कहानीकार कमलेश्वर की कहानी कला की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
कमलेश्वर की कहानियाँ:- कहानीकार के रूप में श्री कमलेश्वर अपना एक विशेष स्थान रखते हैं। ‘कमलेश्वर’ के प्रसिद्ध कहानी संग्रह है- ‘राजा निरबंसियों, ‘कस्बें का आदमी’, ‘माँस का दरिया’, ‘खोई हुई दिशाये’, व ‘जिन्दा मुर्दे’। कमलेश्वर की कहानी की प्रमुख विशेषतायें निम्नलिखित हैं-
(1) कथावस्तुः- कमलेश्वर की कहानियों की कथावस्तु आकर्षक, सशक्त और दिलचस्प होती है। इनकी कथावस्तु पाठकों को झकझोरती है और सोचने पर बाध्य करती है। कहानी की प्रत्येक घटना कहानी की मूल संवेदना की ओर पाठकों को खीचतीं है।
(2) पात्र व चरित्र-चित्रण- चरित्र के चरित्रांकन करने के लिए कमलेश्वर मनोवैज्ञानिक शैली का सहारा अवश्य लिया है, पर अपने पात्रों को कुण्ठाग्रस्त या अन्तर्द्वन्द्व के जाल में वे नहीं फँसाते। कहीं प्रत्यक्ष तो कहीं परोक्ष दोनों विधियों से पात्रों की चारित्रिक विशेषताओं को कहानी में उदघाटन मिलता है। ‘राजा निरबंसिया’ और ‘कस्बे का आदमी’ और ‘खोई हुई दिशाएँ’ कहानियाँ इस दृष्टिसे उल्लेखनीय हैं।
(3) कथोपकथन या संवाद योजना- संवाद योजना के प्रति कहानीकार कमलेश्वर में विशेष आग्रह नहीं दिखाई देता। इसका तात्पर्य यह नहीं है कि उनकी कहानियों में संवादों का अभाव है। जहाँ स्वाभाविक रूप से संवादों की आवश्यकता है, संक्षिप्त, मार्मिक एवं पात्रों के चरित्रों का संकेत करने वाले संवाद उनकी कहानियों में आ गये हैं। ‘खोई हुई दिशाएँ’ कहानी से एक उदाहरण देना पर्याप्त होगा-
तभी पीछे से आवाज आती है— “ए बाबू जी! कितना पैसा दिया है ?” चन्दर मुड़कर देखता है तो सरदार उसकी तरफ आता हुआ कहता है—“दो आने और दीजिए साहब।”
“हमेशा चार आने लगते हैं सरदार जी।” चन्दर पहचान जताता हुआ कहता है- “सरदार जी आपकी फटफट पर ही बीसों बार चार आने देकर आया हूँ।”
“किसी और ने लिए होंगे चार आने………….. असी तो छः आने ते घट नहीं लेंदे बादशाहो।” सरदार इस बार तो पंजाबी में बोला था और उसकी हथेली फैली हुई थी।
(4) भाषा-शैली:- कमलेश्वर की भाषा आम लोगों की भाषा है। उनकी कहानियों पात्रानुकूल भाषा का प्रयोग हुआ है। उनकी भाषा में मुहावरों का भी प्रयोग हुआ है। ‘भाषा’ को अर्थपूर्ण बनाने का उनका प्रायः प्रवास रहता है। तद्भव, तत्सम और विदेशी शब्दों के व्यवहार से भी उन्हें कोई विरोध नहीं है। वे उनका निःसंकोच प्रयोग कर लेते हैं। समग्रतः उनकी भाषा में एक सहजता और प्रवाह है, उसमें भाव सम्प्रेषण की पर्याप्त क्षमता रही है। कहीं-कहीं अंग्रेजी शब्दों का भी व्यवहार उनकी कहानियों में हुआ हैं।
(5) वातावरण- वातावरण के चित्रण में कमलेश्वर सिद्धहस्त हैं। उनकी सूक्ष्म दृष्टि से जीवन को काई भी यथार्थ बच नहीं सका है। वे पूरे वातावरण को उभारने का प्रयास करते हैं और किसी छोटे तथ्य की कभी उपेक्षा नहीं करते। फलतः उनकी कहानियाँ निर्जीव न होकर हमारे सामने समाज के वातावरण का सजीव रूप प्रस्तुत कर देती है।
( 6 ) उद्देश्य:- कमलेश्वर की कहानी उद्देश्यपूर्ण होती है। उनकी प्रत्येक कहानी का कोई न कोई उद्देश्य अवश्य होता है। कहानी के द्वारा मनुष्य के अन्तः सौन्दर्य को प्रकट करना और हमारी चेतना संवेदना-शक्ति को जाग्रत करना ही उनका प्रधान लक्ष्य रहा है। वे समस्याओं के मात्र चित्रण से ही सन्तोष नहीं कर लेते, वरन उनमें गहरे पैठकर उनके मूल कारणों को खोज निकालने का प्रयास करते हैं। उनकी कहानियों में निराशा के स्थान पर आशावादी की झलक रहती हैं।
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