भूगोल का महत्व समझाइये ।
भूगोल का महत्व- वर्तमान युग में भूगोल का बड़ा ही महत्व है। वास्तव में देखा जायें तो भूगोल के बिना हमारी शिक्षा अधूरी है। निम्नांकित वर्णन से भूगोल का महत्व आसानी से समझाया जा सकता है-
1. मनुष्य व उसके निवास स्थान के लिए- भूगोल हमें मनुष्य और उसके – निवास स्थान (पृथ्वी) के विषय में बताता है। यह स्वाभाविक तथा उचित है कि प्रत्येक व्यक्ति को “चाहिए कि जिस पृथ्वी पर वह रहता है उसके विषय में कुछ ज्ञान प्राप्त करें।” मानव की सदैव से ही दूसरे तथा विभिन्न प्रकार के भौगोलिक वातावरण में निवास करने वाले मनुष्यों के विषय में जानने की उत्सुकता रही है। पृथ्वी तथा प्राकृतिक वातावरण जो हमारे जीवन को सदैव प्रभावित करता है, उसके विषय में अधिक से अधिक जानने की प्रत्येक मनुष्य को उत्सुकता तथा उत्कंठा रहती है।
दिन-रात, मौसम, वर्षा, फसल, मिट्टी, नदी, पर्वत, झील, समुद्र, वन, चट्टानें आदि के विषय में भूगोल द्वारा ही जानकारी होती है। जेम्स फेयरग्रीव ने ठीक ही कहा है, “प्रत्येक मनुष्य को चाहिये और वह पसन्द भी करेगा कि ‘पृथ्वी’ जिस पर वह रहता है उसके विषय में कुछ ज्ञान प्राप्त करे।” वास्तव में प्रत्येक मनुष्य को निवास स्थान (पृथ्वी) का भौगोलिक ज्ञान होना चाहिए।
2. प्राकृतिक वातावरण तथा मानव-क्रियाओं का अध्ययन करने के कारण – यह केन्द्रीय विषय है। भूगोल प्राकृतिक एवं सामाजिक विद्वानों की मध्यस्थ कड़ी होने के नाते विभिन्न विषयों के रस को संग्रह करता है और हमें आवश्यक लाभप्रद ज्ञान प्रदान करता है। इस प्रकार के दो लक्ष्य कम विषयों के होते हैं, भूगोल का यह द्विगुणात्मक ध्येय उसकी विशेषता है और उसे बहुत महत्वपूर्ण स्थान देता है। यही नहीं, प्राकृतिक तथा सामाजिक विज्ञानों में समन्वय स्थापित करना भूगोल का कार्य है। शिक्षालय के सभी विषयों से भूगोल का सह-सम्बन्ध स्थापित किया जा सकता है।
3. जीविकोपार्जन में सहायता- भूगोल को जानने वाला व्यक्ति या मनुष्य अपना जीवन-यापन आसानी से कर सकता है। आर्थिक दृष्टि से भूगोल का बड़ा ही महत्व है। प्रत्येक व्यापारी के लिए यह आवश्यक है कि वह व्यापार सम्बन्धी सामग्री की उपज की परिस्थितियों का ज्ञान, अन्य देश के रहने वाले लोगों की आदतें, रुचियाँ तथा रीति रिवाजों का ज्ञान रखे! संयुक्त राज्य अमेरिका में बड़े-बड़े व्यापारी एक भूगोलवेत्ता को इसीलिए रखते है कि वे देश-विदेश की भौगोलिक परिस्थितियों की पूछताछ कर सकें।
देश-विदेश के भौगोलिक ज्ञान की जानकारी जल, थल तथा वायु सेना के कर्मचारियों के लिए भी बहुत ही आवश्यक है। उचित रूप से लड़ाई लड़ने के लिए दूसरे देशों के धरातल की रचना, भौगोलिक दशायें तथा मानचित्र का अध्ययन आवश्यक होता है।
4. पृथ्वी के भौगोलिक ढाँचे, प्रकृति तथा संस्कृति के ढाँचों को प्रभावित करता है – आधुनिक विश्व में इस तथ्य का समझना अत्यन्त आवश्यक है। विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों के मध्य रहने वाले लोगों के जीवन में सामंजस्य को समझने पर ही हम दूसरों के प्रति सहानुभूति रख सकते हैं। टुण्ड्रा-प्रदेश, गर्म रेगिस्तानों तथा पर्वतीय प्रदेश में रहने वाले मनुष्यों के कठिन जीवन को हम उनकी कठिन तथा विषम भौगोलिक परिस्थितियों को पृष्ठभूमि के प्रसंग में ही ठीक प्रकार से समझ सकते हैं। एस्किमो तथा गर्म रेगिस्तान के बद्दू इतनी विषम भौगोलिक परिस्थितियों के होते हुए भी अपने जीवन यापन के लिए