भारतीय विद्यालयों में व्यक्तिगत शिक्षण कार्यक्रम की विभिन्न प्रविधियाँ कौन-कौन सी हैं ?
देश, काल तथा परिस्थिति ने अनेक शैक्षिक कार्यक्रमों को विकसित किया है जिसका आधार वैयक्तिक भेद रहे हैं। वैयक्तिक भेद ही वास्तव में शिक्षा की समस्या है और उन समस्याओं को हल करने के लिये ही ऐसे शैक्षिक कार्यक्रम विकसित किये गये हैं, जो व्यक्ति के विकास में सहायक होंगे। ये कार्यक्रम इस प्रकार हैं-
1. प्रोजेक्ट प्रणाली (Project Method)– किलेपैट्रिक के अनुसार- प्रोजेक्ट शैक्षिक मूल्य की एक महत्वपूर्ण इकाई है। इसका ध्यान एक या अनेक लक्ष्यों की प्राप्ति है।’ स्टीवेंसन के अनुसार- ‘प्रोजेक्ट समस्या- मूलक कार्य है, जो नैसर्गिक परिवेश में पूर्णता प्राप्त करता है। प्रोजेक्ट रचनात्मक, कलात्मक, समस्या मूलक तथा अभ्यासमूलक होते हैं। प्रोजेक्ट में सोद्देश्यता, क्रियाशीलता, वास्तविकता, उपयोगिता, स्वतन्त्रता तथा सामाजिक विकास का सिद्धान्त निहित होता है।’
प्रोजेक्ट के संचालन में परिस्थिति निर्माण, चयन, नियोजन, नियमन, मूल्यांकन एवं अंकन किया जाता है।
2. डाल्टन प्रणाली (Dalton Method)- डाल्टन प्रणाली की प्रणेता मिस हेलन पार्कहर्स्ट ने कक्षा को प्रयोगशाला के रूप में परिवर्तित किया। कक्षा में छात्रों को अपनी योग्यता, क्षमता गति के अनुसार कार्य करने की स्वतन्त्रता रहती है और वह निश्चित निर्धारित अवधि में वांछित कार्य को पूरा करता है।
3. विनेटिका प्रणाली (Winnetica Method) – कार्लटर्न वाशबर्न ने विनेटिका योजना को क्रियान्वित किया। वैयक्तिक भेदों को ध्यान में रखते हुए शिक्षा की योजना इस प्रणाली के अनुसार बनायी जाती है। पूर्व ज्ञान के आधार पर नवीन ज्ञान दिया जाता है। इस प्रणाली में प्रत्येक विषय का मापन एवं मूल्यांकन पृथक्-पृथक् किया जाता है और बालक को पृथक् ग्रेड दिया जाता है।
4. डेकरॉली प्रणाली (Decroley Method) – बेल्जियम के शिक्षाशास्त्री ओविड डेकराली ने इस प्रणाली को विकसित किया। बालक को जीवन की परिस्थितियों से ही शिक्षा प्रदान की जाती है। बालक को विद्यालय में घर जैसी स्वतन्त्रता प्राप्त रहती है। मनावैज्ञानिक सिद्धान्तों के आधार पर यह शिक्षा दी जाती है।
5. किन्डरगार्टन (Kinder Garten) – व्यक्ति के शैक्षिक विकास में फ्रोबेल का योगदान महत्वपूर्ण है। किन्डरगार्टन नामक विद्यालय का आरम्भ कर उसने शिक्षा के क्षेत्र में नवीन प्रयोग किये। आज यह विधि विश्व में सर्वाधिक प्रचलित है। एकता, विकास, स्वक्रिया, खेल, स्वतन्त्रता एवं सामाजिकता के सिद्धान्त पर किन्डरगार्टन प्रणाली कार्य करती है। खेल द्वारा शिक्षा पर विशेष बल दिया जाता है।
किन्डरगार्टन में गति, भावभंगिमा, रचना, खेल, उपहार तथा कार्य व्यापार द्वारा शिक्षा का संचालन किया जाता है। शिशु शिक्षा के क्षेत्र में यह प्रणाली सर्वाधिक उपयोगी समझी जाती है।
6. मांटेसरी प्रणाली (Montessori Method) – डॉ० मेरिया मांटेसरी ने मन्द बुद्धि एवं सुविधाहीन बालकों के विकास के लिये मांटेसरी विधि विकसित की। यह प्रणाली मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों पर आधारित है। आत्म शिक्षण, तार्किक अनुशासन, व्यक्तिगत शिक्षा, स्वतन्त्रता, ज्ञानेन्द्रिय प्रशिक्षण, व्यावहारिक शिक्षा, व्यक्तित्व, कर्मेन्द्रियों की शिक्षा मांटेसरी शिक्षा के आधार हैं। स्पर्श, दृष्टि, श्रवण, स्वाद एवं घ्राण शक्तियों के विकास के द्वारा ज्ञान दिया जाता है। विभिन्न घरेलू उपकरणो है के माध्यम से शिक्षा दी जाती है ।
7. बेसिक शिक्षा प्रणाली (Basic Education Method)- महात्मा गाँधी के शैक्षिक विचारों के आधार पर यह शिक्षा प्रणाली विकसित हुई। सर्वांगीण विकास के ध्येय की प्राप्ति हेतु यह शिक्षा प्रणाली प्रयास करती है। इसमें निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था है तथा प्रत्येक विद्यालय आत्मनिर्भर रहता है। यह प्रणाली हस्तकला पर आधारित है। इसके द्वारा स्वावलम्बन तथा आत्मनिर्भरता को विकसित किया जाता है। क्रियात्मक तथा ज्ञानात्मक पाठ्यक्रम द्वारा कक्षा 12 तक की शिक्षा की उत्तम व्यवस्था बेसिक शिक्षा के द्वारा की जाती है।
इन प्रमुख कार्यक्रमों के अलावा ये कार्यक्रम भी अपनाये जाते हैं-
- कांट्रेक्ट योजना में डाल्टन तथा विनेटिका प्रणाली को मिश्रित कर नया कार्यक्रम बनाया गया है।
- एक्टिविटी कार्यक्रम में बच्चों को अपने शील गुणों के अनुसार कार्य करने की स्वतन्त्रता रहती है।
- अभिक्रमित अनुदेशन (Programmed Instruction) में विषय को लघु खण्डों में विभक्त कर पढ़ाया जाता है।
- निदानात्मक शिक्षण के लिये पृथक् कार्यक्रम अपनाये गये हैं।
इनके अतिरिक्त कांट्रैक्ट योजना, एक्टिविटी प्रोग्राम, अभिक्रमित अनुदेशन, योग्यतानुसार समूहीकरण, निदानात्मक तथा उपचारात्मक शिक्षण, पाठ्यक्रम समृद्धि तथा विशेष शिक्षा के कार्यक्रमों द्वारा वैयक्तिक शिक्षण को बढ़ावा दिया जाता है।
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