता है। इसके अन्तर्गत राज्य के अतीत, वर्तमान एवम् भविष्य तीनों का अध्ययन किया जाता है-
2. राज्य के अतीत का अध्ययन- राजनीति विज्ञान इस तथ्य का अध्ययन करता है कि प्राचीन काल में राज्य की उत्पत्ति कैसे हुई, एवम् वर्तमान काल तक उसका विकास कैसे हुआ है। यह यूनान के ‘नगर-राज्य’ से आधुनिक राष्ट्र राज्य तक के विकास का अध्ययन करता है। राजनीति विज्ञान इस तथ्य का भी अध्ययन करता है कि प्रारंभ में राज्य का कार्यक्षेत्र अत्यंत सीमित था और किस प्रकार वर्तमान काल तक उसके कार्यक्षेत्र में •निन्तर वृद्धि हुई है। राजनीति विज्ञान अतीत में राज्य के सन्दर्भ में उत्पन्न विभिन्न राजनीतिक विचारों व धारणाओं का भी अध्ययन करता । मनुष्य के राजनीतिक विचारों के राज्य के स्वरूप पर पड़ने वाले प्रभाव का भी अध्ययन राजनीति विज्ञान करता है। इस प्रकार राजनीति विज्ञान में हम सर्वप्रथम राज्य तथा राजनीतिक विचारधारा के विकास का ऐतिहासिक विवेचन करते है।
3. राज्य के वर्तमान का अध्ययन- आधुनिक राष्ट्र-राज्य अतीत के राज्य से भिन्न है। राज्य के इस वर्तमान स्वरूप एवं विशेषताओं का अध्ययन राजनीति विज्ञान में किया जाता हैं। अरस्तू ने लिखा है- “राज्य की उत्पत्ति जीवन की अनिवार्य आवश्यकताओं के कारण हुई और अच्छे जीवन के लिये ही उसका अस्तित्व चलता आ रहा है। आधुनिक युग में राज्य सर्वोपरि एवं सर्वोत्कृष्ट मानव संगठन है। आधुनिक राष्ट्र राज्य मूलतः संविधानवादी राज्य है, वह लोककल्याण के दायित्व को स्वीकारता है। इस राज्य के आन्तरिक एवं बाह्य दो प्रकार के कार्यक्षेत्र है। आन्तरिक कार्यक्षेत्र के प्रमुख कार्य है-राष्ट्रीय संविधान के अनुसार शासन करना, शांति व व्यवस्था बनाये रखना, न्याय करना तथा जनता के कल्याण के लिए विभिन्न सामाजिक व आर्थिक कार्य करना। राष्ट्र के बाह्य कार्य क्षेत्र में विदेश नीति का संचालन, अन्य राज्यों से संबंध तथा अन्तर्राष्ट्रीय दायित्वों का पालन आते हैं। राजनीति विज्ञान आधुनिक राष्ट्र राज्य से संबन्धित विभिन्न विचारधाराओं का अध्ययन करता है।
4. राज्य के भविष्य का अध्ययन- परिवर्तन प्रकृति का नियम है। इतिहास बताता है कि राज्य प्रारंभ से ही एक विकासशील संस्था है अत: राज्य के वर्तमान स्वरूप को भी अंतिम नहीं माना जा सकता। अतीत की भाँति वर्तमान समय में भी ऐसे अनेक सिद्धांतों का विकास हो रहा है, जो राज्य के स्वरूप, उद्देश्य एवम् कार्यक्षेत्र के संबंध में अनेक नवीन विचार हमारे समक्ष प्रस्तुत करते हैं। राजनीति विज्ञान राज्य के वर्तमान स्वरूप, संगठन एवं कार्यों में परिवर्तन चाहने वाली विचारधाराओं का भी अध्ययन करता है। इस दृष्टि से राजनीति विज्ञान नवीन उदारवाद, बहुलवाद, समाजवाद, साम्यवाद तथा अराजकतावाद आदि विचारधाराओं का अध्ययन करता है।
5. सरकार का अध्ययन- राज्य के संबंध में कोई अध्ययन तब तक पूरा नहीं हो सकता जब तक हम उसके उस यन्त्र का अध्ययन न करें जिसके द्वारा उसकी अभिव्यक्ति होती है और जिसे हम सरकार कहते हैं । राजनीति विज्ञान वर्तमान काल में विभिन्न देशों में विद्यमान शासन-प्रणालियों का सरल व तुलनात्मक अध्ययन करता हैं। यह किसी शासन के अन्तर्गत मौजूद शासन के तीनों अंगों-व्यवस्थापिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका का अध्ययन करता है और इन अंगों के आपसी संबंधों की व्याख्या करता हैं। इसके साथ ही वर्तमान काम की लोकतांत्रिक प्रणाली के अन्तर्गत चुनाव प्रणाली, प्रतिनिधित्व की समस्या व लोक प्रशासन का भी अध्ययन किया जाता है।
