राजनीति विज्ञान / Political Science

राष्ट्रीयता का अर्थ एवं आवश्यक तत्व | Meaning and Essential Elements of Nationalism in Hindi

राष्ट्रीयता का अर्थ एवं आवश्यक तत्व | Meaning and Essential Elements of Nationalism in Hindi
राष्ट्रीयता का अर्थ एवं आवश्यक तत्व | Meaning and Essential Elements of Nationalism in Hindi

राष्ट्रीयता का अर्थ एवं आवश्यक तत्वों का वर्णन करो। 

‘राष्ट्रीयता’ शब्द अंग्रेजी भाषा के नेशनलिटी (Nationality) शब्द का हिन्दी अनुवाद है, जिसकी उत्पत्ति लैटिन भाषा के नेशियो (Natio) शब्द से हुई है, इस शब्द से जन्म और जाति का बोध होता है। राष्ट्रीयता एक सांस्कृतिक तथा  आद्यात्मिक भावना है, जो लोगों को एकता के सूत्र में बाँधती है। इसी भावना के कारण लोग अपने देश एवं भूमि तक से प्यार करते हैं। इस प्रकार राष्ट्रीयता एक भावात्मक शब्द है। इसी भावना के कारण लोग अपने देश पर संकट आने की स्थिति में अपने तन, मन और धन का बलिदान करने से भी पीछे नहीं हटते हैं। जे. एच. रोज के अनुसार, “राष्ट्रीयता हृदयों की वह एकता है, जो एक बार बनने के बाद कभी खण्डित नहीं होती है।”

राष्ट्रीयता की परिभाषाएँ (Definition on Nationalism )- राष्ट्रीयता की पूर्ण एवं सम्यक परिभाषा करना एक कठिन काम है किन्तु कुछ विद्वानों ने इसे स्पष्ट रूप से परिभाषित करने का प्रयास किया है। इन विद्वानों की परिभाषाएँ इस प्रकार हैं-

1. जिमर्न के अनुसार- “राष्ट्रीयता सामूहिक भावना का एक रूप है, जो विशिष्ट गहनता, समीपता तथा महत्ता से एक निश्चित देश से सम्बन्धित होती है।”

2. ब्लंटशली के अनुसार- राष्ट्रीयता मनुष्यों का वह समूह है जो समान उत्पत्ति, समान जाति, समान भाषा, समान परम्पराओं, समान इतिहास तथा समान हितों के कारण एकता के सूत्र में बँधकर राज्य का निर्माण करता है।

3. प्रो. गिलक्राइस्ट के शब्दों में- “राष्ट्रीयता एक आध्यात्मिक भावना या सिद्धान्त है, जिसकी उत्पत्ति उन लोगों में से होती है, जो साधारणतः एक जाति के होते हैं, जो एक भूखण्ड पर रहते हैं तथा जिनकी एक भाषा, एक-सा धर्म, एक इतिहास, एक-सी परम्पराएँ तथा एक-से हित होते हैं तथा जिनके राजनीतिक समुदाय तथा राजनीतिक एकता के एक-से आदर्श होते हैं।”

4. डॉ. बेनीप्रसाद के अनुसार- “राष्ट्रीयता की निश्चित परिभाषा करना कठिन है। परन्तु यह स्पष्ट है कि ऐतिहासिक गतिविधियों में यह पृथक अस्तित्व ही उस चेतना का प्रतीक है, जो सामान्य आदतों, परम्परागत रीति-रिवाजों, स्मृतियों, आकांक्षाओं, अवर्णनीय, सांस्कृतिक सम्प्रदायों तथा हितों पर आधारित है।”

5. हेज के अनुसार- “राष्ट्रीयता उन व्यक्तियों के समूह को कहते हैं, जो या एक भाषा या परस्पर मिलती-जुलती बोलियाँ बोलते हैं तथा जिनकी सामान्य ऐतिहासिक परम्पराएँ होती हैं और इस प्रकार वे विशिष्ट सांस्कृतिक समाज की रचना करते हैं।”

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर हम कह सकते है कि “राष्ट्रीयता एक ऐसी भावना है, जिसके कारण एक देश के लोग एकता के सूत्र में बँधे रहते हैं और जो देश एवं देशवासियों के के प्रति वफादार रहने की प्रेरणा देती है।”

राष्ट्रीयता के प्रमुख निर्माणक तत्व (Main Formative Elements of Nationalism)

राष्ट्रीयता के निर्माण अथवा राष्ट्रीयता की भावना के विकास में अनेक तत्व सहायक होते हैं। इनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-

1. भौगोलिक एकता– भौगोलिक एकता राष्ट्रीय एकता की प्रेरणा-स्रोत है। जब लोग समान भौगोलिक परिस्थितियों में रहते हैं तो उनकी आवश्यताएँ एवं समस्याएँ भी समान होती है। अतः वे लोग मिल-जुलकर समान ढंग से अपनी समस्याएँ सुलझाने हेतु एकजुट होते हैं। इसके फलस्वरूप उनमें एकता की भावना उदित होती है, यह भावना ही कालान्तर में राष्ट्रीयता का एक सहायक तत्व है, आवश्यक तत्व नहीं।

2. भाषा की एकता – राष्ट्रीयता के विकास में भाषा की एकता भी महत्व रखती है। समान भाषा-भाषी देशों में समान विचार एवं समान साहित्य का सृजन होता है। उनके समान रीति-रिवाज एवं समान रहन-सहन के कारण उनमें समान राष्ट्रीयता की भावना का उदय होता है, किन्तु यह भी राष्ट्रीयता का एक अनिवार्य तत्व नहीं है।

3. संस्कृति की एकता- सांस्कृतिक एकता राष्ट्रीयता के मूल्यवान तत्वों में से एक है। संस्कृति के अन्तर्गत एक निश्चित भू-भाग के व्यक्तियों का साहित्य, रीति-रिवाज, प्राचीन परम्पराएँ इत्यादि सम्मिलित होती है। समान संस्कृति के आधार पर समान विचार, समान आदर्श तथा समान प्रवृत्तियाँ उत्पन्न होती है, जिससे राष्ट्रीयता के निर्माण में सहायता मिलती है।

4. समान इतिहास – ऐतिहासिक घटनाओं एवं स्मृतियों का भी राष्ट्रीयता के विकास में काफी महत्व होता है। विजय और पराजय की स्मृतियाँ, सामाजिक विकास के आदर्श, सांस्कृतिक उत्थान-पतन का संकलित इतिहास राष्ट्रीयता के विकास में पर्याप्त सहायक होता है।

5. धार्मिक एकता– धार्मिक एकता भी राष्ट्रीयता के निर्माण तथा विकास में वृद्धि करती है। इतिहास इस बात का साक्षी है कि धार्मिक भिन्नता के कारण अनेक देशों में कितना अधिक रक्तपात हुआ है। धार्मिक भिन्नता के आगे राष्ट्रीयता की भावना दुर्बल पड़ जाती है. जिसके फलस्वरूप दो भिन्न धर्मावलम्बी राष्ट्रों के मध्य युद्ध होते हैं। इसीलिए प्रसिद्ध विद्वान रेम्जे म्योर ने लिखा है कि, “कुछ मामलों में धार्मिक एकता राजनीतिक एकता के निर्माण में शक्तिशाली योग देती है और जबकि कुछ दूसरे मामलों में धार्मिक भिन्नता उसके मार्ग में अनेक बाधाएँ उपस्थित करती है।”

6. राजनीतिक एकता- समान राजनीतिक व्यवस्था के अन्तर्गत रहने वाले लोग की एकता का अनुभव करते हैं। इसके अतिरिक्त वे समान राजनीतिक व्यवस्था के फलस्वरूप मानसिक एकता का भी अनुभव करते हैं, जो लोग आगे चलकर राष्ट्रीयता के निर्माण में सहायक होते हैं। इसके साथ ही कठोर विदेशी शासन भी राष्ट्रीयता के निर्माण में सहायक सिद्ध होता है।

7. जातीय एकता- जातीय एकता भी राष्ट्रीयता के विकास में सहायक होती है। एक जाति के लोग समान संस्कारों एवं रीति-रिवाजों आदि के कारण एक संगठन में बँधे रहते हैं, जिनके परिणामस्वरूप उनमें एकता का उदय होता है। एक विद्वान के अनुसार, “राष्ट्रीयता के तत्वों में जातीय एकता का भी एक तत्व है, लेकिन यह एकमात्र तत्व नहीं है, क्योंकि बहुत-से देशों में इसके अभाव में भी उन्हें राष्ट्र माना जाता है।”

8. सामान्य आर्थिक हित- आधुनिककाल में राष्ट्रीयता के निर्माण में आर्थिक तत्व सबसे अधिक महत्वपूर्ण तत्व माना जाता है।

9. समान आधिपत्य तथा कष्ट- यदि विभिन्न प्रकार के लोग किसी एक अत्याचारी शासक की अधीनता में बहुत समय तक रहते है और परस्पर मिलकर अधिकारों के लिए संघर्ष करते हैं तो उनके बीच एकता की भावन उत्पन्न हो जाती है।

10. अन्य तत्व- समान सिद्धान्तों में आस्था, सामान्य आपदाएँ, युद्ध, लोकमत एवं सामूहिक एकता की चेतना भी राष्ट्रीयता के विकास में सहायक सिद्ध होती है।

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Anjali Yadav

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