शिक्षा के क्षेत्र में स्वैच्छिक एजेन्सियों (NGOs) की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
स्वैच्छिक एजेन्सी से आशय ऐसा संगठन जो स्वायत्त परिषद् द्वारा प्रकाशित होता है, जो बैठकें करता है, चंदा एकत्र करता है और इस घन को अपना कार्यक्रम चलाने में सर्च करता है। सर्वशिक्षा अभियान और शिक्षा का अधिकार कानून शुरू होने से पहले भी स्वैच्छिक एजेंसियों गैर सरकारी संगठन शिक्षा के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। स्वैच्छिक एजेन्सियों द्वारा किये गयें प्रयासों को पहचानना SSA ने सभी क्रियात्मक स्तरों पर उसके उद्देश्य को कार्यान्वित करने में स्वैच्छिक एजेन्सियों को लगाने का प्रयास किया। वर्तमान भागीदारियों जो सफलता पूर्वक चल रही है जारी रहेगी और भागीदारी के नए क्षेत्रों की खोज की जा रही है।
आवश्यकता आधारित शैक्षिक कार्यक्रमों को चलाकर शिक्षा का प्रसार करने में गैर सरकारी संगठनों द्वारा की गई पहले सराहनीय है। स्वैच्छिक एजेंसियों की की भूमिका निम्न प्रकार हैं-
(1) शिक्षकों के उत्पीडन को रोकना और उन्हें अपने कर्त्तव्य के उचित निर्वाह में समर्थ करना।
(2) कार्यक्रमों का क्रियान्वयन जैसे शिक्षा गारंटी योजना वैकल्पिक शिक्षा, उपचारी शिक्षा, गैर आवासीय ब्रिज कोर्स तथा आवासीय ब्रिज कोर्स (ग्रामीण शहरी एवं जनजातीय क्षेत्रों में)
(3) विद्यालयों में बच्चों के धारण और नामांकन को बढ़ाने के लिए समाज एवं समुदाय को गतिशील करना विशेष रूप से लड़कियों, अल्प संख्यकों तथा समाज के कमजोर एवं अशक्त खण्डों के बच्चों को।
(4) समुदायों एवं विद्यालयों में बच्चों के बीच स्वास्थ्य, सफाई एवं स्वच्छता कार्यक्रमों को उन्नत करना।
(5) अशक्त बच्चों विशेष जरूरतों वाले बच्चों को एकीकृत शिक्षा को सुसाध्य करने में सहायता देना।
(6) सुनिश्चित करना कि विद्यालयों एवं समुदायों के कार्य भेदभाव रहित हो तथा प्रकृति में धर्म निरपेक्ष हो ।
(7) उनकी शिकायतों के उचित समाधान में विद्यालयों / समुदायों / अभिभावकों का मार्गदर्शन करना ।
(8) विद्यालय प्रबंधन समितियों एवं पंचायती राज संस्थाओं के क्षमता निर्माण एवं नियमित प्रशिक्षण प्रदान करना।
(9) शिक्षा नीतियों, नियोजन, कार्यान्वयन पर शोध एवं चलाए जा रहे कार्यक्रमों का प्रयास एवं मूल्यांकन करना।
(10) विद्यालयों, प्रशिक्षण केन्द्रों, प्रशिक्षण कार्यक्रमों, पाठ्यचर्या एवं मूल्यांकन तकनीकों का निरीक्षण एवं मूल्यांकन करना।
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