शिक्षाशास्त्र / Education

कम्प्यूटर का अर्थ, विशेषतायें और सीमायें (दोष)

कम्प्यूटर का अर्थ, विशेषतायें और सीमायें (दोष)
कम्प्यूटर का अर्थ, विशेषतायें और सीमायें (दोष)

कम्प्यूटर का अर्थ, विशेषतायें और सीमायें (दोष) बताइये।

कम्प्यूटर का अर्थ

कम्प्यूटर- संगणक अथवा कम्प्यूटर एक इलैक्ट्रानिक्स मशीन हैं जिसे यंत्रीकरण द्वारा मस्तिष्क देकर इस प्रकार संगठित कर दिया जाता हैं कि वह विभिन्न ही समस्याओं के हल से संबंधित सूचनाएँ देने में सक्षम हो जाता हैं और वह भी कुछ. समय में कम्प्यूटर तकनीकी में मानव एवं मशीन के मध्य संचार की अंतः प्रक्रिया सम्पन्ना होती हैं। कम्प्यूटर विज्ञान काफी अंशो तक अनुभव तथा परीक्षण का विज्ञान हैं जिसमें सिद्धान्तों पर आधारित प्रक्रियाओं के अध्ययन के साथ-साथ विधियों को भी कार्यान्वित किया जाता हैं।

कम्प्यूटर एक अति श्रेष्ठ संगणक हैं। इसमें सूचनाओं के संग्रह की अपूर्व क्षमता होती हैं। यह अपने भीतर बहुत बड़ी मात्रा में सूचनाओं एवं आँकड़ो का संग्रह कर सकता हैं और आवश्यकता पड़ने पर सूचनाओं को प्रदान कर सकता हैं। कम्प्यूटर में सूचनाओं को संग्रहित करने के लिए सबसे पहले सूचनाओं या समस्याओं को कम्प्यूटर की भाषा में अनुदित करना पड़ता हैं ताकि वह उसे समझ सके और अपने भीतर संग्रहित कर सके। कम्प्यूटर की प्रचलित भाषा बेसिक, कोबाल, फोरट्रान पी. ए. पी. एल. आदि हैं। सूचनाओं का उपयोग कम्प्यूटर कर सके, इसके लिए उसमें आवश्यक सूत्रों एवं प्रक्रियात्मक पदों को भी भरा जाता है सम्बन्धित सूचनायें कम्प्यूटर को दी जाती हैं तब वह सूचनाओं को परिचालित करता हैं, उससे सही उत्तर प्राप्त कर उत्तरों को टेलीटाइपराइटर के माध्यम स्क्रीन पर अथवा कागज पर अंकित करता हैं।

कम्प्यूटर की कार्य प्रणाली

कम्प्यूटर की कार्य प्रणाली उसके पाँच बुनियादी अंगो पर निर्भर हैं-

(i) अदा उपकरण (ii) प्रदा उपकरण (iii) स्मृति भंडार (iv) परिकलन इकाई (v) नियंत्रण इकाई

अदा उपकरण दी गई सूचनाओं को कम्प्यूटर की भाषा में जिसे वह समझाता हैं, अनूदित करता हूँ प्रदा उपकरण कम्प्यूटर में किये गये परिकलन और उससे उपलब्ध उत्तरों को पुनः हम सभी द्वारा समझी जाने वाली भाषा में अनुदित करता हैं और हमारे सामने मुद्रित रूप मैं या स्क्रीन पर चित्रित रूप में प्रस्तुत करता हैं। स्मृति भण्डार कक्ष में कम्प्यूटर से भरी गयी सभी जानकारियाँ कम्प्यूटर की भाषा में एकत्रित रहती हैं परिकलन इकाई सूचनाओं का परिकलन करती हैं। यह इकाई गणित की सभी प्रक्रियाएँ, जैसे जोड़ना, घटाना, गुणा करना आदि कर सकती हैं। यह इकाई भण्डारण कक्ष में रखी गई सूचनाओं में से वांछित सूचना को चुनकर हमें प्रदान कर सकती हैं। कम्प्यूटर में दिए गए उपकरण प्रोग्राम के अनुसार नियंत्रित होते हैं।

कम्प्यूटर की विशेषताएँ

कम्प्यूटर की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

1. गति- कम्प्यूटर कल्पनानीत गति से कार्य करने वाला यंत्र है। अपनी गति के कारण इसने अनेक असम्भव प्रतीत होने वाले वैज्ञानिक प्रोजेक्टरों को सम्भव बनाया हैं एक शक्तिशाली कम्प्यूटर 18 अंक की 2 संख्याओं को 300 से 400 नैनो-सेकेण्ड में जोड़ देता हैं अर्थात् वह 30 लाख गणनाएँ प्रति सेकेण्ड में करता हैं।

2. भण्डारण- कम्प्यूटर ने सूचनाओं के विस्फोट को बाँध लिया हैं। यह कार्य वह अपनी संग्रह इकाई या स्मृति के द्वारा करता है। ज्ञान व सूचना का कोई भी अंश केन्द्रीय परिकलन इकाई के द्वारा बहुत शीघ्र प्राप्त किया जा सकता है। केन्द्रीय परिकलन इकाई में आंतरिक स्मृति ज्ञ ग्रा ज्ञ मॉड्यूल्स निर्मित होते हैं। जहाँ ज्ञ1024 संग्रह स्थितियों के बराबर होता हैं।

