प्रश्न-पत्र एवं आदर्श उत्तर निर्माण, मार्किंग स्कीम तथा प्रश्न-पत्र विश्लेषण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
Contents
प्रश्न पत्र एवं आदर्श उत्तर निर्माण :-
प्रश्न पत्र लिखने के पश्चात् उन्हें पुनः देखने, उपांतरित करने और अंतिम रूप देने की आवश्यकता होती है। सर्वप्रथम, सामान्य अनुदेशों को स्पष्ट रूप से लिखिए जिससे छात्र में उसके समक्ष यह स्पष्ट हो सके की कार्य का आकार क्या है यह निर्देश जितने स्पष्ट होंगे छात्रों को उतनी ही सुविधा होगी। यह इस पर भी निर्भर करेगा कि प्रश्न पत्र का विषय क्या है। प्रत्येक प्रश्न या प्रश्न समूह से पहले यदि कोई विशेष निर्देश है तो उसे प्रश्न से पहले लिखा जाना चाहिए। यथोचित मानदण्ड के अनुसार प्रश्नों को एकत्रित करने के अनेक मार्ग है। ये प्रश्नों के रूप में अनुदेशात्मक उद्देश्यों, विषयवस्तु इकाई, कठिनाई स्तर या परीक्षा में प्रशासन की सुविधा के अनुसार हो सकते है। एक प्रश्न पत्र में प्रश्नों की क्रमबद्धता ऐसी होनी चाहिए कि इससे परीक्षकों तथा मूल्यांकन प्रक्रिया को सुविधा प्राप्त हो ।
मार्किंग स्कीम :-
अतः परीक्षक विभिन्नता को नियंत्रित करने के क्रम में प्रथम स्थान पर यह आवश्यक है कि चिन्हित और समझने योग्य प्रश्नों को बनाया जाए। जिससे कि विशिष्ट उत्तरों का मार्ग प्रशस्त हो सके दूसरे, एक विस्तृत मार्किंग स्कीम से मार्किंग में विभिन्नता कम करने में सहायता प्राप्त होती है। एक अच्छी मार्किंग स्कीम के कुछ गुण निम्नानुसार है-
लम्बे उत्तर प्रश्नों के संबंध में या निबंध जैसे प्रश्नों के संबंध में उत्तरों की अपेक्षित बाह्य रेखा द्वारा –
- पूर्ण होना चाहिए और प्रश्न बनाने वाले द्वारा यथा अपेक्षित मुख्य क्षेत्र बिन्दु को कवर करना चाहिए।
- स्पष्ट रूप से प्रत्येक अपेक्षित बिन्दु या बाह्य रेखांकित मुख्य क्षेत्रों को उपदर्शित होना चाहिए।
- इस बाबत निदेशन देना चाहिए कि क्या समस्त बिन्दुओं में एक पूर्ण और सही उत्तर की गणना की जाएगा।
- प्रत्येक अपेक्षित बिन्दु पर के लिए अंको का ब्रेक-अप उपदर्शित होना चाहिए। अपेक्षित बिन्दुओं पर वितरित अंक ऐसे होना चाहिए कि प्रश्न के लिए रखे गए कुल अंक से मिलान में हो। कुछ परिस्थितियों में, विषय-वस्तु के अतिरिक्त, उत्तर की अन्य विशेषताएं भी महत्वपूर्ण रूप से महत्वपूर्ण रहती है। विशेषकर लम्बे प्रश्नों में। इसमें तार्किक पहुंच सामंजस्यता, अभिव्यक्ति, प्रस्तुति का तरीका भी सम्मिलित है। कुछ अंक उत्तरों की सम्पूर्ण ऐसी गुणवत्ता के लिए अलग से रखना चाहिए जिन्हें अन्यथा नहीं रखा गया है।
- यदि कोई प्रश्न कुछ दूसरे बिन्दुओं को रखे हुए है जो एक औसत विद्यार्थी की समझ से परे हैं तो एक ऐसा प्रबंध करना चाहिए कि परीक्षक ऐसे अपवादिक उत्तरों को स्वीकार कर सके और उसे यथोचित रूप से पुरस्कृत कर सके।
- संक्षिप्त उत्तर प्रश्नों के संबंध में एक पूर्ण उत्तर जहां कही आवश्यक हो वहां अंक के ब्रेक-अप के साथ अपेक्षित मूल्य अंक उपलब्ध कराना चाहिए।
- इन लाइनों पर तैयार की गई एक विस्तृत मार्किंग स्कीम से विश्वसनीयता और वस्तुनिष्ठता में वृद्धि होती है तथा प्रश्नों की गुणवत्ता में सुधार होता है। परिशिष्ट चार में मार्किंग स्कीम के प्रोफार्मा की बाह्य रेखा दी गई है।
प्रश्नपत्र विश्लेषण :-
प्रश्न पत्र तैयार करने के पश्चात्, यह जानना वांछनीय है कि क्या प्रश्न पत्र को ब्लूप्रिंट और डिजाईन के अनुरूप तैयार किया गया है, जैसा कि उपर उल्लेखित किया जा चुका है कि किसी घर का नक्शा। ब्लूप्रिंट से प्रश्न पत्र के महत्वपूर्ण विवरण परिलक्षित होते है। तैयार प्रश्न पत्र और डिजाईन के बीच सहमति की डिग्री को जानने के अनुक्रम में पेपर सेटर को पुनः प्रत्येक प्रश्नों को उन वस्तुनिष्ठ के संदर्भ में जिसका यह परीक्षण करता है। उन विशिष्ट दक्षता के जिसकी यह माफ करता है, वह इकाई जिसमें से यह है, प्रश्नों के प्रकार, प्रत्याशित उत्तर की लम्बाई उत्तर देने में एक औसत विद्यार्थी द्वारा लगाया गया समय एवं कठिनाई स्तर इस विधि से प्रश्न पत्र में यदि कोई असंतुलन होगा तो वह स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो सकेगा एवं प्रश्न पत्र में आवश्यक सुधार अनुशिमनकर्ता द्वारा भी किये जा सकेगे।
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