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बुद्धि से क्या अभिप्राय है? बुद्धि को परिभाषित कीजिए व इसके प्रमुख प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
बुद्धि का सर्वमान्य अर्थ यह है कि “बुद्धि व्यक्ति की जन्मजात शक्ति है और उसकी सब मानसिक योग्यताओं का योगं तथा अभिन्न अंग है।“
बुद्धि का अर्थ एवं परिभाषा – किसी भी कार्य को सरलता के साथ प्रत्येक परिस्थिति में कर लेना बुद्धि का प्रतीक है। इस अर्थ में बुद्धि व्यक्ति की वह क्षमता या शक्ति है जिसके आधार पर वह अपने पर्यावरण के अनुकूल प्रतिक्रियाएँ करता है। बुद्धि की किसी एक धारणा पर मनोवैज्ञानिक एकमत नहीं। बुद्धि के विषय में सभी विद्वानों की अपनी-अपनी धारणाएं एवं मत हो। तब बुद्धि के स्वरूप को समझने के लिए मनोवैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुत बुद्धि की अनेक परिभाषाओं को समझना व उनका विश्लेषण करना आवश्यक होगा। मनोवैज्ञानिकों द्वारा बुद्धि के चार प्रमुख तत्व स्वीकार किये गये हो। वे हैं-
- अतीत के अनुभवों का प्रयोग,
- नवीन परिस्थितियों के साथ समायोजन,
- परिस्थितियों को समझना, और
- समस्त क्रियाओं को व्यापक दृष्टिकोण से देखना ।
इन्ह चार तत्वों के आधार पर मनोवैज्ञानिकों ने अपने-अपने ढंग से बुद्धि को परिभाषित करने का प्रयास किया है। बुद्धि की कुछ प्रमुख परिभाषाओं का उल्लेख हम यहाँ कर रहे हो-
विलियम स्टर्न के अनुसार बुद्धि शब्द मनुष्य की उस योग्यता का सूचक है जिसके द्वारा वह किसी नवीन परिस्थिति में पड़कर अपनी समस्याओं को हल करता है।
मैक्डूगल के अनुसार बुद्धि वह शक्ति है जिसके द्वारा अतीत के अनुभव के आधार पर जन्मजात प्रवृत्ति में सुधार किया जा सकता है।
बर्ट के अनुसार- सापेक्षतया नवीन परिस्थितियों के साथ-साथ समायोजन करने की क्षमता को बुद्धि कहते हो।
टूरमैन के अनुसार- बुद्धि अमूर्त रूप से सोचने की शक्ति है।
वेल्स के अनुसार बुद्धि वह शक्ति है जो हमारे व्यवहार के अंकों को इस प्रकार फिर से संगठित करती है कि नवीन परिस्थितियों में हम अच्छी प्रकार से काम कर सकें।
बीनेट के अनुसार- बुद्धि की आवश्यक क्रियाएँ हैं- उचित निर्णय, ठीक से समझना और ठीक से तर्क करना।
स्पीयरमैन के अनुसार सम्बन्धित चिन्तन ही बुद्धि है।
थॉर्नडाइक के अनुसार- वास्तविक तथ्य के अनुरूप उपयुक्त प्रतिक्रिया की शक्ति ही बुद्धि है।
गैरेट के अनुसार- बुद्धि ऐसी समस्याओं के समाधान करने की योग्यता है जिसमें करतीकों को समझने और प्रयोग करने की आवश्यकता हो, जैसे शब्द, संख्या, रेखाचित्र, समीकरण और सूत्र |
वैशलर के अनुसार बुद्धि व्यक्ति को उद्देश्यपूर्ण कार्य करने, तर्कपूर्ण चिन्तन करने और अपने वातावरण के अनुसार अभियोजन करने की समस्त या सार्वभौम क्षमता है।
उपरोक्त सभी परिभाषाएँ एक दूसरे से भिन्नता लिए हुए हो लेकिन उसके बाद भी सभी में अन्तरर्निहित बात एक ही है या कहें कि सभी परिभाषाओं की आत्मा एक ही है। संक्षेप में बुद्धि को उस मानसिक योग्यता के रूप में स्वीकार किया जा सकता है जो कई प्रकार की क्रियाओं को दिखायी देती है किन्तु इसका प्रदर्शन उच्चतर मानसिक प्रक्रियाओं में अपेक्षाकृत अधिक तथा निरन्तर मानसिक क्रियाओं में कम होता है। यह उस अवस्था में अधिक “क्रियाशील होती है जिसमें किसी न किसी प्रकार की नवीनता तथा अनूठापन होता है। इसका प्रयोग समस्या के समाधान में अधिक होता है और इसका सम्बन्ध बाहरी संस्कारों को ग्रहण करने में इतना नही होता जितना कि विषयवस्तु के विश्लेषण करने में होता है। यह एक मानसिक क्षमता है जिसके द्वारा हम कठिन, गहन, सूक्ष्म, मौलिक, सोद्देश्य, सामाजिक उपयोगिता से सम्बन्धित क्रियाओं को समझ सकते हैं और उनका सम्पादन विभिन्न परिस्थितियों में कर सकते हो।
बुद्धि के प्रकार
मनोवैज्ञानिकों ने मुख्य रूप से बुद्धि के तीन प्रकारों का उल्लेख किया है-
1. सामाजिक बुद्धि- इस बुद्धि का सम्बन्ध किसी व्यक्ति की उस योग्यता से है जिससे कि उसमें समाज के साथ अनुकूलन करने की क्षमता उत्पन्न होती है। इस बुद्धि का प्रयोग आमतौर से सामाजिक तथा व्यक्तिगत कार्यों में किया जाता है। इस प्रकार की बुद्धि वाले व्यक्ति सामाजिक कार्यों में रूचि लेते हो। मानव एक सामाजिक प्राणी है और समाज के साथ समायोजन करना उसकी एक अभूतपूर्व विशेषता है। जिन व्यक्तियों में सामाजिक बुद्धि तीव्र होती है वह सामाजिक परिस्थितियों के साथ सरलता व शीघ्रता से समायोजन कर पाते हो। वह व्यवहार कुशल होते हैं और समाजिक जीवन में सफलता प्राप्त करते हो। इस प्रकार की बुद्धि वाले व्यक्ति आमतौर से कूटनीतिज्ञ, व्यवसायी तथा सामाजिक कार्यकर्ता होते हो। सामाजिक बुद्धि के अभाव में व्यक्ति सामाजिक कार्यों में सफल नहीं हो पाता। संक्षेप में सामाजिक बुद्धि का सम्बन्ध समाज के साथ समायोजन की क्रियाओं से हो।
2. मूर्त बुद्धि- मूर्त बुद्धि को गत्यात्मक यां यान्त्रिक बुद्धि के नाम से भी जाना जाता इस प्रकार की बुद्धि का इस्तेमाल उन कार्यों के लिए विशेष तौर से किया जाता है जिन कार्यों में कोई उद्देश्य निहित होता है। जिन व्यक्तियों में इस प्रकार की बुद्धि होती है वे और मशीनों से सम्बन्धित कार्यों में विशेष रूचि लेते हो। मूर्त वस्तुओं से सम्बन्धित समस्याओं का समाधान मूर्त बुद्धि का ही परिणाम होता है। ऐसी बुद्धि वाले व्यक्ति जटिल यान्त्रिक समस्याओं का समाधान सरलता से कर लेते हो। इस प्रकार की बुद्धि वाले लोग अधिकतर इन्जीनियर, अच्छे कारीगर, मैकेनिक आदि बनते हो।
3. अमूर्त अथवा यान्त्रिक बुद्धि- अमूर्त बुद्धि का कार्य सूक्ष्म से सूक्ष्म तथा अमूर्त विषयों का गम्भीरता से अध्ययन कर उनका समाधान खोजना रहता है। इस बुद्धि का विकास पुस्तकीय ज्ञान से अधिक होता है। इस प्रकार की बुद्धि में शब्दों, अंकों एवं प्रतीकों का विशेष महत्व होता है। यह अमूर्त बुद्धि ही है जो बालकों में ज्ञानोपार्जन के प्रति झ उत्पन्न करती है। यह बुद्धि व्यक्ति में दार्शनिक विचारों एवं चिन्तन की प्रक्रिया को जान करती है। इस प्रकार की बुद्धि वाले व्यक्ति शिक्षक, डॉक्टर, वकील, दार्शनिक, कवि, चित्रकार, कलाकार आदि होते हो।
बुद्धि को मापने/बुद्धि लब्धि की विधि- मनोविज्ञान के क्षेत्र में बुद्धि को मापने के लिए बुद्धि लब्धि का आविष्कार करना टरमैन की सबसे महत्वपूर्ण देन है। बुद्धि लब्धि क्या है। बालक की शारीरिक व मानसिक आयु क्या है? दोनों का आनुपातिक स्वरूप ही बुद्धि लब्धि है। बुद्धि लब्धि ज्ञात करने के लिए मानसिक आयु में शारीरिक आयु से भाग देते हैं। एवं दशमलव की परेशानी से बचने के लिए 100 से गुणा कर देते हैं।
बुद्धि लब्धि ज्ञात करने का सत्र इस प्रकार है-
I.Q. = M.A./ C.A. × 100
(I.Q. = बुद्धि लब्धि, M.A. मानसिक आयु, C.A. वास्तविक आयु)
जैसे- किसी बालक की वास्तविक आयु 4 वर्ष है तथा मानसिक आयु 6 वर्ष हैं तो उसकी बुद्धि लब्धि होगी-
1.Q. = 6/4 x 100
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