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परक्रामण किस प्रकार किया जाता है? परक्रामण कब तक जारी रहता है? क्या विनिमय साध्य विलेख का आंशिक हस्तान्तरण सम्भव है?

परक्रामण किस प्रकार किया जाता है? परक्रामण कब तक जारी रहता है? क्या विनिमय साध्य विलेख का आंशिक हस्तान्तरण सम्भव है?
परक्रामण किस प्रकार किया जाता है? परक्रामण कब तक जारी रहता है? क्या विनिमय साध्य विलेख का आंशिक हस्तान्तरण सम्भव है?

परक्रामण किस प्रकार किया जाता है? परक्रामण कब तक जारी रहता है? क्या विनिमय साध्य विलेख का आंशिक हस्तान्तरण सम्भव है?

परक्रामण किस प्रकार किया जाता है?

परक्रामण के ढंग विलेख की देयता पर निर्भर होते हैं। देयता के अनुसार विपत्र के दो प्रकार हैं-

(i) आज्ञा पर देय – यदि विलेख आज्ञा पर देय है, तो परक्रामण के लिए दो कार्य करने पड़ते हैं।

(ii) वाहक को देय- यदि विलेख वाहक को देय है, तो केवल सुपुर्दगी द्वारा परक्रामण हो जाता है। (धारा 46, 47, 48)

I. सुपुर्दगी द्वारा परक्रामण- वाहक को देय प्रतिज्ञा पत्र, विनिमय पत्र अथवा चेक का परक्रामण सुपुदर्गी द्वारा हो जाता है। सुपुर्दगी का अभिप्राय लेखपत्र के अधिकार के स्वेच्छापूर्वक हस्तान्तरण से है। यह सुपुर्दगी वास्तविक अथवा रचनात्मक हो सकती है।

(अ) वास्तविक सुपुर्दगी – वास्तविक सुपुर्दगी का आशय अधिकार के वास्तविक हस्तान्तरण से है जिससे कि विलेख उनके आदाता या पृष्ठांकिकी को सुपुर्दगी कर दिया जाय।

(ब) रचनात्मक सुपुर्दगी – रचनात्मक सुपुर्दगी उस समय मानी जाती है, जब राजनियम ऐसी सुपुर्दगी होना मानता है, जैसे जबकि विलेख आदाता या पृष्ठांकिकी के किसी एजेन्ट को सुपुर्द कर दिया जाय।

II. बेचान द्वारा परक्रामण – जब कोई प्रतिज्ञा पत्र, विनिमय पत्र अथवा चैक आज्ञा पर देय हो तो उसका परक्रामण धारक द्वारा पृष्ठांकन एवं सुपुर्दगी करने पर होता है।

III. केवल सुपुर्दगी द्वारा परक्रामण- जब कोई प्रतिज्ञा पत्र विनिमय पत्र अथवा चैक वाहक को देय हो तो केवल सुपुर्दगी द्वारा परक्रामण हो सकता है। यदि कोई विलेख इस शर्त पर सुपुर्द किया गया हो कि एक निश्चित घटना के घटित होने पर ही प्रभावशाली हो सकेगा, तो वह उस समय तक परक्रामण किया हुआ नहीं माना जाता है, जब तक कि उक्त घटना घटित न हो। किसी यथाविधिधारी के सम्बन्ध में यह नियम लागू नहीं होता। (धारा 47)

उदाहरणार्थ- वाहक को देय विनिमय साध्य लेख-पत्र का धारक अ, ब के एजेन्ट को ब की ओर से रखने के लिए इसे सुपुर्द करता है। यह लेख-पत्र का परक्रामण है।

वास्तव में इस प्रकार के लेखपत्र पर सुपुर्दी देने वाले के हस्ताक्षर का होना आवश्यक नहीं है।

परक्रामण कब तक जारी रहता है?

एक विनिमय-साध्य लेख-पत्र का उस समय तक परक्रामण किया जा सकता है, जब तक परिपक्वता पर अथवा उसके लेखक अथवा आहाय (अर्थात् देनदार) अथवा स्वीकर्ता द्वारा उसका भुगतान अथवा संतुष्टि न हो जाय, किन्तु ऐसे भुगतान अथवा सन्तुष्टि के बाद नहीं। (धारा 60)

क्या विनिमय साध्य विलेख का आंशिक हस्तान्तरण सम्भव है?

विनिमय साध्य विलेख (चैक, बिल, प्रतिज्ञा पत्र) का हस्तान्तरण, विपत्र की पीठ पर उसका स्वामित्व किसी अन्य व्यक्ति को हस्तान्तरित निम्न प्रकार से किया जा सकता है-

वाहक चैक के स्वामित्व का हस्तान्तरण केवल उसको दूसरे को देने से हो जाता है।परन्तु आदेशात्मक चैक के हस्तान्तरण के लिए उसको बेचान करना व उसको दूसरे के हाथ में सौंपना दोनों ही आवश्यक है। अतः स्पष्ट है कि जब कोई प्रतिज्ञा पत्र विनिमय पत्र अथवा चैक आज्ञा पर देय हो तो उसका परक्रामण धारक द्वारा पृष्ठांकन एवं सुपुर्दगी दोनों करने पर ही होता है। इसके साथ इसके अन्तर्गत बेचानकर्ता किसी व्यक्ति को चेक की रकम में से केवल कुछ अंश का ही हस्तान्तरण करता है अथवा सम्पूर्ण रकम को एक से अधिक व्यक्तियों के नाम हस्तान्तरित करता है।

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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