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रूचियों का मापन (Measurement of Interests) रूचि क्या है?
(1) बिघंम – “रूचि वह प्रवृत्ति है जो किसी अनुभव में व्यक्ति को तल्लीन कर ले तथा उस अनुभव में वह व्यक्ति निरन्तर तल्लीन रहे। “
(2) स्ट्राँग – “जब किसी वस्तु के प्रति हम चेतन हों अथवा उसके प्रति प्रतिक्रिया करने को चेतन हों तो हम रूचि की उपस्थिति पाते हैं। जब हम वस्तु को पसन्द करते हैं तो हम उसके प्रति प्रतिक्रिया करने को तैयार रहते हैं किन्तु जब हम उसको नापसन्द करते हैं तो उससे दूर हटते है।”
इस प्रकार रूंचि में किसी वस्तु या उद्देश्य के प्रति आकर्षित होने एवं उसे पसन्द करने तथा उस व्यवहार को पूरा करके सन्तुष्टि की भावना प्राप्त करने की प्रवृत्ति पायी जाती है।
रूचियों के निर्धारक तत्व
- बाल्यकालीन अनुभव (Childhood Experiences)
- सामाजिक स्थिति (Social Status)
- आर्थिक स्तर (Economic Status )
- अभिक्षमता (Aptitude)
- पुरस्कार (Rewards)
- आवश्यकतायें (Needs)
- माता-पिता का प्रभाव (Effect of Parents)
- साथी समूह से सम्बन्ध ( Peer Relation )
- साथी समूह के प्रति अभिवृत्तियाँ (Peer Attitudes)
- शैक्षिक उपलब्धि (Academic Achievement)
- संवेगात्मक अवस्था (Emotional State)
- कार्य के प्रति अभिवृत्ति (Attitude towards Work)
रूचि का सबसे सरल परीक्षण और जो कि सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है, व्यक्ति से इस विषय में पूछना है। विद्यार्थी अथवा प्रयोज्य को व्यवसायों की एक लम्बी सूची दे दी जाती है। और अपनी रूचि के व्यवसाय के आगे निशान लगाने को कहा जाता है। इस सूची को देखकर मनोवैज्ञानिक यह जान लेता है कि विशेष व्यक्ति की किस विशेष व्यवसाय में रूचि है। इस प्रकार की सामान्य सूचियों में उल्लेखनीय सूची मार्गरेट ई० होपौक (Margert E. Hoppock ) की व्यवसायों की चैकलिस्ट (Check List of Occupations) हैं।
रूचि सूचियों द्वारा परीक्षण (Interest Inventories Tests)
परीक्षण परिचय-रूचि सूचियों के निर्माण सम्बन्धी कार्यों का प्रारम्भ व्यवसायों के कारण हुआ। शिक्षा के मध्य में ही मनोवैज्ञानिक व्यक्तियों की व्यवसाय सम्बन्धी रूचियाँ ज्ञात करना चाहते थे। 1920 के उपरान्त इन परीक्षाओं का निर्माण होता दिखायी देता है। धीरे-धीरे स्ट्रांग (Strong), ब्लैक (Blank), क्यूडर (Kuder), (गिलफोर्ड) (Guilford) आदि की रूचि सूचियाँ बनकर तैयार हुई। भारतवर्ष की परिस्थितियों के अन्तर्गत भी यह कार्य काफी जोश के साथ पूरा किया गया। चटर्जी नान लैंगुएज प्रीफ्रेन्स रिकार्ड (Chatterejee’s Non-Language Preference Record) कलकत्ता में सबसे पहले बनकर तैयार हुआ। इसके उपरान्त ई० के० स्ट्रांग की सूची के नमूने पर डी० एस० कालेज अलीगढ़ में झिंगरन और ओझा ने मिलकर एक सूची का निर्माण किया। अब मनोविज्ञानशाला उत्तर प्रदेश तथा लाभसिंह राम पोस्ट ग्रेजुएट कालेज के द्वारा रूचि सूचियाँ बनकर तैयार हुई हैं।
(अ) स्ट्रांग का व्यावसायिक रूचि पत्र
सूचियाँ इस प्रकार की बनाई जाती हैं जिनमें व्यवसाय के साथ-साथ व्यक्तित्व के विभिन्न पक्षों के अभिव्यक्त होने का भी अवसर दिया जाता है। इस प्रकार की सूची का एक उदाहरण स्ट्रांग का व्यावसायिक रूचि का रिक्त पत्र (Strong’s Vocational Interest Blank) है । वयस्क स्त्री-पुरूषों तथा लड़के-लड़कियों के लिये अलग-अलग रिक्त पत्र होते हैं। सम्पूर्ण रिक्त-पत्र आठ भागों में विभाजित होता है जिनका क्रम और विवरण निम्नलिखित है-
- व्यवसाय (Occupation) इसमें 100 पद हैं।
- विद्यालय विषय ( School Subjects) – इसमें 37 पद हैं।
- मनोविनोद (Amusements)।
- क्रियायें (Activities) – इसमे 48 पद हैं।
- व्यक्तियों की विलक्षणतायें (Peculiarities of People) इसमें 47 पद हैं।
- क्रियाओं की प्राथमिकता का क्रम (Order of Preference of Activities) इसमें 40 पद हैं।
- दो कार्यों के मध्य रूचि की तुलना (Comparison of two tasks)।
