अरस्तू व प्लेटों के नागरिकता के सम्बन्ध में विचार भिन्नता की विषय वस्तु बताइये।
नागरिकता के सम्बन्ध में अरस्तू के विचार प्लेटों से भिन्न हैं-
1. प्लेटो ने अपने ग्रन्थ ‘रिपब्लिक’ में आदर्श राज्य में निवास के आधार पर नागरिकता के अधिकार का समर्थन किया है। उसके अनुसार अशिक्षित व अराजनीतिक व्यक्ति भी नागरिक हैं, जबकि अरस्तू ने नागरिकता का आधार निवास स्थल न मानते हुए, राज्य में रहने वाले दासों व श्रमिकों को नागरिकता के अधिकार से वंचित रखा है।
2. प्लेटो ने अच्छे व्यक्ति तथा अच्छे नागरिक में भेद नहीं किया, किन्तु अरस्तू इस मत से सहमत नहीं है। उसके अनुसार एक अच्छे व्यक्ति के गुण सदा समान रहते हैं। किन्तु एक अच्छे नागरिक के गुण संविधान के स्वरूप के अनुसार बदल सकते हैं।
3. प्लेटो शासन-क्षमता के सैद्धान्तिक पक्ष पर बल देते हुए दार्शनिक राजा के लिए ज्ञान प्राप्ति को आवश्यक मानता है, जबकि अरस्तू-नागरिक की व्यावहारिक शासन योग्यता का पक्ष होता है।
4. प्लेटो के अनुसार शासन की योग्यता केवल दार्शनिक राजा तक सीमित है किन्तु अरस्तू ने इसे विस्तृत रूप दिया है।
फिर भी नागरिकता के सम्बन्ध में दोनों ही विचारकों के विचार उदार नहीं हैं। अरस्तू की तरह प्लेटो ने भी उत्पादक वर्ग को न्याय व विधि-निर्माण के कार्यों से वंचित रखा है। इसके अतिरिक्त अरस्तू ने नागरिक होने के लिए जो गुण बताए हैं, वे प्लेटो के केवल दार्शनिक राजा (अभिभावक वर्ग) में ही पाए जाते हैं।
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