Commerce Notes

“बिना प्रतिफल का वचन उपहार है तथा प्रतिफल का वचन सौदा।” नियम के अपवादों की भी सोदाहरण कीजिए।

"बिना प्रतिफल का वचन उपहार है तथा प्रतिफल का वचन सौदा।" नियम के अपवादों की भी सोदाहरण कीजिए।
“बिना प्रतिफल का वचन उपहार है तथा प्रतिफल का वचन सौदा।” नियम के अपवादों की भी सोदाहरण कीजिए।

“प्रतिफल के अभाव मे समस्त ठहराव व्यर्थ होते है।” नियम के अपवादों की भी सोदाहरण कीजिए।

प्रतिफल रहित ठहराव व्यर्थ है (धारा-25) – सामान्यत: “प्रतिफल नहीं, अनुबन्ध नहीं” अथवा “प्रतिफल रहित ठहराव व्यर्थ होते हैं” क्योंकि प्रतिफल के अभाव में दिये गये सभी ठहराव एवं अनुबन्ध जुँए के समान हैं, अतएव व्यर्थ होते हैं। सालमण्ड तथा विलफील्ड ने अपनी पुस्तक अनुबन्ध अधिनियम में लिखा है कि “बिना प्रतिफल के दिया गया वचन एक उपहार मात्र है, जब कि प्रतिफल के बदले में दिया गया वचन एक सौदा है।”

एन्सन के अनुसार- “प्रत्येक सामान्य अनुबन्ध के लिए प्रतिफलं आवश्यक है। प्रतिफल के अभाव में ठहराव अप्रवर्तनीय होता है।”

अनुबन्ध अधिनियम के धारा-25 के प्रारम्भ में भी यही बताया गया है, कि प्रतिफल के अभाव में ठहराव व्यर्थ होते हैं। इस प्रकार एक वैध अनुबन्ध के लिए प्रतिफल का होना आवश्यक है। अन्यथा इसके अभाव में अनुबन्ध व्यर्थ माना जाता है।

अपवाद- अनुबन्ध अधिनियम की धारा-25 में ही कुछ अपवादों का वर्णन किया गया है जिनके अनुसार बिना प्रतिफल के भी अनुबन्ध वैध होते हैं। ये अपवाद निम्नलिखित हैं-

1. स्वाभाविक प्रेम एवं स्नेह के कारण दिया गया वचन- यदि ठहराव लिखित है, उसकी रजिस्ट्री की जा चुकी है तथा वह स्वाभाविक स्नेह से प्रेरित होकर ऐसे पक्षकारों के बीच किया गया है, जो एक-दूसरे के परस्पर निकट सम्बन्धी हों, तो बिना प्रतिफल के भी ठहराव वर्तनीय कराया जा सकता है।

उदाहरण- ‘अ’ अपने पुत्र ‘ब’ को जो कि इन्दौर के मेडिकल कालेज में पढ़ रहा है। स्वाभाविक प्रेम एवं स्नेह के कारण 2,000 रूपये मासिक देने का वचन देता है। यह ठहराव लिखित है। साथ ही उसकी रजिस्ट्री हो चुकी है। यह ठहराव बिना प्रतिफल के भी वैध है।

उपर्युक्त विवेचना से यह स्पष्ट हो जाता है कि ऐसे बिना प्रतिफल वाले ठहराव को वैध बनाने के लिए निम्नलिखित चार बातों का पूरा किया जाना आवश्यक है।

A- ठहराव लिखित में हो,

B- ठहराव की रजिस्ट्री करा ली गयी हो,

C- ठहराव स्वाभाविक प्रेम एवं स्नेह के कारण उत्पन्न हुआ हो, तथा

D- ठहराव ऐसे पक्षकारों के बीच हुआ हो जो एक-दूसरे के निकट सम्बन्धी हों।

महत्वपूर्ण विवाद 

(i) इस सम्बन्ध में राजलक्ष्मी देवी बनाम भूतनाथ का विवाद बहुत महत्वपूर्ण है। इस विवाद के अनुसार एक हिन्दू पति अपनी पत्नी के साथ झगड़ा होने पर उसे पृथक निवास एवं रहन-सहन के लिए एक निश्चित धनराशि भत्ते के रूप में देने के लिए सहमत हो गया। यह ठहराव लिखित एवं रजिस्टर्ड था, किन्तु इसमें स्वाभाविक प्रेम एवं स्नेह का अभाव था। अतएव न्यायालय द्वारा यह निर्णय दिया गया कि पत्नी का इसे प्रवर्तित करवाने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि इसमें प्रतिफल का अभाव है।

(ii) पूनू बीबी बनाम फैय्याज बख्खा के विवाद में एक मुसलमान पति ने अपनी पत्नी को अपनी आय में से कुछ धन देने का लिखित व रजिस्टर्ड ठहराव किया। बाद में पति ने उक्त धन देने से इन्कार कर दिया। पत्नी द्वारा वाद प्रस्तुत किये जाने पर बम्बई उच्च न्यायालय द्वारा यह निर्णय दिया गया कि यह ठहराव स्वाभाविक प्रेम एवं स्नेह के कारण वैध हैं।

2. भूतकाल में स्वेच्छा से प्रदान की गयी सेवाओं की क्षतिपूर्ति के लिए दिया गया वचन- यदि किया गया ठहराव किसी ऐसे व्यक्ति की पूर्ण या आंशिक क्षतिपूर्ति का वचन है जिसने भूतकाल में वचनदाता के लिए अपनी मर्जी से कोई कार्य किया हो या कोई ऐसा कार्य किया हो जिसके करने के लिए वचनदाता स्वयं बाध्य था, तो बिना किसी प्रतिफल के भी ठहराव वैध होगा।

उदाहरण- लता का थैला खो जाता है। यह थैला श्याम को मिल जाता है और श्याम उसे लता को दे देता है। लता, श्याम को इनाम के तौर पर 101 रु. देने का वचन देती है। यह एक वैध ठहराव है, श्याम इसे परिवर्तित करा सकता है। उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि ऐसे ठहराव को वैध बनाने के लिए निम्नलिखित पाँच बातों को पूरा किया जाना आवश्यक है। (धारा-25)

  1. कार्य स्वेच्छा से किया गया हो,
  2. जो कार्य किया गया है उसको करने के लिए वचनदाता वैधानिक रूप से बाध्य था।
  3. जब कार्य किया गया है उस समय वचनदाता का अस्तित्व था।
  4. उस दूसरे व्यक्ति ने पहले व्यक्ति की सेवाओं की पूर्ण अथवा आंशिक क्षतिपूर्ति करने के लिए वचन दिया हो, तथा
  5. किया गया कार्य वैध था।

3. अवधि वर्जित ऋण के भुगतान का वचन- जहाँ ठहराव अवधि वर्जित ऋण को पूर्णतया या आंशिक रूप से घोषित करने का वचन है जो कि लिखित है तथा जिस पर वचनदाता या उसके एजेन्ट के हस्ताक्षर है तथा जो ऐसे ऋण के सम्बन्ध में है जिसके भुगतान के लिए ऋणदाता बाध्य कर सकता था, पर लिमिटेशन के कारण बाध्य नहीं कर सकता है।

IMPORTANT LINK

Disclaimer

Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com

About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment