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निबन्धात्मक परीक्षा व वस्तुनिष्ठ परीक्षा में अन्तर लिखीए ?
निबन्धात्मक परीक्षा :- यह वह परीक्षण है, जिसमें प्रश्नों की संख्या अन्य परीक्षणों की तुलना में कम होती है, एवं परीक्षार्थी को यह स्वतन्त्रता होती है कि वह प्रश्न से सम्बन्धित तथ्यों को स्वेच्छा से लिख सकें।
वस्तुनिष्ठ परीक्षा :- इसमें उत्तर का प्रारूप और आकार पूर्व छात्रों को दिए गए उत्तर में से एक उत्तर का चयन करना होता है।
निबन्धात्मक परीक्षा व वस्तुनिष्ठ परीक्षा में अन्तर :-
क्र.सं. | निबन्धात्मक परीक्षा | वस्तुनिष्ठ परीक्षा |
1. | प्रश्नों की संख्या कम होती है। | प्रश्नों की संख्या अधिक होती है। |
2. | प्रश्न निर्धारित पाठ्यक्रम के कुछ अंश से निर्धारित होते है। | प्रश्न पूरे पाठ्यक्रम पर आधारित होते है। |
3. | प्रश्नों के उत्तर अनिश्चित असिमित और निबन्धात्मक होते हैं। |
प्रश्नों के उत्तर सीमित निश्चित और स्पष्ट होते है। |
4. | सामान्यतः उत्तर पूर्ण अंक नहीं दिए जाते। | उत्तर में या तो पूर्ण अंक प्राप्त होते है या कुछ भी नहीं। |
5. | प्रश्नों में विश्वसनीयता और वैद्यता नहीं होती। | प्रश्नों में विश्वसनीयता और वैद्यता होती है। |
6. | इन परीक्षाओं में जाँच कार्य में काफी श्रम व समय लगता है। | जाँच कार्य में समय व श्रम कम लगता है। |
7. | रटने की प्रवृति विकसित होती है। | नकल करने की प्रवृति को प्रोत्साहन मिलता है। |
8. | अंकन कठिन होता है। विषय का स्वामित्व होने पर ही अंकन किया जाता है। | अंकन सरल होता है, कुँजी की सहायता से कोई भी अंकन कर सकता है। |
9. | प्रश्नों को अनुमान से नही कर सकते है। | प्रश्नों को अनुमान से भी किया जा सकता है। |
10. | ज्ञानात्मक, भावात्मक तथा क्रियात्मक पक्ष के उद्धेश्यों के प्रयोग किए जाते है। | ज्ञानात्मक पक्ष के लिए उपयोगी है। |
11. | यह नैदानिक परीक्षण है। | यह नैदानिक परीक्षण नहीं है। |
12. | मनौवैज्ञानिक सिद्धान्तों पर आधारित है। | यह विधि मनौवैज्ञानिक नहीं है। |
13. | यह विधि प्रखर बुद्धि तथा सामान्य बुद्धि में विभेद कर सकती है। | इस विधि में प्रखर बुद्धि छात्रों का पता नहीं लगाया जा सकता है। |
14. | इसमें पक्षपात की संभावना होती है। | यह पक्षपात रहित है । |
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