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बहुलांक (Mode) का अर्थ | अवर्गीकृत एवं वर्गीकृत आंकड़ों से बहुलांक ज्ञात करने की विधि

बहुलांक (Mode) का अर्थ | अवर्गीकृत एवं वर्गीकृत आंकड़ों से बहुलांक ज्ञात करने की विधि
बहुलांक (Mode) का अर्थ | अवर्गीकृत एवं वर्गीकृत आंकड़ों से बहुलांक ज्ञात करने की विधि

बहुलांक (Mode) का अर्थ स्पष्ट करते हुए अवर्गीकृत एवं वर्गीकृत आंकड़ों से बहुलांक ज्ञात करने की विधि का वर्णन उदाहरण सहित कीजिए।

केन्द्रीय प्रवृत्ति का तृतीय माप बहलांक है। समूह के प्राप्तांकों में सबसे अधिक बार आने वाला प्राप्तांक बहुलांक कहा जाता है। दूसरे शब्दों में- बहुलांक वह बिन्दु है, जिसकी आवृत्ति श्रेणी में सबसे अधिक होती है। इसे बहुलक और भूयष्टिक भी कहते हैं।

क्रो एवं क्रो के अनुसार- “दिए गए प्रदत्तों के समूह में जो प्राप्तांक बहुधा सबसे अधिक आता है, बहुलांक कहलाता है।

गैरिट के अनुसार- “मापों की सरल अव्यवस्थित श्रेणी में अपरिष्कृत या अनुभवजन्य बहुलांक वह एक मात्र माप या प्राप्तांक है, जो लगातार प्रकट होता है।”

गिलफोर्ड के अनुसार- “बहुलांक निश्चित रूप से एक वितरण में मापन के पैमाने पर सबसे अधिक आवृत्ति वाले बिन्दु के रूप में परिभाषित किया जाता है।”

अवर्गीकृत आँकड़ों में बहुलांक दो प्रकार से ज्ञात किया जा सकता है।-

  1. निरीक्षण द्वारा
  2. मध्यमान तथा मध्यांक के आधार पर।

1. निरीक्षण द्वारा- अवर्गीकृत आँकड़ों या प्राप्तांकों को देखकर ही बहुलांक ज्ञात किया जा सकता है। प्राप्तांकों की आवृत्ति देखकर ही यह अवगत हो जाता है कि इस प्राप्तांक की आवृत्ति अधिक बार हुई है। जिस प्राप्तांक की आवृत्ति अधिक बार होती है, वही प्राप्तांक बहुलांक होता है। यथा-

6, 5, 4, 4, 3, 2, 1

Mode = 4

उदाहरण- निम्नलिखित प्राप्तांकों का बहुलांक ज्ञात कीजिए।

21, 22, 22, 22, 23, 24, 25, 25, 25, 26, 27, 25, 27, 27, 25

हल- उपर्युक्त उद्धरण में निरीक्षण मात्र से स्पष्ट है कि अंक 25 की आवृत्ति सबसे अधिक (5) है। जबकि अन्य प्राप्तांकों की आवृत्ति इससे कम है। अतः इस समूह के लिए बहुलांक 25 होगा।

कुछ विशेष परिस्थितियाँ

(अ) यदि किसी समूह के प्राप्तांकों की आवृत्ति समान है तो उसका बहुलांक नहीं निकाला जा सकता।

उदाहरण- 5,3,7,9, 11, 15, 18, 19, 21, 25 (प्रत्येक अंक 1 बार आता है)

2, 2, 2, 3, 3, 3, 5, 5, 5, 8, 8, 8 (प्रत्येक अंक 3 बार आता है)

(ब) जब समीप के दो प्राप्तांकों की आवृत्तियां समान होती हैं और यदि ये आवृत्तियाँ दूसरे प्राप्तांकों की आवृत्तियों से अधिक हैं तो ‘बहुलांक’ इन दोनों प्राप्तांकों का औसत होता है।

3,3,5,5,7,7,7, 8, 8, 8, 9, 9, 10, 10, 11, 11

यहाँ पर 7 और 8 की आवृत्ति समान है किन्तु अन्य प्राप्तांकों से अधिक है। अतः इस समूह के प्राप्तांकों का बहुलांक 7 + 8/2 = 7.5 होगा।

(स) यदि किसी समूह के दो प्राप्तांकों की आवृत्तियां अपने पास के प्राप्तांकों से अधिक हों और यदि वे दोनों प्राप्तांक एक दूसरे के पास न हों तो इन दोनों प्राप्तांकों को ‘बहुलांक’ माना जायेगा।

