लागत लेखों तथा वित्तीय लेखों में अन्तर
लागत लेखों तथा वित्तीय लेखों में अन्तर या असमानताएँ (Dissimilarities in Cost and Financial Accounts) – लागत लेखांकन तथा वित्तीय लेखांकन में कुछ समानताएँ होते हुए भी दोनों लेखाविधियों में कुछ मूलभूत अन्तर है, जो निम्नलिखित हैं :
अन्तर का आधार | लागत लेखांकन | वित्तीय लेखांकन |
उद्देश्य | इसका उद्देश्य उत्पादित वस्तु की कुल एवं प्रति इकाई लागत तथा उस पर लाभ-हानि ज्ञात करना हैं। | इसका उद्देश्य वर्ष के अन्त में लाभ / हानि तथा चिट्ठे द्वारा व्यवसाय की आर्थिक स्थिति ज्ञात करना है। |
क्षेत्र |
ये लेखे सेवा प्रदान करने वाले वस्तु उत्पादित करने वाले औद्योगिक संस्थाओं में रखे जाते हैं तथा सिर्फ उन्हीं वर्षों में अनिवार्य है जब केन्द्रीय सरकार इस आशय की घोषणा करें। |
ये लेखे सभी प्रकार की व्यावसायिक, औद्योगिक तथा अन्य प्रकार की संस्थाओं में रखे जाते हैं। |
लेखा व्यवहारों का स्वभाव | इन लेखों में केवल वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन से सम्बन्धित व्ययों का लेखा किया जाता है। | इन लेखें में सभी वित्तीय व्यवहारों का लेखा किया जाता है। चाहे व्यवहार व्यापारिक हो या गैर-व्यापारिक |
खातों की अनिवार्यता | ये लेखे कम्पनी अधिनिमय की धारा 209 (i) (डी) में वर्णित निर्माणी कम्पनियों के लिए रखने आवश्यक है। | ये लेखे प्रत्येक संस्थान द्वारा कर निर्धारण हेतु रखने अनिवार्य है। |
अंकेक्षक | इन लेखों का अंकेक्षक कुछ विशिष्ट कम्पनियों के अनिवार्य है तथा सिर्फ उन्हीं वर्षों में अनिवार्य है जब केन्द्रयी सरकार इस आशय की घोषणा करें। | ये लेखे सभी प्रकार की व्यावसायिक, औद्योगिक तथा अन्य प्रकार की संस्थाओं में रखे जाते हैं। |
पूर्वानुमान व वास्तविक तथ्य | ये लेखे वास्तविक तथ्य एवं आकड़ों के अतिरिक्त काफी सीमा तक अनुमानों पर ही आधारित होते हैं। | ये लेख वास्तविक तथ्यों तथ्या आंकड़ों पर ही आधारित होते हैं। |
स्वतन्त्र अस्तित्व | इसका अस्तित्व स्वतन्त्र नहीं है। इसकी काफी सूचनाएँ वित्तीय लेखों से लेनी पड़ती है। | इसका अस्तित्व स्वतन्त्र है क्योंकि यह बिना लागत लेखांकन के भी काम कर सकती हैं। |
स्टॉक का मूल्यांकन | इसमें स्टॉक का मूल्यांकन सदैव लागत मूल्य पर होता है। | स्टॉक का मूल्यांकन बाजार मूल्य या लागत मूल्य दोनों में से जो भी कम हो पर किया जाता है। |
अवधि | ये लेखे आवश्यकतानुसार मासिक, त्रैमासिक या अन्य अवधि के लिए भी तैयार किए जाते हैं। | ये लेखे सामान्यतः एक वर्ष की अवधि के लिए तैयार किए जाते हैं। |
श्रम लागत अभिलेख | इन लेखों में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष श्रम का पृथक् पृथक् लेखा किया जाता है। जिससे श्रमिकों की कार्यकुशलता, कार्यहीन काल व अधि-समय का भी ज्ञान हो जाता है। | इन लेखों में श्रमिक को दिए गए। कुल पारिश्रमि का ज्ञान तो हो जाता है परन्तु उनका विश्लेषणात्मक अध्ययन नहीं किया जाता। |
महत्व | ये लेखे वित्तीय लेखों क सहायक लेखे होते हैं। | ये लेखे व्यवसाय के प्रधान लेखे होते हैं। |
नियन्त्रण | इन लेखों में सामग्री व स्टोर के क्रय और इनके निर्गमन पर नियन्त्रण किया जाता है। | इन लेखों में अधिक नियन्त्रण रोकड़ पर है सामग्री व स्टोन पर नहीं। |
सामान्य एवं असामान्य क्षय | इन लेखों में सामान्य एवं असामान्य क्षय की अलग-अलग जानकारी प्राप्त हो जाती है। | इन लेखों में ऐसा कोई वर्गीकरण नहीं किया जाता। |
लागतों का वर्गीकरण | इन लेखों में लागतों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष स्थिर व परिवर्तनशील, नियन्त्रणीय एवं अनियन्त्रणीय लागतों में वर्गीकृत किया जाता है। | इन लेखों में खर्चों का वर्गीकरण इस प्रकार किया जाता है कि सकल लाभ व शुद्ध लाभ ज्ञात किया जा सके। |
परिणामों का समाधान | इन लेखों में दिखाए गए लाभों का वित्तीय लेखों के लाभों से मिलान करना आवश्यक है ताकि अन्तर के कारणों का पता लगाया जा सके। | इन लेखों में इस तरह के मिलान की कोई आवश्यकता नहीं होती। |
निविदा मूल्य | इन लेखों में निविदा मूल्य की गणना करना सरल होता है। | इन लेखों के द्वारा निविदा मूल्य की गणना करना कठिन होता है। |
कार्यकुशलता का ज्ञान | इन लेखों के द्वारा उत्पादन के विभिन्न विभागों की कार्यकुशलता ज्ञात हो जाती है। | इन लेखों के द्वारा ऐसी जानकारी सम्भव नहीं है। |
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