भूगोल को विद्यालय के पाठ्यक्रम में क्यों सम्मिलित किया गया है?
भूगोल को विद्यालय के पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने के कारण – भूगोल को विद्यालयी पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने के निम्नलिखित कारण है-
1. कौशल का विकास – भूगोल अध्ययन में जब बालक मानचित्रों, ग्लोब आदि का अध्ययन करता है तो वह देखकर उनको समझने का प्रयास करता है, इससे निरीक्षण शक्ति बढ़ती है इससे बालक अपनी जिज्ञासाओं की पूर्ति कर प्रसन्नता महसूस करता है।
2. अन्योन्याश्रय की भावना का विकास – आज विश्व का कोई भी देश अपने आप में आत्मनिर्भर नहीं है। वह किसी न किसी क्षेत्र में दूसरे देशों पर निर्भर रहते हुए। अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। इससे एक देश की दूसरे देश के प्रति मदद की भावना बढ़ती है तथा व्यापार बढ़ता है। इस प्रकार विद्यालय पाठ्यक्रम में भूगोल छात्रों को आयात-निर्यात का ज्ञान कराता है। इससे छात्रों में अच्छी नागरिकता का भी विकास होता है।
3. जीविकोपार्जन में सहायक एक कुशल उद्योगपति को यदि यह जानकारी है कि इस क्षेत्र में अमुक प्रकार का कच्चा माल प्राप्त होता है तो उस क्षेत्र में उसी तरह के उद्योग विकसित किए जाने पर तो उद्योग अधिक विकसित हो सकता है। इस प्रकार की जानकारी भूगोल के द्वारा ही हासिल की जा सकती है तभी कोई उद्योग अधिक लाभकारी सिद्ध हो सकता है। इस तरह का ज्ञान पाठ्य पुस्तकों में रखना अनिवार्य है।
4. प्राकृतिक सम्पदा का ज्ञान पृथ्वी पर जितनी प्रकार की सम्पदा मौजूद है उन सबकी जानकारी हमें भूगोल के द्वारा ही प्राप्त होती है। वन, भूमि, खनिज पदार्थों के संरक्षण आदि का ज्ञान हमें भूगोल के द्वारा ही प्राप्त होता है।
5. राष्ट्र प्रेम की भावना का विकास – भूगोल का अध्ययन छात्रों में राष्ट्र के प्रति अगाध प्रेम विकसित करता है। जब छात्र अपने देश के प्राकृतिक व रमणीय स्थानों, ऊँचे पर्वतों, विशाल नदियों, सदाबहार व मूल्यवान वनस्पति वनों, जल संसाधन, खनिज संसाधन आदि के बारे में जानकारी हासिल करता है तो उसकी भावना राष्ट्र के प्रति गहरी हो जाती है। इससे हमारी एकता बढ़ती है। इसीलिए भारत विविधता में एकता वाला राष्ट्र कहलाता है।
6. प्रकृति के प्रति प्रेम – धरातल पर कहीं झरने, हिमाच्छादित चोटियाँ कलकल करती नदियाँ, हरे-भरे वन, झीलें, हरे-भरे खेत, प्राकृतिक सौन्दर्य आदि के बारे में, भूगोल ही विस्तार से जानकारी दे सकता है। इन सब के बारे में जानकारी मिलने पर भूगोल के प्रति अनुराग उत्पन्न होता है।
7. इतिहास को समझने में सहायक यदि हमें भूगोल का ज्ञान नहीं है तो इतिहास का अध्ययन अरुचिकर प्रतीत हो जायेगा। भूगोल का ज्ञान इतिहास की घटनाओं को सजीवता प्रदान करता है। हमें किसी राष्ट्र के अतीत, वर्तमान तथा भविष्य को समझने में भूगोल मदद करता है। विद्यालय पाठ्यक्रम में भूगोल का महत्व इस दृष्टि से बढ़ जाता है।
8. धरातल से सम्बन्धित जानकारी मानव जहाँ निवास करता है उसके आस – पास पर्वत, नदियाँ, तालाब, कृषि पैदावार, वनस्पति के प्रकार आदि सभी की जानकारी प्राप्त करना मनुष्य का स्वभाव है। इन सभी की जानकारी मनुष्य को भूगोल ही दे सकता है। इस तरह की जानकारी को हासिल करने के बाद हम इन्हें विद्यालय पाठ्यक्रम में रखते हैं ताकि छात्रों का ज्ञान इन चीजों के प्रति विकसित हो सके।
वर्तमान समय में भूगोल का पाठ्यक्रम में महत्व और भी अधिक हो गया है। जबकि विश्व के अनेक भागों में साम्प्रदायिकता, राष्ट्रवाद एवं जातिवाद जैसी कुरीतियों के कारण आये दिन विभिन्न समुदायों में संघर्ष होता रहता है और जन व धन की हानि के साथ-साथ मानसिक अशान्ति एवं अस्थिरता का वातावरण पैदा होता है। भूगोल शिक्षण के द्वारा बालक में व्यापक दृष्टिकोण का विकास होता है। वह स्वयं को एवं अपने देश व जाति को ही महत्व न देकर सभी को समान आदर से देखता है।
साम्प्रदायिकता, राष्ट्रवाद एवं जातिवाद जैसी चीजों को तुच्छ समझने लगता है और सदैव स्वयं के भले की न सोचकर समस्त मानवता की भलाई के विषय में विचार करता है। अर्थात् भूगोल शिक्षण द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय समझ’ की भावना का उद्गम होता है, जो आज के समय में मानवता को बचाने की प्रथम आवश्यकता की गयी है।
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