वैदिक शिक्षा की आधुनिक काल में उपयोगिता
ईश्वर भक्ति तथा धार्मिकता की भावना मनुष्य को मानवीय होने के लिए प्रेरित करती है। तथा पशुत्व से बचाने का प्रयास करती है। अब धार्मिक शिक्षा की आवश्यकता पर बल दिया जाने लगा है। अब यह स्पष्ट हो गया है धार्मिकता जीवन की एक शैली है, जो जीवन को उच्च, कर्त्तव्य परायण तथा आदर्श बनाती है। चरित्र निर्माण का उद्देश्य शायद प्राचीन काल से भी आजकल अधिक आवश्यक है। आज तो जैसे देश पर चारित्रिक संकट पैदा हो गया है। प्रत्येक व्यक्ति निजी तथा तुच्छ स्वार्थ के लिए चरित्र को नीलाम करने के लिए तैयार है, ऐसी स्थिति में प्राचीन उद्देश्य, चरित्र निर्माण अपनाना समय की मांग है। व्यक्तित्व का विकास आज की शिक्षा के उद्देश्यों में प्रमुखता से स्वीकार किया गया है पाठ्यक्रम की विविधता के माध्यम से बालक के व्यक्तित्व के विविध पक्षों को विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। अतः यह उद्देश्य तो वर्तमान के लिए उद्देश्यों में सम्मिलित होना उपयोगी है। इसी प्रकार नागरिक तथा सामाजिक कर्त्तव्यों का पालन, सामाजिक विवशता में वृद्धि व राष्ट्रीय संस्कृति का संरक्षण एवं प्रसार वर्तमान काल में उद्देश्य के रूप में स्वीकार किये जा सकते हैं। और भारतीय शिक्षा के वर्तमान उद्देश्यों में इन्हें स्थान दिया गया है। वास्तव में इन्हीं उद्देश्यों के द्वारा व्यक्तियों में नागरिकता का विकास, व्यावसायिक कुशलता तथा सांस्कृतिक विकास किया जा सकता है अतः व्यक्ति तथा देश की उन्नति की जा सकती है।
इस प्रकार गुरुकुल शिक्षा व्यवस्था एक आदर्श शिक्षा व्यवस्था थी। डॉ. एस. एन. मुकर्जी ने ठीक ही लिखा है, “गुरुकुल शिक्षा प्रणाली व्यावहारिक प्रणाली में विश्वास करती थी न कि शिक्षा संस्थाओं में यांत्रिक विधियों द्वारा विशाल पैमाने पर छात्रों के उत्पादन में।” गुरुकुल शिक्षा व्यवस्था इस प्रकार की थी कि जब ब्रह्मचर्य जीवन के पश्चात् गृहस्थ जीवन में बालक प्रवेश करता था तो वह स्वाध्याय में लगा रहता था और गृहस्थ जीवन में परिश्रम और सेवा के महत्व को ध्यान में रखते हुए अपने कर्त्तव्यों का पालन करता था। गुरुकुल शिक्षा व्यवस्था में जो आदर्श उसे प्राप्त होते थे उनके अनुसार ही वह अपने भावी जीवन को सुचारु रूप से व्यतीत करता था और एक आदर्श नागरिक बनता था।
IMPORTANT LINK
- बौद्ध शिक्षण विधि | Buddhist teaching method in Hindi
- मध्यकालीन भारत में शिक्षा संगठन | Education Organization in Medieval India
- मध्यकालीन भारत में शिक्षा के उद्देश्य तथा आदर्श | Objectives and ideals of education in medieval India
- वैदिककालीन शिक्षक के महत्त्व एंव गुरु-शिष्य सम्बन्ध
- वैदिक कालीन शिक्षा व्यवस्था | Vedic period education system in Hindi
- ब्राह्मणीय शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य, विशेषताएँ, गुण एंव दोष
- वैदिक शिक्षा की विशेषताएँ (गुण) | Features of Vedic Education in Hindi
- वैदिक कालीन शिक्षा का अर्थ एंव उद्देश्य | Meaning and Purpose of Vedic Period Education in Hindi
Disclaimer