उपचारात्मक शिक्षण की अवधारणा लिखिए। उपचारात्मक शिक्षण के उद्देश्य बताइये।
शिक्षक छात्र की विषयगत कमजोरी का पता लगाकर उस कमजोरी का कारण ज्ञात करता है। अध्यापक की इस क्रिया को निदानात्मक परीक्षण कहते है। निदानात्मक परीक्षण के लिए अध्यापक एक विशेष प्रकार का परीक्षण पत्र तैयार करता है। उस परीक्षण पत्र में विशेष प्रकरण से सम्बन्धित सभी स्तर के मौखिक व लिखित परीक्षा के प्रश्न होते है। छात्र उन सभी प्रश्नों को सही ढंग से हल करें। यदि किसी प्रकरण में प्रश्नों का उत्तर सही नहीं हो, तो छात्र उसमें कमजोर है। यह मानकर उपचारात्मक शिक्षण कराया जाता है, निदानात्मक परीक्षण द्वारा बालक की कमजोरी दूर करने के लिए जो विशेष शिक्षण कराया जाता है। उसे उपचारात्मक शिक्षण कहते है।
यदि कक्षा में एक-दो बालक ही प्रकरण विशेष में कमजोर हो तो उनका शिक्षण वैयक्तिक किया जाता है। इसके विपरीत यदि कक्षा में अधिकांश बालक कमजोर हो तो सामूहिक उपचारात्मक शिक्षण कराया जाता है।
उपचारात्मक शिक्षण के उद्देश्य :
- छात्र-छात्राओं के अर्द्वन्दों का समाधान
- ज्ञान प्राप्ति के मार्ग में बालक की अशुद्धियों का निराकरण
- छात्र की शारीरिक, मानसिक अक्षमताओं को दूर करना
- अच्छी आदतों का विकास व ठीक दिशा में परिवर्तन
- शैक्षणिक उपचार का मुख्य प्रयोजन शैक्षणिक कठिनाइयों का निराकरण है ।
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