- वर्तमान योग्यताओं एवं विशेषताओं का मापन (Rating of present abilities and characteristics) – इसमें 40 पद हैं।
इन रिक्त-पत्रों से यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि पत्र भरने वाले की किस व्यवसाय में सफल व्यक्ति की रूचि से मेल खाती है। इस प्रकार की स्ट्रांग की सूची (Inventory) विभिन्न व्यवसायों में सफल व्यक्तियों के तुलनात्मक अध्ययन पर आधारित है।
(ब) क्यूडर व्यावसायिक पसन्द लेखा
व्यावसायिक रूचि परीक्षण का एक अन्य उदाहरण क्यूडर का व्यावसायिक पसन्द लेखा (Cudor-Vocational Preference Record) है। इसमें 168 पद समूह (Item Groups) हैं जिनमें हर एक पद समूह में तीन पद होते हैं। इन तीन पदों में हर एक अलग-अलग व्यवसाय को सूचित करता है। परीक्षार्थी इनमें सबसे अधिक पसन्द और सबसे कम पसन्द पदों को चुनता है। इससे उसकी रूचियाँ मालूम पड़ती हैं। यह परीक्षण जाँचने में अत्यन्त सरल है और विशेष रूप से हाई स्कूल के विद्यार्थियों के लिये उपयोगी है। इसी परीक्षण में वे दस प्रकार की व्यावसायिक रूचियाँ दी गई हैं जिनका उल्लेख आगे उत्तर प्रदेश मनोविज्ञानशाला के व्यावसायिक प्रिफ्रेन्स रिकार्ड के विवरण में दिया गया है। इस परीक्षण में लिखे हये अंकों को लेकर एक पार्श्व चित्र बनाया जाता है। परीक्षार्थी को जिस प्रकार के व्यवसाय से सम्बन्धित क्षेत्र में सबसे अधिक फलांक मिलते हैं उसमें उसी प्रकार की व्यावसायिक रूचि मानी जाती है।
(स) मनोविज्ञानशाला, उत्तर प्रदेश की व्यावसायिक रूचि सूची
इस रूचि परीक्षण में कुल 80 परीक्षण-पद (Test Items) हैं, जो दस भागों में विभक्त हैं।
भाग 3,8,9 तथा 20 में से प्रत्येक में केवल पाँच परीक्षण-पद हैं तथा शेष में से प्रत्येक में 10 परीक्षण पद हैं। इन परीक्षण पदों में कुछ व्यावसायिक क्रियायें दी हुई हैं। प्रत्येक परीक्षण-पद के सम्मुख 2,1,0 अंकित हैं। 2 का तात्पर्य है ‘बहुत पसन्द’, 1 का तात्पर्य है’साधारण पसन्द’ तथा 0 का तात्पर्य है ‘नापसन्द’ । परीक्षार्थी इन तीनों में से किसी एक के चारों ओर गोला बनाकर अपनी पसन्द अथवा नापसन्द आदि को व्यक्त करता है। यदि कोई परीक्षण पद उसे बहुत पसन्द है तो वह दो के चारों ओर गोला बनाता है यथा (2) यदि नापसन्द है तो शून्य के चारों ओर गोला बनाता है यथा (0) तथा साधारण पसन्द होने पर एक के चारों ओर गोला बनाता है यथा (1) इस रूचि-पत्र के लिए कोई प्रतिबन्ध नहीं है।
रूचि मापने की एक अन्य प्रकार की सूची ऐसी होती है जिसमें भिन्न-भिन्न व्यवसायों की प्रक्रिया तथा वास्तविक क्रियाओं का और उनके लिये आवश्यक व्यक्तिगत विशेषताओं और व्यवसाय के महत्व का वर्णन होता है। इस प्रकार की सूची का उदाहरण डनलप की एकेडेमिक प्रिफँस रिकार्ड (Academic Preference Record) है। उत्तर प्रदेश की मनोविज्ञानशाला का वोकेशनल प्रिफ्रेंस रिकार्ड (Vocational Preference Record) भी इस वर्ग में आता है। यह रूचि सूची विभिन्न रूचि क्षेत्रों (Interest areas) का वर्णन करती है। इसमें समस्त व्यवसायों को 10 रूचि क्षेत्रों में बाँटा गया है। इन क्षेत्रों में होने वाली क्रियाओं का सूची में उल्लेख किया जाता है और प्रयोज्य को बहुत पसन्द, साधारण पसन्द तथा नापसन्द इन तीनों में से किसी एक पर निशान लगाना पड़ता है। सब क्रियाओं के निशानों को जोड़कर रूचि का परिपार्श्व चित्र (Profile) बनाया जाता है जिससे व्यक्ति को उसके भावी व्यवसाय के सम्बन्ध में निर्देशन दिया जा सकता है। इस रूचि-पत्र के विभिन्न रूचि क्षेत्र निम्नलिखित हैं-
- घर के बाहर (Out door) के कार्य जैसे मैदानों, जंगलों, बाजारों आदि के कार्य
- यांत्रिक (Mechanical) कार्य
- हिसाब-किताब रखने से सम्बन्धित (Computational) कार्य
- वैज्ञानिक (Scientific ) कार्य
- समझने से सम्बन्धित (Persuasive) कार्य
- कलात्मक (Artistic) कार्य
- साहित्यिक (Literary) कार्य
- संगीत सम्बन्धी (Musical) कार्य
- समाजसेवा (Social Service) कार्य
- लेखा सम्बन्धी (Clerical) कार्य
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