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सामाजिक विज्ञान का अभिप्राय बताइये ।
सामाजिक विज्ञान दो शब्दों के मेल सामाजिक विज्ञान से बना हैं। इसमें सभी सामाजिक क्रियाओं का विज्ञान किया जाता है। इससे तात्पर्य हैं समाज का, समाज के लिये, समाज द्वारा अध्ययन विज्ञान शब्द से तात्पर्य हैं प्राप्त ज्ञान को क्रमबद्ध रूप से जीवन में प्रयुक्त करना। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सामाजिक विज्ञान मानव के सभी दृष्टिकोणों का सम्पूर्ण विज्ञान प्रस्तुत करता हैं जो मानव सभ्यता के विकास की श्रृंखला समझा जाता हैं। इसका स्वरूप जटिल, विशाल तथा व्यापक हैं। इसमें सभी सामाजिक संस्थाओं व संगठनों के विकास का विज्ञान किया जाता है। इसमें मानव जीवन के भूत, वर्तमान तथा भविष्य का विज्ञान किया जाता हैं। इसमें सभी विषय राजनीति शास्त्र, समाज शास्त्र, अर्थशास्त्र इतिहास, भूगोल के आधारभूत सिद्धान्तों का विज्ञान किया जाता है।
सामाजिक विज्ञान विभिन्न विषयों का मिश्रण नहीं बल्कि एक अलग विषय है जो मानवीय सम्बन्धों तथा वातावरण के सामंजस्य की जानकारी देता है। यह लोकतान्त्रिक नागरिकों का निर्माण करता है, देश प्रेम की भावना को विकसित करता है। राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना का विकास करता है। यह एक स्वतन्त्र विषय है। इस प्रकार यह एक अनुशासित विषय है जिसकी सामग्री मानव ज्ञान व अनुभवों पर आधारित है।
सामाजिक विज्ञान शिक्षण शास्त्र के उद्देश्य
- समाज एवं राष्ट्रप्रेम की भावना पैदा करना।
- ऐतिहासिक स्थलों, इमारतों के प्रति गर्व एवं सम्मान का भाव पैदा करना ।
- स्थानीय स्वशासन की महत्ता को समझकर उसके प्रति आदर भाव पैदा करने की क्षमता पैदा करना !
- समाज विज्ञान के लिए बालकेंद्रित, अनुभव आधारित, क्रियाशीलन आधारित तथा दक्षता आधारित ।
- शिक्षण कौशल का विकास करना।
- पृथ्वी की विविधताओं एवं विशेषताओं की समझ विकसित करना।
- पर्यावरण के प्रति सौंदर्यबोध एवं संरक्षण का भाव पैदा करना।
- प्रकृति को विश्लेषणात्मक तरीके से देखने की समझ उत्पन्न करना ।
- भूमण्डलीकरण के दौर में कदम-से-कदम मिलाकर चलने की आवश्यकता क्यों? की समझ पैदा करना ।
- प्रारंभिक कक्षा के शिक्षकों का कक्षा एक से आठ तक के सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रम से परिचय ।
- कक्षा एक से आठ तक वर्णित विषय वस्तुओं का सही अवधारणा उत्पन्न करना तथा बच्चों में इन अवधारणाओं की स्पष्टता हेतु प्रयत्नशील रहने की भावना पैदा करना।
- भारतीय परंपरा में निहित जीवनदर्शन से परिचय कराना एवं इसके प्रति आदर भाव पैदा करना ।
- समाज एवं राष्ट्र प्रेम की भावना पैदा करना ।
- सामाजिक तथा लैंगिक समस्याओं की पहचान कर उसके प्रति संवेदनशील
सामाजिक विज्ञान का शिक्षण किन विषयों पर केंद्रित होना चाहिए
सामाजिक विज्ञान की परिभाषा करने में किसी भी परिप्रेक्ष्य के अविवादित वक्तव्य के बच निकलने की गुंजाइश रहती है क्योंकि इसमें इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, सामाजिक विज्ञान और मानवविज्ञान से ली गई अंतर्वस्तुएं शामिल होती हैं। अपने परिपेक्ष्य तथा प्राविधि के साथ ये सभी विषय स्वतंत्र रूप से विकसित हुए हैं। विषयों को खानों में बंटने से रोकने के लिहाज से इनकी सीमाओं को विस्तृत करने तथा समग्रतामूलक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है जिससे विद्यार्थियों में अपनी तथा दूसरों की संस्कृति के प्रति जागरुकता बढ़ाई जा सके तथा बहुलतावादी समाज की समझ, सर्वव्यापी मानवाधिकारों, बाल अधिकारों, लैंगिक संवेदनशीलता, सामाजिक न्याय तथा संविधान में अंतर्निविष्ट सिद्धांतों को प्रोत्साहन दिया जा सके। यह काम बहुविधायी है जिसकी प्रमुख विशेषता विभिन्न संस्कृतियों के लोगों के बीच समझदारी, स्वीकार्यता, सहानुभूति तथा सृजनात्मक एवं सामंजस्यपूर्ण संबंध है।
सामाजिक विज्ञान का शिक्षण इन विषयों पर केंद्रित होना चाहिए-
- अवधारणा निर्माण,
- ज्ञान,
- कौशल तथा क्षमता और
- मूल्यबोध ।
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