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प्रतिज्ञा पत्र से क्या आशय है? प्रतिज्ञा पत्र की विशेषताएं (लक्षण) लिखिए।
प्रतिज्ञा पत्र से आशय – भारतीय विनिमय साध्य विलेख अधिनियम की धारा 4 के अनुसार, “एक प्रतिज्ञा-पत्र एक लिखित लेखपत्र होता है, जिसमें लेखक अपने हस्ताक्षर करता है तथा निश्चित व्यक्ति से बिना शर्त यह प्रतिज्ञा करता है कि वह उसे अथवा उसके द्वारा आदेशित व्यक्ति को अथवा लेख के वाहक को निश्चित रकम देगा।”
उपर्युक्त परिभाषा से स्पष्ट है कि प्रतिज्ञा-पत्र में एक व्यक्ति किसी निश्चित व्यक्ति से वायदा अथवा प्रतिज्ञा करता है कि वह उसे अथवा उसके द्वारा आदेशित व्यक्ति को अथवा लेखपत्र के वाहक को एक निश्चित रकम का भुगतान करेगा। उसके द्वारा की गयी प्रतिज्ञा शर्तरहित होती है।
प्रतिज्ञा पत्र से सम्बन्धित पक्षकार-
1. आहर्ता- आहर्ता का तात्पर्य उस व्यक्ति से है जो प्रतिज्ञापत्र को लिखता है।
2. प्रापक या प्राप्तकर्ता अथवा आदाता- आदाता का अर्थ उस व्यक्ति से लगाया जाता है, सिजके आदेशानुसार किसी अन्य व्यक्ति को प्रतिज्ञा पत्र में लिखित रूप से निर्धारित की गयी धनराशि का भुगतान किया जायेगा।
प्रतिज्ञा पत्र के आश्वयक लक्षण/विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
(1) मूल्यवान प्रतिफल – प्रतिज्ञा पत्र के आधार पर भुगतान करने का वचन देने वाले व्यक्ति को मूल्यवान प्रतिफल की प्राप्ति हो चुकी है; इसके लिए प्रतिज्ञा पत्र में ‘मूल्य प्राप्त शब्दों का प्रयोग करना आवश्यक होता हैं यदि किसी कारणवश प्रतिज्ञा पत्र में लेखक के द्वारा ‘मूल्य प्राप्त’ शब्दों को नहीं लिखा जाता है तो यह मान लिया जाता है कि प्रतिज्ञा पत्र के लेखक – को मूल्यवान प्रतिफल की प्राप्ति हो चुकी है।
(2) प्रतिज्ञा पत्र की सुपुर्दगी – प्रतिज्ञा पत्र को तभी तक पूर्ण माना जाता है; जब – तक प्रतिज्ञा पत्र का लेखक अपने हस्ताक्षर करके उसकी सुपुर्दगी ऋणदाता को कर देता है।
(3) निश्चित धनराशि- प्रतिज्ञा पत्र में भुगतान योग्य धनराशि निश्चित कर देनी – चाहिए और इसे अंकों और शब्दों दोनों ही में अंकित कर देना चाहिए। प्रतिज्ञा पत्र में देश की प्रचलित मुद्रा में धनराशि अंकित की जाती है।
(4) लेखक या आहर्ता के हस्ताक्षर- प्रतिज्ञा पत्र पर उसके लेखक के हस्ताक्षर होना आवश्यक है, क्योंकि लेखक के हस्तसक्षर के बिना प्रतिज्ञा पत्र अपूर्ण माना जायेगा; प्रतिज्ञा पत्र के लेखक की ओर से उसका एजेन्ट भी हस्ताक्षर कर सकता है। प्रतिज्ञा पत्र पर आधा नाम भी लिख सकते है और नाम या हस्ताक्षर के स्थान पर अंगूठा भी लगा सकते हैं।
(5) आवश्यक मुद्रांक- भारतीय मुद्रांक अधिनियम के अनुसार, प्रतिज्ञा पत्र पर एक आवश्यक मुद्रांक लगाना आवश्यक है। प्रतिज्ञा पत्र एक आवश्यक स्टाम्प कागज पर लिखा जा सकता है, अथवा सादे कागज पर लिखकर उस पर आवश्यक मुद्रांक लगा देना चाहिए; वरना ऐसा न करने पर प्रतिज्ञा पत्र अवैध माना जायेगा।
(6) वचनदाता एक निश्चित व्यक्ति होना चाहिए- प्रतिज्ञा पत्र का ऋणी एक निश्चित व्यक्ति को ही होना चाहिए और अपने हस्ताक्षर के नीचे ऋणी व्यक्ति को अपना निर्धारित पता भी अवश्य लिखना होता हैं ऐसा करने से भुगतान प्राप्त करने वाले व्यक्ति को किसी भी प्रकार की कठिनाई नहीं होती और वह भुगतान आसानी से प्राप्त कर लेता है; यदि प्रतिज्ञा पत्र पर एक से अधिक व्यक्तियों के हस्ताक्षर हो चुके हैं तो यह भी स्पष्ट करना होता है कि वे भुगतान करने के लिए पूर्ण रूप से उत्तरदायी हैं।
(7) लिखित प्रपत्र – प्रतिज्ञा पत्र एक ऐसा लिखित प्रपत्र होता है, जिसमें किसी भी भाषा का प्रयोग कर सकते हैं। प्रतिज्ञा-पत्र में बैंक नोट को सम्मिलित नहीं किया जा सकता है।
(8) भुगतान का समय – प्रतिज्ञा पत्र में भुगतान का समय लिखित होता है; अतः प्रतिज्ञा पत्र का भुगतान निर्धारित समयावधि के बीत जाने पर ही किया जाता है। यदि प्रतिज्ञा पत्र में भुगतान करने का समय निर्धारित नहीं किया गया है; तो उसका भुगतान माँग पर देय माना जायेगा।
(9) भुगतान की प्रतिज्ञा – प्रतिज्ञा पत्र में ऋणी ऋणदाता को भुगतान देने की प्रतिज्ञा करता है। केवल ऋणी होने की स्वीकृति को प्रतिज्ञा-पत्र नहीं कहा जा सकता है।
(10) शर्तरहित वचन – प्रतिज्ञा पत्र के ऋणी के माध्यम से वचन बिना किसी शर्त के पूर्ण होना चाहिए। यदि प्रतिज्ञा पत्र में भुगतान करने के लिए कोई शर्त लगा दी जाती है तो ऐसे प्रतिज्ञा पत्र को बंध नहीं माना जायेगा।
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