कम्प्यूटर की सहायता से अनुदेश का अर्थ तथा शिक्षण प्रक्रिया में सीधी शिक्षण के अनुप्रयोग को स्पष्ट कीजिए।
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कम्प्यूटर की सहायता से अनुदेश का अर्थ
आजकल कम्प्यूटर का उपयोग शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में काफी हद तक हो रहा है। कम्प्यूटर के शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में इस प्रकार के उपयोग को ‘कम्प्यूटर की सहायता से अधिगम’ (Computer Assisted Learning) के नाम से जाना जाता है।
कम्प्यूटर को शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया में साधारणतया दो प्रकार की परिस्थितियों में उपयोग किया जाता है—
- (अ) शिक्षक के प्रतिस्थापक के रूप में (The Substitute Mode )
- (ब) अनुकरणीय प्रयोगशाला के रूप में (The Simulated Laboratory Mode)
कभी-कभी उपर्युक्त दोनों उपयोग एकसाथ भी किये जाते हैं।
(अ) शिक्षक के प्रतिस्थापक के रूप में- इस रूप में कम्प्यूटर शिक्षक के स्थानापन्न का कार्य करता है। इस रूप में छात्र सीधे कम्प्यूटर से व्यवहार करता है। कम्प्यूटर को पहले से ही छात्रों के प्रश्नों के उचित उत्तर देने के लिए नियोजित (प्रोग्राम्ड) कर दिया जाता है। कम्प्यूटर के माध्यम से छात्रों को अधिगम ज्ञान (learning information) या विषय-वस्तु क्रमवार प्रस्तुत की जाती है तथा उस लघु विषय-वस्तु की जानकारी देने के पश्चात् उस पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं। यदि छात्र प्रश्न का सही उत्तर दे देता है, तो उसे अगली विषय-वस्तु ‘प्रस्तुत की जाती है और यदि वह प्रश्न का उत्तर गलत देता है तो उसकी गलती पर ध्यान दिलाने के लिए तथा उसे सुधारने के लिए अतिरिक्त, उचित एवं आवश्यक विषय-वस्तु फिर प्रस्तुत की जाती है। जब तक छात्र अपनी गलती सुधार नहीं लेता तब तक उसे अतिरिक्त विषय-वस्तु प्रस्तुत की जाती है।
जब कम्प्यूटर का उपयोग इस प्रकार के स्व-अध्ययन में किया जाता है तो छात्रों के उत्तरों का प्रकार कम्प्यूटर एवं कम्प्यूटर प्रोग्राम पर अधिक निर्भर करता है। एक सामान्य कम्प्यूटर प्रोग्राम छात्र को दिये प्रश्न की उत्तर देने के लिए बहुविकल्प के रूप में दिये उत्तरों में से एक उत्तर चुनने के लिए बाध्य कर सकता है। जबकि एक अन्य प्रकार का कम्प्यूटर प्रोग्राम छात्रों को अपने स्वयं के शब्दों में उत्तर देने (free response) के लिए बाध्य कर सकता है। ऐसी स्थितियों में कम्प्यूटर को मुख्य शब्द (Key Words) या अंक ज्ञात करने के लिए प्रोग्राम कर दिया जाता है।
(ब) अनुकरणीय प्रयोगशाला के रूप में- इस रूप में कम्प्यूटर के उपयोग में कम्प्यूटर का सीधे शिक्षण-साधन के रूप में अधिक उपयोग न करके अधिगम साधन के रूप में अधिक उपयोग करते हैं। इस उपयोग के लिए कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग के द्वारा ‘Practical Situations’ को कम्प्यूटर में feed कर दिया जाता है। तथा छात्रों को इन ‘Practical Situation’s पर अधिगम सहायता, सामग्री के रूप में प्रदान की जाती हैं। अनुकरणीय प्रयोगशाला के रूप में कम्प्यूटर का उपयोग उस समय अधिक उपयुक्त हो जाता है जहाँ-
- रूढ़िवादी व्यावहारिक प्रदर्शन या तो बहुत अधिक कठिन है या असम्भव है।
- आवश्यक उपकरण या मशीन शीघ्र उपलब्ध नहीं है, या सामान्य कक्षा के लिए बहुत कीमती है।
- वास्तविक परिस्थिति की जाँच करने में अनावश्यक अधिक समय लगता है।
अनुकरणीय प्रयोगशाला के रूप में कम्प्यूटर के उपयोग से वे अधिगम अनुभव भी प्राप्त किये जा सकते हैं, जो कि शायद वास्तविक परिस्थितियों में प्राप्त करना असम्भव है। उदाहरण के लिए, इसका उपयोग छात्र मानव जेनिटिक्स, सूक्ष्म अर्थशास्त्र तथा समाजशास्त्र के क्षेत्र में अनुकरणीय प्रयोग कर सकता है, जोकि जातीय अर्थशास्त्रीय या अन्य कारणों से असम्भव है।
कम्प्यूटर की सहायता से अनुदेशन का अनुप्रयोग
आजकल कम्प्यूटर का प्रयोग प्रशासनिक एवं व्यवस्थापकीय सहायक के रूप में कॉफी प्रचलित है। उदाहरण के लिए, शिक्षकों एवं अन्य कर्मचारियों के वेतन भुगतान में समय सारणी बनाने में आदि। इस प्रकार के कम्प्यूटर उपयोग को कम्प्यूटर व्यवस्थापित अधिगम (Computer Managed Learning) के नाम से जाना जाता है।
