राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (2005) में राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों का निर्माण किया गया, इसका आधार क्या है।
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (2005) में सामाजिक अध्ययन को भूगोल, इतिहास अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के रूप में पढ़ाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य सामाजिक अध्ययन के शिक्षण को आनंददायी बनाना है और बोझ एवं तनाव मुक्त करना है। इसी परिप्रेक्ष्य में राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों का निर्माण किया गया जिसका आधार निम्नलिखित है-
- बहु-सांस्कृतिक स्वरूप जैसे लिंग, वर्ग, संस्कृति, धर्म भाषा और क्षेत्र को समान रूप में समाहित किया गया है।
- प्राकृतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारकों के विषय-वस्तु को समग्र रूप में प्रस्तुत किया गया है।
- बच्चों को पर्यावरण और इसके संरक्षण और सामाजिक मुद्दों के प्रति संवेदनशील विकसित करने पर पुस्तक में बल दिया गया है।
- शिक्षण को बच्चे के वास्तविक जीवन से जोड़कर विषय वस्तु का संपादन करने पर बल दिया है।
- पुस्तकीय ज्ञान को बाहरी वातावरण से जोड़ने पर विशेष बल दिया है।
- करके सीखने को प्रेरित किया गया है।
- पाठ्यपुस्तक की विषय-वस्तु बालकेंद्रित बनाया गया है।
- रटने की आदत को पाठ्यपुस्तक में कोई स्थान नहीं है।
- पुस्तक में पाठ्यपुस्तक और उस पर आधारित क्रियाकलाप को स्थानीय वातावरण के अनुसार परिवर्तन का सुझाव है।
- पुस्तक की विषय वस्तु जिंदगी से जुड़ी हुई घटनाओं, समस्याओं और सामायिक घटनाओं से निपटने के उपाय भी है।
- पाठ्यपुस्तक के विषय वस्तु पर आधारित क्रियाकलाप जैसे अवलोकन, खोज, वर्गीकरण, प्रयोग कार्टून बनाना, अंतर ढूंढना, बातचीत करना आदि के द्वारा करने को सुझाव दिया गया है।
- चित्रों और आरेखों का प्रयोग इस तरह से हो कि वे लिखित कार्य के पूरक बन सकें।
- विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के प्रति संवेदनशीलता विकसित करने पर विशेष महत्त्व है।
- पाठ्य पुस्तक में बोलचाल की भाषा के प्रयोग पर बल किया गया है।
- पाठ्य पुस्तक में रूचिकर और व्यावहारिक जीवन से जुड़ी विषय वस्तु का समावेश है।
- स्वयं करके सीखने, अपने विचार प्रकट करने, प्रश्न करने, स्वयं प्रयोग करने आदि को प्रेरित किया गया है।
- क्रियाकलाप संपादित करते समय बच्चों को पूरी स्वतंत्रता और समय देने का प्रावधान है।
- रचनात्मक कार्य करते समय बच्चे की प्रशंसा करने का भी प्रावधान किया गया है।
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