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तीसरे पक्षों के प्रति एजेन्ट का व्यक्तिगत दायित्व

तीसरे पक्षों के प्रति एजेन्ट का व्यक्तिगत दायित्व
तीसरे पक्षों के प्रति एजेन्ट का व्यक्तिगत दायित्व

अपने प्रधान की ओर से किये गये अनुबन्धों के प्रति एजेन्ट व्यक्तिगत रूप से कब उत्तरदायी होता है?

तीसरे पक्षों के प्रति एजेन्ट का व्यक्तिगत दायित्व

भारतीय अनुबन्ध अधिनियम 1872 की धारा 230 के अनुसार विपरीत अनुबन्ध के अभाव में प्रधान की तरफ से किये गये अनुबन्धों को एजेन्टै न तो स्वयं प्रवर्तित करवा सकता है। अथवा न ही उस अनुबन्ध से स्वयं बाध्य होता है। इस सामान्य नियम के कुछ अपवाद है जबकि के एजेन्ट स्वयं व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होता है। ऐसी स्थिति में अन्य पक्ष एजेन्ट को या प्रधान को या दोनों को उत्तरदायी ठहरा सकता है निम्नालिखित स्थितियों में प्रधान की तरफ से किये गये अनुबन्धों के लिए एजेन्ट व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होता है-

(1) जब एजेन्ट का एजेन्सी में हित हो – जब किसी व्यवहार में एजेन्ट का हित होता है तो उसके अधिकार और हित जड़ जाते है। ऐसी एजेन्सी की स्थिति में उसके हित की सीमा तक एजेन्ट व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होता है।

(2) अप्रकट प्रधान- जब एजेन्ट प्रधान का नाम प्रकट नहीं करता है तो वह व्यक्तिरूप से उत्तरदायी हो जाता है। यदि अन्य पक्षकारों को प्रधान या नियोक्ता का नाम या पता चल जाता है तो वे प्रधान को भी उत्तरदायी ठहरा सकते हैं।

(3) विदेशी प्रधान- धारा 230 के अनुसार जब एजेन्ट विदेश में रहने वाले किसी नियोक्ता की ओर से माल के क्रय-विक्रय का अनुबन्ध करता है तो ऐसी स्थिति में एजेन्ट व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होता है। तीसरा पक्ष एजेन्ट के विरुद्ध कार्यवाही कर सकता है।

(4) जब एजेन्ट विनिमय- साध्य विपत्र पर अपने नाम से ही हस्ताक्षर करता है-जब कभी एजेन्ट विनिमय-साध्य विपत्र पर यह बताये बिना कि वह केवल एजेन्ट है, अपने नाम से हस्ताक्षर करता है तो ऐसी दशा में उसे इस प्रकार से किये गये वचनों के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।

(5) जब प्रधान का अस्तित्व ही नहीं हो- जब कोई एजेन्ट किसी ऐसे प्रधान के लिए कार्य करता है जिसका कोई अस्तित्व नहीं है तो एजेन्ट व्यक्तिगत रूप से उसी तरह उत्तरदायी माना जायेगा जैसे कि उसने स्वयं अपने लिए यह अनुबन्ध किया हो।

(6) अधिकारों के बाहर मित्यावर्णन य कपट के लिए- जब किसी मामले में एजेन्ट मिथ्यावर्णन या कपट के लिए दोषी पाया जाता है तो ऐसे कार्यों के लिए एजेन्ट व्यक्तिगत तो उसके लिए रूप से उत्तरदायी होता है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि जब कोई एजेन्ट ऐसे मामलों में मिथ्यावर्णन या कपट का दोषी पाया जाता है जो उसके अधिकार के बाहर व्यक्तिगत रूप से एजेन्ट ही उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।

(7) जब एजेन्ट अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करता है- जब कोई एजेन्ट अपनी अधिकार सीमा से बाहर कार्य करता है तो वह व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होता है। तीसरा पक्षकार एजेन्ट के विरुद्ध कार्यवाही कर सकता है और अनुबन्ध निष्पादन के लिए एजेन्ट को व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।

(8) जब एजेन्ट किसी ऐसे प्रधान के लिए कार्य करता है जिस पर दावा नहीं किया जा सकता है- कभी नियोक्ता का नाम प्रकट कर दिया जाता है लेकिन नियोक्ता इस लायक नहीं है कि उस पर मुकदमा चलाया जा सके तो ऐसी स्थिति में एजेन्ट व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होता है।

(9) जब अनुबन्ध से यह स्पष्ट हो – जब एजेन्ट नियोक्ता की तरफ से अन्य पक्षकारों से अनुबन्ध करता है तो वह गर्भित रूप से व्यक्तिगत उत्तरदायित्व लेने के लिए सहमत हो जाता है। ऐसी स्थिति में यदि अनुबन्ध भंग हो जाता है तो एजेन्ट को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।

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Anjali Yadav

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