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मानवाधिकार का वर्गीकरण | classification of human rights
मानवाधिकार का वर्गीकरण लुईन बी. सोहन महोदय ने मानवाधिकार को तीन वर्गों में वर्गीकृत किया है जो इस प्रकार है-
- प्रथम पीढ़ी के मानवाधिकार
- द्वितीय पीढ़ी के मानवाधिकार
- तृतीय पीढ़ी के मानवाधिकार
( 1 ) प्रथम पीढ़ी के मानवाधिकार-
नागरिक एवं राजनैतिक अधिकारों की अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा में सम्मिलित विभिन्न अधिकारों को प्रथम पीढ़ी के मानवाधिकार कहा जाता है। ये अधिकार परम्परागत हैं तथा लम्बे समय में ग्रीक नगर राज्य के समय से विकसित हुए हैं। ये अधिकार विभिन्न राज्यों के राष्ट्रीय संविधानों, सिविल एवं राजनैतिक प्रसंविदा पर अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा, मानव अधिकारों पर यूरोपीयन अभिसमयों तथा अफ्रीकी दस्तावेजों में सम्मिलित किये गये हैं। भारत के संविधान के भाग तीन में भी नागरिक एवं राजनैतिक अधिकारों को सम्मिलित किया गया है।
नागरिक (सिविल) एवं राजनीतिक अधिकारों की अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा, 1966 में 53 अनुच्छेद हैं जो प्रस्तावना सहित 6 भागों में विभाजित हैं। प्रसंविदा के भाग 1 एवं 2 के अनुच्छेद 1 से 3 तक तथा अनुच्छेद 5 सामान्य हैं। भाग 3 के अनुच्छेद 6 से 27 तक में सारवान् सिविल एवं राजनीतिक अधिकारों का उल्लेख है। यह अधिकार निम्नलिखित हैं-
(i) जीवन का अधिकार (अनुच्छेद 6),
(ii) यंत्रणा या निर्दयी, अमानवीय या परिभ्रष्ट करने वाले व्यवहार या दंड की निषिद्धि तथा बिना सम्मति के चिकित्सक या वैज्ञानिक प्रयोग की निषिद्धि (अनुच्छेद 7),
(iii) दासता, दास व्यापार तथा अनुसेविता की निषिद्धि (अनुच्छेद 8),
(iv) व्यक्ति की स्वतंत्रता तथा सुरक्षा का अधिकार तथा मनमानी गिरफ्तारी या निरोध से स्वतंत्रता (अनुच्छेद 9),
(v) सभी उन व्यक्तियों जिन्हें उनकी स्वतंत्रता से वंचित किया गया है मानवता के साथ व्यवहार किये जाने तथा मानव व्यक्ति के अन्तर्विष्ट गरिमा के सम्मान का अधिकार (अनुच्छेद 10).
(vi) केवल संविदात्मक दायित्व को पूरा न करने पर जेल भेजे जाने की निषिद्धि (अनुच्छेद 11),
(vii) आवागमन तथा निवास चुनने की स्वतंत्रता का अधिकार तथा अपने देश में प्रवेश से मनमाने ढंग से न रोके जाने का अधिकार (अनुच्छेद 12),
(viii) प्रसंविदा के किसी राज्य पक्षकार के वैध रूप से रहने वाले विदेशियों के मनमाने ढंग से निष्कासित किये जाने से स्वतंत्रता (अनुच्छेद 13),
(ix) न्यायालयों एवं न्यायाधिकरणों के समक्ष समानता का अधिकार, न्यायपूर्ण एवं लोक सुनवाई का अधिकार तथा प्रत्येक व्यक्ति जिसे किसी आपराधिक जुर्म से अधिरोपित किया गया हो उसका तब तक निर्दोष परिकल्पित किये जाने का अधिकार जब तक कि उसे विधि के अनुसार दोषी सिद्ध नहीं किया जाता (अनुच्छेद 14),
(x) आपराधिक विधि का गैर-भूतलक्षी लागू होना (अनुच्छेद 15),
(xi) प्रत्येक स्थान पर विधि के समक्ष व्यक्ति स्वीकार किये जाने का अधिकार (अनुच्छेद 16),
(xii) प्रत्येक व्यक्ति को उसकी एकान्तता, परिवार या पत्र-व्यवहार में मानमाने ढंग से अवैध हस्तक्षेप न किये जाने का अधिकार तथा उसके सम्मान तथा प्रतिष्ठा का अवैध अतिक्रमण से स्वतंत्रता (अनुच्छेद 17),
(xiii) विचार, अन्तःकरण एवं धर्म की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 18),
(xiv) मत तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19),
(xv) युद्ध एवं राष्ट्रीय, जातीय या धार्मिक घृणा जो भेदभाव, शत्रुता तथा हिंसा को प्रोत्साहित करे, उसकी निषिद्धि (अनुच्छेद 20 ) ।
( 2 ) द्वितीय पीढ़ी के मानवाधिकार
आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों की अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा में सम्मिलित विभिन्न अधिकारों को द्वितीय पीढ़ी का अधिकार कहा जाता है, क्योंकि इनकी उत्पत्ति नागरिक एवं राजनैतिक अधिकारों के पश्चात् हुई, इन अधिकारों का विकास नागरिक एवं राजनैतिक अधिकारों को प्रभावशाली बनाने के लिए हुआ क्योंकि नागरिक अधिकारों का स्वयं में कोई विशेष अर्थ नहीं है। जब तक कि व्यक्ति के पास सामाजिक एवं आर्थिक अधिकार न हों भारतीय संविधान के भाग चार में सामाजिक एवं आर्थिक अधिकारों को समाविष्ट किया गया है।
आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकार – आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों का उल्लेख अनुच्छेदों 22 से 27 तक में किया गया है। यह अधिकार निम्नलिखित हैं-
- सामाजिक सुरक्षा का अधिकार तथा आर्थिक एवं सांस्कृतिक अधिकार जो व्यक्ति की गरिमा, विकास तथा व्यक्तित्व के स्वतंत्र विकास के लिये अपरिहार्य है।
- कार्य करने (अथवा नियोजन) का स्वतंत्र चयन, कार्य करने की अनुकूल दशायें तथा बेकारी के विरुद्ध संरक्षण।
- समान कार्य के लिये समान वेतन का अधिकार।
- उचित एवं अनुकूल वेतन पाने का अधिकार।
- व्यवसाय संघ बनाने एवं सदस्य बनाने का अधिकार।
- आराम करने एवं खाली समय का अधिकार।
- जीविका का अधिकार जो अपने एवं अपने परिवार के स्वास्थ्य के लिये उपयुक्त है।
- सभी बच्चों का समान सामाजिक संरक्षण उपभोग करने का अधिकार।
- शिक्षा का अधिकार।
- अपने बच्चों की शिक्षा का प्रकार चुनने का माता-पिता का अधिकार
- समुदाय के सांस्कृतिक जीवन में भाग लेने का अधिकार।
- वैज्ञानिक, साहित्यिक कार्य के लेखक का उक्त कार्य के फलस्वरूप हितों के नैतिक एवं भौतिक हितों के संरक्षण का अधिकार।
(3) तृतीय पीढ़ी के मानवाधिकार
आत्मनिर्णय का अधिकार, विकास का अधिकार एवं शान्ति का अधिकार तृतीय कोटि से सम्बन्धित अधिकार हैं। ये सभी अधिकार अभी अपने विकासकाल में ही हैं।
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