भूगोल शिक्षण की इस विधि का प्रयोग हम पूर्व माध्यमिक कक्षाओं से आरम्भ कर उच्चतर माध्यमिक स्तर तक कर सकते हैं, क्योंकि इस स्तर पर बालक कार्य-कारण के सम्बन्ध को समझने के योग्य हो जाते हैं।
कार्य-कारण सम्बन्ध से छात्रों को जो तथ्य समझाये जाते हैं, वे उनकी समझ में जल्दी आ जाते हैं तथा उनके मस्तिष्क में स्थायी हो जाते हैं। यदि किसी तथ्य के कारण बता दिये जाते हैं तो वह मस्तिष्क में अधिक टिकाऊ होता है। छात्रों को यह बताया जाय कि पृथ्वी पर होने वाली सभी प्राकृतिक क्रियाओं के पीछे भौगोलिक कारण निहित हैं। किसी स्थान पर अधिक वर्षा, भूकम्प, ज्वालामुखी तथा विशेष प्रकार की वनस्पति आदि के पीछे कुछ भौगोलिक कारण अवश्य होते हैं। इन्हीं कारणों का ज्ञान छात्रों को अवश्य कराना चाहिये।
जापान में अधिकतर मकान लकड़ी के हैं ? बालक सिर्फ इसी बात को न जाने बल्कि उनको यह भी बताया जाय कि जापान में भूचाल अधिकतर आते हैं, जिससे पत्थर तथा ईंटों के मकानों से जन व धन की काफी क्षति होती है, इसलिये मानव, पशु तथा धन की क्षति के बचाव के लिये वहाँ पर लकड़ी के मकान बनाये जाते हैं। इसी प्रकार, भूमध्यसागरीय जलवायु में फलों के पेड़ अधिकतर मिलते हैं। छात्रों को यह बताया जाए कि यहाँ की जलवायु फल वाले पेड़ों के लिए काफी उपयुक्त है। इसलिये यहाँ पर फल अधिक पैदा होते हैं। समुद्री धाराओं के नाम छात्रों को बता देना ही पर्याप्त नहीं है वरन् यह उचित होगा कि उनको धाराओं के चलने के कारण तथा उनके चलने की दिशाओं के कारण भी बता दिये जायें। मुम्बई में सूती सामान एवं कोलकाता में जूट का सामान क्यों अधिक बनाया जाता है ? चेन्नई के पूर्वी तट पर जाड़े में वर्षा क्यों होती है ? चेन्नई में गेहूँ क्यों पैदा नहीं होता है ? जावा से शक्कर क्यों अधिक निर्यात होती है ? चीन में रेशम का उत्पादन क्यों अधिक होता है ? भूमध्यरेखीय प्रदेशों में घनी वनस्पति क्यों होती है ? लंकाशायर में सूती कारखाने क्यों अधिक पाये जाते हैं ? सनातनी तथा मानसूनी हवायें चलने के क्या कारण हैं ? इस प्रकार इन विभिन्न भौगोलिक तथ्यों को उनके कारण सहित छात्रों को समझना चाहिये।
गुण
1. यह विधि छात्रों की तर्क शक्ति को विकसित करती है।
2. इस विधि से छात्रों को स्थायी ज्ञान प्राप्त होता है।
3. यह विधि उच्च स्तर के छात्रों के लिये भूगोल शिक्षण में उपयोग की जाती है, क्योंकि इस स्तर पर छात्र कार्य व कारण के सम्बन्ध को अच्छी तरह समझने लगते हैं।
4. छात्र भौगोलिक कारणों को अच्छी तरह समझ जाते हैं।
दोष
प्रारम्भिक कक्षाओं के लिये यह विधि उपयुक्त नहीं है, क्योंकि इस विधि से छात्र कार्य व कारण के सम्बन्ध को नहीं समझ पाते और उनकी तर्क शक्ति का विकास नहीं हो पाता है।
यह विधि भूगोल शिक्षण की एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण विधि है। छात्रों को कार्य तथा कारण के सम्बन्ध का ज्ञान होने से वे भौगोलिक तथ्यों को आसानी से समझ जाते हैं। उच्च स्तर के छात्रों के लिये यह विधि बहुत ही उत्तम है।
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