इसका उपयोग कम्प्यूटर की शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया में सीधा उपयोग न करके, इसका उपयोग शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में एक सहायक के रूप में किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि शिक्षक को उनके कक्षा व्यवस्थापक या विद्यालय व्यवस्थापन या अन्य प्रशासनिक क्रियाकलापों में लगनेवाले समय से मुक्त कर दें तथा यह कार्य कम्प्यूटर की सहायता से कर लें तो शिक्षक अपना यह मुक्त हुआ समय कक्षा में शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया को और अधिक शक्तिशाली बनाने में लगा सकता है।
इस प्रकार के कम्प्यूटर उपयोग का कार्य मुख्य रूप से लिपिकीय है। साधारणतया कम्प्यूटर के प्रशासनिक एवं व्यवस्थापकीय उपयोग निम्न प्रकार के हैं-
- यह प्रश्न पत्र बना सकता है, उसकी जाँच कर सकता है तथा प्रश्न-पत्र के अंकों को सुधारात्मक या मूल्यांकन के उद्देश्य से विश्लेषित तथा वर्णित कर सकता है।
- यह परीक्षा मूल्यांकन के आँकड़ों को इकट्ठा तथा समय-समय पर व्यवस्थित कर सकता है।
- यह समय सारणी बनाने में शिक्षकों की सहायता कर सकता है।
- यह शिक्षकों के वेतन बनाने, उनके उपस्थिति रजिस्टर को पूर्ण करने, उनकी समय-सारणी का निर्माण करने आदि अनेक लिपिकीय स्तर के कार्यों में सहायता प्रदान कर सकता है।
उपर्युक्त वर्णन से यह स्पष्ट है कि कम्प्यूटर आज हमारी दिनचर्या का एक अभिन्न अंग बन गया है। कम्प्यूटर की जानकारी (Computer Literacy) आज एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता बन गयी है। कम्प्यूटर के महत्व को देखते हुए आवश्यक हो गया है कि कम्प्यूटर की शिक्षा को धीरे-धीरे सेकेण्डरी स्तर के पाठ्यक्रम में शामिल कर दिया जाय।
इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए वर्ष 1984-85 ई. में चुने हुए 248 स्कूलों में छात्रों में कम्प्यूटर ज्ञान देने के उद्देश्य से स्कूलों में कम्प्यूटर जानकारी एवं अध्ययन (Computer Literacy and Studies in Schools, Class) के नाम एक परियोजना आरम्भ की गयी। इसके कुछ समय पश्चात् इसके लाभ को अन्य स्कूलों में भी बढ़ाने के उद्देश्य से इस परियोजना के अन्तर्गत 2,572 स्कूलों को और शामिल किया गया। इस परियोजना के तहत प्रत्येक स्कूल को पाँच बी. बी. सी. ए. सी.ओ.आर. एन. (BBCACORN) माइक्रो कम्प्यूटर प्रणालियाँ उनके अन्य साधनों के साथ प्रदान की गयीं। इस परियोजना के मुख्य उद्देश्य है-
- छात्रों को कम्प्यूटर के बारे में विस्तृत जानकारी देना ।
- छात्रों को स्वयं प्रयोग करके जानकारी / ज्ञान देना ।
- मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं में कम्प्यूटर के विभिन्न उपयोगों के बारे में अनुभव देना ।
- कम्प्यूटर के सम्बन्ध में फैले विभिन्न भ्रमों को दूर करना।
- अपने वातावरण के अनुसार कम्प्यूटर के उपयोग के सम्बन्ध में ज्ञान देना ।
आधुनिक युग में ज्ञान का विस्फोट अभूतपूर्व ढंग से हुआ है और इस ज्ञान के प्रसार को मानव के मस्तिष्क में जगह मिलना मुश्किल होता जा रहा है। अतः उसके संरक्षण एवं उपयोग के लिए मनुष्य को संगणकों का उपयोग करना अपरिहार्य है।
आधुनिक युग में लोगों की आवश्यकताएँ बढ़ रही हैं उसके लिए आवश्यक है कि वे. तमाम ज्ञान के प्रति अपने को जागरूक रखें और आवश्यकतानुसार उसका उपयोग करें। यदि कार्य संगणक के माध्यम से ही सम्भव है।
शिक्षा के क्षेत्र में यह अति आवश्यक है कि ज्ञान को संचित किया जाय और उसे हस्तान्तरित किया जाय। अध्ययन के लिए यह कार्य दिन पर दिन जटिल होता जा रहा है। अतः कम्प्यूटरों के माध्यम से वह इस कार्य को भली-भाँति कर सकता है।
पुस्तकालयों की व्यवस्था में कैटलाग तथा पुस्तकों का लेखा-जोखा रखने में संगणकों की भूमिका महत्त्वपूर्ण, समय बचानेवाली और मानव श्रम की बचत करनेवाली है।
वैज्ञानिक गणनाओं तथा गणितीय क्रियाकलापों को कम समय में करने के लिए तथा उसमें होनेवाले क्रियाकलापों को समय में करने के लिए संगणकों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है।
मूल्यांकन की विभिन्न विधियों के सफल प्रयोग हेतु संगणकों को प्रयोग में लाना, आवश्यक है। सहायक सामग्री के रूप में भी इसका प्रयोग सफलतापूर्वक होता है। अभिक्रमित अध्ययन हेतु इसका प्रयोग सफलता से किया जा रहा है तथा विभिन्न विषयों के निर्देशन हेतु. भी. इसका प्रयोग होता है।
इस प्रकार हम देखते हैं कि शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में कम्प्यूटर या संगणक की आवश्यकता है तथा इन क्षेत्रों में इसकी भूमिका महत्त्वपूर्ण है।
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