मध्यमान तथा मध्यांक के आधार पर बहुलांक ज्ञात करना

सामान्य वितरण में Mean, Median और Mode तीनों का मूल्य समान होता है। अल्पअसमरूप वितरण होने पर तीनों के मूल्यों में पारस्परिक सम्बन्ध पर आधारित निम्नलिखित सूत्र का उपयोग करना चाहिए-

सूत्र-

बहुलांक = 3 मध्यांक- 2 मध्यमान

Mode=3 Median – 2 Mean

वितरण की विषमता पर निर्भर यह सम्बन्ध बहुत स्थूल होता है और उपुर्यक्त सूत्र द्वारा बहुलांक का मूल्य प्रत्येक दशा में सन्तोषजनक नहीं होता है। अत: यह केवल असाधारण अवस्था में ही प्रयोग होता है। यह सत्य बहुलांक के सन्निकट है।

उदाहरण 2- किसी सारणी का मध्यमान 20.2 और मध्यांक 18.8 दिया है तो इसके की गणना कीजिए।

हल- Mode = 3 Median – 2 mean

= (3×18.8 ) – ( 2 x 20.2)

= 56.4-40.4

Mode= 16.0

वर्गीकृत आँकड़ों से बहुलांक ज्ञात करना

वर्गीकृत आँकड़ों से दोनों प्रकार के बहुलांकों की गणना की जाती है-

अपरिष्कृत बहुलांक- जब मान शीघ्र ही ज्ञात करना हो और सत्य बहुलांक मान की आवश्यकता न हो, तो अपरिष्कृत बहुलांक ज्ञात करते हैं। इसके लिए आवृत्ति वितरण में सर्वाधिक आवृत्ति वाले वर्गान्तर को देखा जाता है, जिसे बहुलांक वर्गान्तर कहते हैं। इस वर्गान्तर का मध्यबिन्दु ज्ञात कर लेते हैं। यही अभीष्ट अपरिष्कृत बहुलांक होगा। गिलफोर्ड के अनुसार- “वर्गीकृत आँकड़ों के वितरण में अपरिष्कृत बहुलांक सबसे अधिक आवृत्ति वाले वर्गान्तर का मध्यबिन्दु है। “

उदाहरण- निम्नलिखित आवृत्ति वितरण से अपरिष्कृत बहुलांक की गणना कीजिए-

वर्गान्तर आवृत्ति
36-38 2
33-35 5
30-32 10
27-29 16
24-26 8
21-23 7
18-20 2
  N=50

हल- इसमें सर्वाधिक आवृत्तियाँ 16 है, जिसका वर्गान्तर 27-29 है। अतः यह 27-29 का वर्गान्तर बहुलांक वर्गान्तर होगा। इसका मध्यबिन्दु 28 हुआ। यही इस वितरण का बहुलांक है। इसे ही अपरिष्कृत बहुलांक कहते हैं।

सत्य या वास्तविक बहुलांक- गैरिट ने सत्य बहुलांक के सम्बन्ध में लिखा है- “सत्य या वास्तविक बहुलांक वितरण में सर्वाधिक केन्द्रित बिन्दु (या शीर्ष) है। अर्थात वह बिन्दु है, जहाँ किसी अन्य बिन्दु की अपेक्षा अधिक माप या प्रप्तांक स्थित होते हैं।” इसे ज्ञात करने के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है-

सूत्र-

Mo = L1 + {fa/fa + fb}i

इसमें-

Mo = Mode

L= बहुलांक वाले वर्गान्तर की वास्तविक निम्न सीमा

fa = बहुलांक वर्गान्तर से पूर्व की आवृत्ति

fb = बहुलांक वर्गान्तर से अगले वर्गान्तर की आवृत्ति

i= वर्ग विस्तार

उदाहरण- पिछले उदाहरण के प्राप्तांकों से सत्य बहुलांक की गणना कीजिए-

हल- उदाहरण- 3 के प्राप्तांकों में

L=26.5; fa=10; fb=8; i=3

Mo = L1+ {fa/fa+fb} i= 26.5+ {10 /10+8} x 3

= 26.5+(10/18) x3 = 26.5+ (30 /18)

= 26.5 +1.667

Mo = 28.17

बहुलांक ज्ञात करने का अन्य सूत्र-

Mo = L1+ (f1-f0 /2f1-f0-f2)i  

Mo=mode

L1 = बहुलांक वाले वर्गान्तर की वास्तविक निम्न सीमा

f1= बहुलांक वाले वर्गान्तर की आवृत्ति

f0= बहुलांक वर्गान्तर से की आवृत्ति

f2=बहुलांक वर्गान्तर से अगले वर्गान्तर की आवृत्ति

i = वर्ग विस्तार

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Anjali Yadav

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