संघर्ष करते रहते हैं। उनके जीवन के विषय में जब हम अधिक पारस्परिक जानकारी प्राप्त करते हैं, तो सद्भावना का विकास होता है। एस्किमों के साहस तथा वीरतापूर्ण जीवन संघर्ष की सराहना किये बिना हम रह नहीं सकते। इस प्रकार पारस्परिक सद्भावना तथा सहयोग की भावना विकसित होती है। यदि हम दूसरे देश के लोगों की परिस्थितियों का ठीक-ठीक ज्ञान रखें तो हमें उनकी तथा वातावरण से सम्बन्धित प्रतिक्रियाओं के समझने में सुगमता होगी और हम अनायास उनको घृणा तथा क्षुब्धता की भावना से नहीं देखेंगे। यह समझदारी और सद्भावना आजकल के युग में विध्वंसकारी युद्धों से अलग रखकर रचनात्मक कार्यों द्वारा मानव-समाज को समृद्ध और समुन्नत बनाने में सहायक होगी। अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना तथा सहयोग के आधार पर ही हम विश्व बन्धुत्व की भावना दृढ़ कर सकते हैं।
5. प्राकृतिक सम्पदा का उचित उपयोग – भूगोल का ज्ञान व्यक्ति/ छात्रों के लिए इसलिए भी आवश्यक है कि वे यह जान जायें कि अपने राष्ट्र की आर्थिक उन्नति करने के लिए उन्हें अपने वनों, खनिज पदार्थों की रक्षा करनी है तथा उनका उचित उपयोग करना है। जब तक राष्ट्र की सीमित प्राकृतिक सम्पत्ति का किफायती उपयोग तथा उसके संरक्षण का उचित प्रबन्ध नहीं किया जायेगा, तब तक देश की समृद्धि नहीं हो सकती है। इसलिए यह आवश्यक है कि हम यह जानें कि हमारी जन्म भूमि के गर्भ में कौन-कौन से खनिज पदार्थ पाये जाते हैं और कितनी मात्रा में हैं। हमें यह ज्ञान भूगोल विषय के माध्यम से ही प्राप्त हो सकता है।
6. दृष्टिकोण का विस्तृत होना- भूगोल के अध्ययन से बच्चों का दृष्टिकोण विस्तृत होता है। वे विश्व के नागरिक बन जाते हैं। संसार की समस्याओं को विवेकपूर्ण तथा आलोचनात्मक ढंग से सोचते हैं। उनके अन्दर कल्पना, निरीक्षण, सोचना तथा तर्क इत्यादि का विकास हो जाता है। विस्तृत दृष्टिकोण हो जाने से वे उन समस्याओं का सही व उचित हल निकालने में समर्थ होते हैं और किसी भी व्यक्ति एवं राजनैतिक नेता की बातों में नहीं फँस सकते हैं।
7. विश्व-बन्धुत्व की भावना का विकास – भूगोल के से अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना, सहयोग तथा विश्व बन्धुत्व की भावना का विकास होता है। टुण्ड्रा प्रदेश के एस्किमो तथा गर्म रेगिस्तानों की बद्दू अपनी विषम परिस्थितियों के होते हुये भी अपने जीवन-यापन के लिए संघर्ष करते रहते हैं। उनके साहस व धैर्य के प्रति हमारे हृदय में आदर की भावना जाग्रत होती है। उनके लिए हम सहानुभूति की भावना प्रदर्शित करते हैं। इस प्रकार भौगोलिक विभिन्नता में मानव एकता की जड़ें मजबूत होने लगती है। इस प्रकार भूगोल अध्ययन से विश्व – बन्धुत्व की भावना का विकास होता है।
उपर्युक्त विवेचना से स्पष्ट होता है कि भूगोल का अध्ययन अत्यन्त महत्वपूर्ण है। भूगोल वास्तविक जीवन में दैनिक जीवन के व्यवहार में, प्राकृतिक घटनाओं को समझने में, कृषि, वाणिज्य एवं व्यवसाय में, प्रशासन के कार्यो में, अन्य सामाजिक विषयों के समझने में हमारी महत्वपूर्ण सहायता करता है। इसी प्रकार सांस्कृतिक तथा मानसिक विकास में स्मरण एवं निरीक्षण शक्तियों को दृढ़ करने में सामाजिक तथा नागरिकता सम्बन्धी बातों को समझने में, दूसरों के जीवन तथा समस्याओं के प्रति सहानुभूति पूर्ण दृष्टिकोण प्राप्त करने में, भूगोल का अध्ययन महत्वपूर्ण है।
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