पाठ्य-पुस्तक चुनाव के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
Contents
पाठ्य-पुस्तक चुनाव के सिद्धान्त
1. लेखक- पुस्तक का चुनाव करते समय सर्वप्रथम उसके लेखक का ध्यान रखना चाहिये। लेखक के ज्ञान, अनुभव एवं प्रस्तुतिकला इत्यादि का प्रभाव पुस्तक पर पड़ता है।
2. भाषा शैली- पुस्तक जिसका चयन किया जायें, भाषा सरल स्पष्ट तथा स्तर के अनुकूल होनी चाहिए। पुस्तक में मुख्य स्थान विषय-वस्तु को दिया जाए न कि भाषा को ।
3. पाठ्य पुस्तक का स्तर- पाठ्य पुस्तक के स्तर का ध्यान चुनाव करते समय अवश्य रखना चाहिए। पाठ्य-पुस्तक अमुक कक्षा के लिए उचित है या नहीं इस बात को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता हैं। पुस्तक छात्रों के मानसिक स्तर को ध्यान में रखकर लिखी गई है या नहीं।
4. गेट-अप- गेट-अप से तात्पर्य पुस्तक की बाहरी बनावट से है। पुस्तक का बाह्य रूप आकर्षक तथा विषय-वस्तु से सम्बन्धित होना चाहिए। अमेरीकन पुस्तकों का कागज प्रायः इतना चमकीला होता है कि रात को पढ़ने में असुविधा होती है। अतः कागज ऐसा न हों।
5. विषय-वस्तु- पुस्तक की विषय वस्तु पूर्ण होनी चाहिए। उसे छात्रों की समस्त आवश्यकताओं को पूरा करना चाहिए, पुस्तक पढ़ने के बाद छात्रों को अन्य पुस्तकों के अध्ययन करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिये। विषय वस्तु के हिसाब से पुस्तक अपने में पूर्ण होनी चाहिए।
6. विचारधाराएँ- पुस्तक आधुनिक विचारधाराओं तथा सिद्धान्तों के अनुसार लिखी होनी चाहिए। लेखक को वर्तमान मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों को ध्यान में रखते हुए पुस्तक की रचना की जानी चाहिये।
पुस्तकों के दयनीय स्तरों के कारण
पुस्तकों की दशा अत्यन्त खराब होने के कारण निम्न है-
1. पुस्तकें राज्य आधार पर प्रान्तीय भाषा में प्रस्तुत की जाती है, इससे इन्हें अधिक प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं करना पड़ता।
2. लेखक अपनी योग्यता पर ध्यान न देते हुए चार-छः पुस्तकों को मिलाकर उनका सारांश लिख देते है और इस प्रकार नवीन पुस्तक की रचना हो जाती है, इस प्रकार के कार्य में विभिन्न पुस्तकों में प्रस्तुत सामग्री को अपनी पुस्तक में संगठित कर प्रस्तुत नहीं कर पाते है।
3. कुछ दिनों से पुस्तक व्यापार क्षेत्र में नये-नये प्रकाशकों ने प्रवेश किया है। ये प्रकाशन नयें है अधिक से अधिक पुस्तकों को कम से कम समय में प्रकाशित कर देना चाहते हे। फलतः प्रकाशन सम्बन्धी त्रुटियाँ पुस्तकों में देखी जाती है।
4. प्रकाशन अधिक से अधिक पैसा कमाने की दृष्टि से मूल्य अधिक रखते है। कागज खराब लगाते है। लेखकों को कम पैसा देते है। फलतः पुस्तकों का स्तर नीचा होता है।
पठन पुस्तकों के लाभ
- विषय के ज्ञान में वृद्धि होती है।
- पठन साहित्य विषय के सम्बन्ध में आधुनिकतम ज्ञान प्रदान करता है।
- पठन-पुस्तकें विषय के ज्ञान को गम्भीर तथा गहन बनाती है।
- पठन-पुस्तकें विषय में छात्र की रूचि पैदा करती है।
- पठन-पुस्तकें हमारी तर्क-शक्ति का विकास करती है।
- पठन-पुस्तकों से शब्द भण्डार में वृद्धि होती है।
- पठन-पुस्तकों के अध्ययन से छात्रों में आत्माभिव्यक्ति का विकास होता है।
IMPORTANT LINK
- राजनीति विज्ञान का अन्य समाज विज्ञानों से सम्बन्ध एवं उनका प्रभाव
- असमानता के विषय में रूसो के विचार | Rousseau’s views on inequality in Hindi
- सामाजीकृत अभिव्यक्ति विधि की परिभाषा एवं प्रक्रिया
- राज्य के विषय में कौटिल्य के विचार | Kautilya’s thoughts about the state
- मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषाएँ | मूल्यांकन की विशेषताएँ | मूल्यांकन के उद्देश्य | मूल्यांकन के सिद्धान्त | मूल्यांकन के उपकरण या विधाएँ
- न्याय की परिभाषा, रूप, विशेषताएं एवं अधिकार | Definition, Form, Characteristics and Rights of Justice in Hindi
- मौलिक कर्त्तव्य का सम्प्रत्यय विकसित करने के लिए कौनसी शिक्षण सामग्री का प्रयोग की जानी चाहिए?
- राजनीति विज्ञान के शिक्षण हेतु एक पाठ योजना तैयार कीजिए।
- B.ED Political Science Lesson Plan | राजनीति विज्ञान के शिक्षण हेतु पाठ योजना | हरबर्ट की पंचपदी के चरण
- योजना विधि के पद | योजना विधि के गुण | योजना विधि के दोष
- इकाई योजना के शिक्षक पद | इकाई विधि से लाभ | इकाई विधि से दोष
- अभिनयात्मक विधि | एकल अभिनय की रूपरेखा | अभिनय के प्रकरण | अभिनय के लाभ एंव दोष
- समस्या समाधान विधि | problem solving method in Hindi
- वाद-विवाद विधि का अर्थ | वाद-विवाद का संचालन | वाद-विवाद का मूल्यांकन | वाद-विवाद विधि के गुण एंव दोष
- परम्परागत राजनीति विज्ञान के अनुसार राजनीति विज्ञान का क्षेत्र
- शैक्षिक उद्देश्यों से आप क्या समझते हैं? ब्लूम के अनुदेशनात्मक उद्देश्य का वर्गीकरण
- नागरिकता के विषय पर अरस्तू के विचार | Aristotle’s thoughts on citizenship in Hindi
- आधुनिक राजनीति विज्ञान के अनुसार राजनीति विज्ञान का क्षेत्र
- राजनीति विज्ञान का विद्यालय पाठ्यक्रम में महत्व
- सामाजिक न्याय के विषय में अम्बेडकर के विचार
- परम्परागत राजनीति विज्ञान के विद्वानों के अनुसार राजनीति विज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा
- मानवाधिकार का विकास तथा उसकी आवश्यकता
- सामाजिक न्याय की अवधारणा का विकास करने हेतु अध्यापक कथन को तैयार कीजिये।
- मानवाधिकार के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए संक्षेप में विषय-वस्तु की सूची तैयार कीजिए।
- सामाजीकृत अभिव्यक्ति विधि के दोष तथा प्रभावी बनाने हेतु किन सुझावों को ध्यान में रखना चाहिए।
- वार्षिक योजना की विशेषताएँ | Features of Annual Plan in Hindi
- वार्षिक योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
Disclaimer