एक आदर्श लागत लेखांकन पद्धति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए। लागत लेखों तथा वित्तीय लेखों का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
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एक आदर्श लेखा प्रणाली की विशेषताएँ
एक आदर्श लेखा प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ, तत्त्व एवं लक्षण निम्नलिखित हैं-
1. सरलता- एक आदर्श लेखा प्रणाली की एक उत्कृष्ट विशेषता यह है कि यह सरल हो तथा बिना किसी कठिनाई के आसानी के सभी सामान्य व्यक्तियों की समझ में आ सके। लागत प्रणाली में लागत व्ययों का वर्गीकरण एवं विश्लेषण सरल होना चाहिए ताकि उत्पादित वस्तु की वास्तविक लागत आसानी के साथ ज्ञात की जा सके।
2. लोचपूर्ण- एक आदर्श लागत लेखा प्रणाली लोचपूर्ण होनी चाहिए ताकि उद्योग की आवश्यकतानुसार लागत लेखा प्रणाली में भी परिवर्तन आसानी के साथ किया जा सके।
3. उद्योग एवं व्यवसाय के अनुकूल- प्रत्येक उद्योग एवं व्यवसाय की अपनी अपनी समस्याएँ, परिस्थितियाँ तथा आवश्यकताएं अलग-अलग होती हैं, अतः आदर्श लागत लेखा पद्धति लागत लेखा की उस पद्धति को ही कह सकते हैं जो उद्योग एवं व्यवसाय की आवश्यकता के अनुकूल हो ।
4. रख- रखाव मितव्ययी उस लागत लेखा प्रणाली को ही हम आदर्श लागत लेखा प्रणाली कह सकते हैं, जिसके रख-रखाव एवं संचालन पर अधिक व्यय नहीं करना पड़े। लेकिन मितव्ययी का अर्थ यह कदापि नहीं है कि लेखों को रखने में कंजूसी की जाय वरन् मितव्ययिता से हमारा आशय यह है कि अनावश्यक व्यय, बर्बादी एवं फिजूलखर्ची न हो।
5. लेखों की शुद्धता- लागत लेखा की आदर्श प्रणाली में लेखे की शुद्धता का गुर होना आवश्यक है, इसके अभाव में लागत लेखा रखना व्यर्थ है। यहाँ लेखों का शुद्ध होना ही पर्याप्त नहीं है वरन् उनके प्रस्तुतीकरण का ढंग भी विश्लेषणात्मक एवं रोचक होना चाहिए ताकि प्रत्येक बात स्पष्ट हो सके।
6. कार्य का विभाजन- आदर्श लागत लेखे की यह एक महत्त्वपूर्ण विशेषता होती है कि कार्य को उसके प्रवृत्ति के अनुसार विभागों में बाँटा जाना चाहिए। जब कार्य अनेक विभागों में विभक्त हो जाता है तो उसका नियंत्रण एवं निरीक्षण आसान हो जाता है। लागत लेखांकन यह सेवा उपलब्ध कराने में सहायक होना चाहिए।
7. तुलनात्मक अध्ययन की क्षमता- लागत लेखा प्रणाली इस प्रकार की होनी चाहिए, जिससे लागत का तुलनात्मक अध्ययन किया जा सकें तथा उस तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर महत्त्वपूर्ण निर्णय निकाले जा सके। यदि यह गुण लागत लेखा प्रणाली में नहीं है तो उसे आदर्श प्रणाली नहीं कहा जा सकता।
8. व्यय भार का माप- लागत लेखांकन का एक प्रमुख उद्देश्य यह होता है कि वह व्यय भार का माप कर सके। भिन्न-भिन्न कार्यों एवं विभागों में किस किस प्रकार के व्ययों का भार कितना पड़ा है? इसकी समुचित जानकारी एक आदर्श लागत लेखा प्रणाली से प्राप्त होनी चाहिए।
9. प्रति इकाई लागत का ज्ञान – एक आदर्श लागत लेखा प्रणाली की यह विशेषता होती है कि शीघ्र ही एवं सरलता से प्रति इकाई लागत ज्ञात किया जा सकता है।
10. वित्तीय लेखों से मिलान करना-लागत लेखा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए जिससे उसका मिलान वित्तीय लेखों से किया जा सके। अन्यथा वह प्रणाली आदर्श प्रणाली नहीं मानी जायेगी।
लागत लेखों तथा वित्तीय लेखों का तुलनात्मक अध्ययन
लागत लेखों तथा वित्तीय लेखों में अन्तर के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
( 1 ) उपरिव्ययों में अन्तर- लागत लेखों एवं वित्तीय लेखों में उपरिव्यय भिन्न-भिन्न लिखे जाते हैं इससे लागत लेखे अधिक लाभ दिखाते हैं तथा वित्तीय लेखे कम लाभ दिखाते हैं।
( 2 ) अन्तिम स्कन्ध के मूल्यांकन में अन्तर- लागत लेखों में अन्तिम स्कन्ध का मूल्यांकन लागत मूलय पर किया जाता है, जबकि वित्तीय लेखों में अन्तिम स्कन्ध का मूल्यांकन बाजार मूल्य अथवा लागत मूल्य उनमें जो भी कम मूल्य हो, के आधार पर किया जाता है।
( 3 ) ह्वास चार्ज करने में अन्तर – लागत पद्धति में ह्रास चार्ज करने की अवधि एवं पद्धति में अन्तर होता है अतएव लाभों में अन्तर आ जाता है।
( 4 ) लाभ समायोजन की मदें- आयकर, देय लाभांश, संचय की राशि तथा ख्याति लागत लेखों में नहीं दिखायी जाती परन्तु वित्तीय लेखों में दिखायी जाती है।
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