परम्परागत सहायक सामग्री से आपका क्या अभिप्राय है? श्यामपट्ट के प्रयोग को समझाइये।
परम्परागत सहायक सामग्री – परम्परागत सहायक सामग्री में वे सभी सहायक सामग्रियाँ सम्मिलित की जाती हैं जिन्हें परम्परागत विद्यालयों में पहले तथा अब भी प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार की सहायक सामग्री में हम श्यामपट्ट, पाठय-पुस्तकें, तालिकाएँ तथा सामान्य पत्र-पत्रिकाओं को सम्मिलित करते हैं। इनमें श्यामपट्ट तथा पाठ्य पुस्तक को ही महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।
श्यामपट्ट- शिक्षण-कला में श्यामपट्ट का प्रयोग अति प्राचीन काल से चला आया है और आज भी श्यामपट्ट का बड़े व्यापक रूप से प्रयोग न केवल परम्परागत विद्यालयों में ही किया जा रहा है, वरन् सभी प्रगतिशील विद्यालयों में भी श्यामपट्ट का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण है। आज भी प्रगतिशील विद्यालयों के सभी शिक्षण-कक्षों में श्यामपट्ट देखने को मिलते हैं।
अध्यापक को श्यामपट्ट की अनेक स्थलों पर आवश्यकता पड़ती है। अध्यापक रेखाचित्र बनाने, ग्राफ बनाने, प्रमुख शब्दों को लिखने, श्यामपट्ट पर सार लिखने, निष्कर्ष निकालने के आँकड़े लिखते तथा अन्य अनेकों कार्य हेतु श्यामपट्ट का प्रयोग कर पाठ को सरल, सुगम, बोधगम्य तथा आकर्षक बना सकता है। अध्यापक प्रायः निम्नांकित कार्यों के लिए श्यामपट्ट का प्रयोग कर सकता है:-
- रेखाचित्र, ग्राफ, मानचित्र आदि बनाने के लिए,
- छात्रों का ध्यान आकर्षित करने के लिए,
- प्रमुख तथ्यों का उल्लेख करने के लिए,
- छात्रों से अभ्यास कराने के लिए,
- श्यामपट्ट पर सार लिखने के लिए,
- उदाहरण तथा गृह-कार्य देने हेतु,
- छात्रों की दृश्य-शक्ति का उपयोग करने के लिए।
इस प्रकार हम देखते हैं कि शिक्षण कार्य में श्यामपट्ट का अनेक स्थलों पर बड़े लाभप्रद रूप में प्रयोग किया जा सकता है, किन्तु श्यामपट्ट के प्रयोग से ये लाभ तभी प्राप्त हो सकते हैं जब श्यामपट्ट का प्रयोग उचित प्रकार किया जाय। अध्यापकों को श्यामपट्ट प्रयोग करते समय प्रायः निम्नांकित बातों की तरफ ध्यान रखना चाहिये:
- श्यामपट्ट ऐसे स्थान पर रखा जाए जहाँ से सभी छात्र श्यामपट्ट को सुविधापूर्वक देख सकें।
- श्यामपट्ट पर पर्याप्त प्रकाश हो किन्तु प्रकाश का परावर्तन नहीं होना चाहिए।
- श्यामपट्ट पर जो कुछ भी लिखा जाए एक से रूप में सीधी पंक्ति में लिखा जाए। टेढ़ी-मेढ़ी पंक्तियों में न लिखा जाए। प्रत्येक शब्द को सही व सीधा लिखा जायें।
- श्यामपट्ट पर जो कुछ भी लिखा जाए, स्पष्ट तथा साफ शब्दों में लिखा जाए।
- लिखने में वर्ण-विन्यास तथा विचार व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा जाए।
- लिखते समय कक्षानुशासन का विशेष ध्यान रखा जाए।
- श्यामपट्ट का आवश्यकता से अधिक प्रयोग ने किया जाए।
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