3. परिशुद्धि- कम्प्यूटर की गणना एकदम सही होती हैं। यदि कोई त्रुटि होती हैं तो वह कम्प्यूटर के कारण न होकर प्रोग्रामर एवं कम्प्यूटर चालक के कारण होती हैं।

4. बहुविज्ञता- कार्यों को यदि तर्कपूर्ण ढंग से पदनुक्रमित कर दिया जाय तब कम्प्यूटर किसी भी प्रकार का कार्य करने में समर्थ हैं।

5. स्वचालित- कम्प्यूटर एक स्वचालित यन्त्र हैं। एक बार आदेशानुसार काम शुरू हो जाने पर प्रोग्राम के अन्त तक कम्प्यूटर अपना कार्य बिना किसी बाहरी सहायता के समाप्त कर लेता है।

6. कर्मनिष्ठता- मशीन होने के कारण कम्प्यूटर मनुष्य की तरह न थकता है। और न ही उसका ध्यान ही भंग होता है। यदि उसे लाखों गगनाएँ करनी हैं। तो वह उन गणनाओं को उसी गति के साथ और सही-सही करने की क्षमता रखता हैं जैसा कि उसने पहली गणना के समय किया था।

प्रारम्भ में कम्प्यूटरों को केवल गणना करने वाली मशीन ही माना जाता था किन्तु बाद में देखा गया कि वे गणना से कुछ अधिक कार्य कर सकते हैं। कम्प्यूटर जटिल-से-जॅटिल समस्याओं को हल कर सकता है बति प्रोग्रामर समस्याओं को सरल अंकीय भाषा में बदल लें। वास्तव में, कम्प्यूटर जड़ बुद्धि होते हैं। वे मानवीय गुणों की भावात्मक अभिव्यक्ति को पूरी तरह नहीं समझते हैं। उनको अपनी कुछ सोच नहीं होती। कम्प्यूटर केवल संख्या की भाषा ही समझता हैं। कम्प्यूटर की विभिन्न विशिष्ट शब्दावलियाँ, चिकित्सा, शिक्षा, पुस्तकालय, विज्ञान, व्यापार आदि सम्बन्धी भाषा समझने के लिए उन्हें गणितीय भाषा में परिवर्तित करना पड़ता हैं। अधिकांश कम्प्यूटर आंतरिक शब्दकोषों के जरिये अनेक भाषाएँ समझ सकते हैं। मशीन नई भाषा को अपनी संख्यात्मक भाषा में बदल देती हैं। वह इसी प्रकार अपनी गणना करती हैं और इनपुट भाषा में अपने काम का अनुवाद करके परिणाम रख देती हैं।

आज सैकड़ो कम्प्यूटर भाषाएँ है जो मूल अंकगणितीय भाषा से बनी हैं, जिनके द्वारा प्रोग्रामर संख्याओं की भाषा कम्प्यूटर की समस्या पेश करते है। पुस्कालय विशेषज्ञों द्वारा ‘स्नोबल’ जैसी चीज का प्रयोग किया जाता हैं। ‘अलगोल’ एक अन्तर्राष्ट्रीय कम्प्यूटर भाषा हैं जो वैज्ञानिक और इंजीनियरी समस्याओं को प्रकट करती हैं। कम्प्यूटरों में नित्य विकास हो रहा हैं अतः नए तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर पुराने गॉडलों की अपेक्षा कहीं अधिक तेजी से कार्य कर सकने में सामर्थ हो सकेंगे।

कम्प्यूटर की सीमाएँ (दोष) (Limitation of Computer)

कम्प्यूटर की सीमाएँ निम्नलिखित है-

  1. कम्प्यूटर के प्रयोग से बेरोजगारी बढ़ी है।
  2. कम्प्यूटर के प्रयोग से मौखिक अभ्यास के अवसर प्राप्त नहीं होते हैं ।
  3. छात्रों में चारित्रिक, नैतिक व कलात्मक क्षमता का विकास नहीं हो पाता है।
  4. छात्रों के स्वतन्त्र चिन्तन का विकास नहीं हो पाता है।
  5. आंकिक, यौगिक गणनाओं में विद्यार्थी अक्षम हो जाते हैं क्योंकि उन्हें कम्प्यूटर द्वारा गणनाओं को करने की आदत पड़ जाती है।
  6. छात्रों में सामाजिक व सामुदायिक भावना का विकास नहीं हो पाता है।
  7. प्रशिक्षित शिक्षकों के अभाव में कम्प्यूटर अनुदेशन प्रदान करना कठिन है।
  8. यह अत्यन्त व्ययसाध्य प्रणाली है।
  9. विद्युत के अभाव में इसका प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
  10. स्थान का अभाव होने के कारण इन्हें सभी विद्यालयों में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता है
  11. इनके प्रयोग से अध्यापक व छात्र के मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों का अभाव रहता है।

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Anjali Yadav

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