6. राजनीतिक विचारधाराओं का अध्ययन- प्राचीन काल से वर्तमान काल तक अनेक विचारधाराएँ अस्तित्व में आई है। इन विचारधाराओं ने राजनीति के आदर्शवादी एवम् यथार्थवादी मूल्यों पर विचार किया है। इन विचारधाराओं के द्वारा राज्य की उत्पत्ति, प्रकृति, उद्देश्य साधन, व कार्यों के अतिरिक्त व्यक्ति-‘राज्य के पारस्परिक संबंधों पर भी विचार किया है। कानून स्वतंत्रता एवम् समानता की अवधारणा भी राजनीति विज्ञान के अध्ययन का विषय है। इस प्रकार राजनीति विज्ञान प्रत्ययवाद, व्यक्तिवाद, अराजकतावाद, फासीवाद, समाजवाद, साम्यवाद व बहुलवाद आदि विचारधाराओं का सरल व तुलनात्मक अध्ययन करता है।
7. राजनीतिक दलों एवम् दबाब समूहों का अध्ययन- वर्तमान शासन व्यवस्थाओं के संचालन में राजनीतिक दलों एवम् दबाब समूहों की महत्वपूर्ण भूमिका है। राजनीतिक दल चुनाव में भाग लेकर सरकार का निर्माण एवं संचालन करते है। दबाब समूह अप्रत्यक्ष रूप से सरकार की नीतियों को प्रभावित करते हैं। राजनीतिक दल एवम् दबाब समूह लोकमत निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं राजनीति विज्ञान इन दोनों की भूमिका एवं कार्यों का अध्ययन करता है। उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि राजनीति विज्ञान का क्षेत्र अत्यधिक व्यापक है। सभ्यता के विकास के साथ-साथ इसका क्षेत्र भी विस्तृत होता जा रहा है आज राजनीति विज्ञान में ऐसे अराजनीतिक प्रकृति के संगठन व समुदायों का भी अध्ययन होने लगा है जो राज्य की नीतियों व निर्णयों को प्रभावित करते है।
8. मानव के राजनीतिक जीवन का अध्ययन – जैसा कि पहले कहा जा चुका है कि, प्रत्येक सामाजिक शास्त्र मानव के कार्यकलापों के किसी पहलू विशेष को लेकर विकसित हुआ है। राजनीति विज्ञान मनुष्य के कार्यकलापों के उस पहलू का अध्ययन है जिसका संबंध राज्य से है। राज्य नागरिकों से बनता है या यह कहें कि मनुष्य के हित के लिये ही राज्य अस्तित्व में आता हैं। राज्य व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा करता है और इस प्रकार मानव जीवन को सार्थक बनाता है। प्रत्येक राज्य के नागरिक कुछ अधिकारों का उपभोग करते है और राज्य उन्हें संरक्षण प्रदान करता है तथा राज्य के प्रति नागरिक के कुछ कर्तव्य भी होते हैं जिनका पालन व्यक्ति को करना आवश्यक है। अतः राजनीति विज्ञान में मनुष्य के अधिकारों कर्तव्यों तथा राज्य व मनुष्य के पारस्परिक संबंधों का अध्ययन होता है।
9. स्थानीय एवं राष्ट्रीय समस्याओं का अध्ययन- राजनीति विज्ञान स्थानीय एवम् राष्ट्रीय समस्याओं का अध्ययन करते हुये इन समस्याओं के समाधान भी सुझाता है। इस सन्दर्भ में स्थानीय संस्थाओं के संगठन, कार्यप्रणाली तथा कार्यक्षेत्र का अध्ययन भी किया जाता है। उदाहरणार्थ भारत में स्थानीय स्वशासन एवं पंचायती राज्य व्यवस्था का अध्ययन राजनीति विज्ञान में होता है। राजनीति विज्ञान राष्ट्रीय एकता, अखण्डता तथा विकास के मार्ग में बाधक समस्याओं तथा इन समस्याओं के समाधान के लिये भावनात्मक एकता पंथ निरपेक्षता, सामाजिक न्याय, योजनाबद्ध विकास, भाषा नीति आदि साधनों का अध्ययन करता है।
10. अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों एवं संबंधों का अध्ययन- राजनीति विज्ञान में वर्तमान की औद्योगिक एवं वैज्ञानिक विकास के परिणामस्वरूप विश्व समुदाय की सामूहिक गतिविधियों एवं उनके संबंधों का अध्ययन करता है। देशों के पारस्परिक संबंधों के अध्ययन के साथ ही अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों-संयुक्त राष्ट्र संघ, राष्ट्रमण्डल, गुटनिरपेक्ष आन्दोलन आसियान एवम् अन्य का अध्ययन करता हैं। अन्तर्राष्ट्रीय विधि एवं आधुनिक विश्व के समक्ष अनेक चुनौतियों-जैसे आतंकवाद, मादक द्रव्यों की तस्करी का भी राजनीति विज्ञान अध्ययन करता है।
IMPORTANT LINK
- भूगोल शिक्षण के क्षेत्र में पर्यटन के महत्व, शिक्षक के लाभ एंव सीमाएँ
- पारिस्थितिक तंत्र तथा विकास | सतत् विकास या जीवन धारण करने योग्य विकास की अवधारणा | सतत् विकास में भूगोल और शिक्षा का योगदान
- राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा (NCF) 2005 की विशेषताएँ तथा सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रम सम्बन्धी सुझाव
- ‘भूगोल एक अन्तरा अनुशासक विषय है’
- मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं? भूगोल शिक्षण के मूल्यांकन में प्रयुक्त होने वाली प्रविधियाँ
- स्थानीय भूगोल से आपका क्या आशय है? स्थानीय भूगोल अध्ययन के उद्देश्य
- अधिगम कठिनाइयों का निदान और भूगोल में उनके उपचारात्मक शिक्षण की व्यवस्था किस प्रकार करेंगें।
- अन्तर्राष्ट्रीयता का सम्प्रत्यय स्पष्ट कीजिये। अन्तर्राष्ट्रीयता की भावना के विकास में भूगोल की भूमिका
- ‘भूगोल प्राकृतिक एवं सामाजिक विज्ञानो के मध्य पुल का काम करता है’
- दैनिक पाठ योजना का अर्थ एंव परिभाषा | दैनिक पाठ योजना का महत्त्व | दैनिक पाठ योजना निर्माण के पद
- विचार-विमर्श विधि का अर्थ, विशेषताएं, तत्व, प्रकार एंव इसके गुण व दोष
- स्थानिक वितरण की संकल्पना तथा स्थानिक अन्तर्किया की संकल्पना
- आदर्श इतिहास शिक्षक के गुण एंव समाज में भूमिका
- विभिन्न स्तरों पर इतिहास शिक्षण के उद्देश्य प्राथमिक, माध्यमिक तथा उच्चतर माध्यमिक स्तर
- इतिहास शिक्षण के उद्देश्य | माध्यमिक स्तर पर इतिहास शिक्षण के उद्देश्य | इतिहास शिक्षण के व्यवहारात्मक लाभ
- इतिहास शिक्षण में सहसम्बन्ध का क्या अर्थ है ? आप इतिहास शिक्षण का सह-सम्बन्ध अन्य विषयों से किस प्रकार स्थापित करेंगे ?
- इतिहास क्या है ? इतिहास की प्रकृति एवं क्षेत्र
- राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के विषय में आप क्या जानते हैं ?
- शिक्षा के वैकल्पिक प्रयोग के सन्दर्भ में एस० एन० डी० टी० की भूमिका
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एन.सी.एफ.-2005) [National Curriculum Framework (NCF-2005) ]
Disclaimer