मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ तथा परिभाषा दीजिए। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति की विशेषताएँ बताइए।
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मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ तथा परिभाषा (Meaning & Definition of Mental Health)
‘मानसिक स्वास्थ्य’ का अर्थ व्यापक है। इसका स्पष्टीकरण करते हुए कुप्पूस्वामी (Kuppuswamy) ने लिखा है—”मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ मानसिक रोगों की अनुपस्थिति नहीं है। इसके विपरीत, यह व्यक्ति के दैनिक जीवन का सक्रिय और निश्चित गुण है। यह गुण उस व्यक्ति के व्यवहार में व्यक्त होता है, जिसका शरीर और मस्तिष्क एक ही दिशा में साथ-साथ कार्य करते हैं। उसके विचार, भावनाएँ और क्रियाएँ एक ही उद्देश्य की ओर सम्मिलित रूप से कार्य करती हैं। मानसिक स्वास्थ्य कार्य की ऐसी आदतों और व्यक्तियों तथा वस्तुओं के प्रति ऐसे दृष्टिकोणों को व्यक्त करता है जिनसे व्यक्ति को अधिकतम संतोष और आनन्द प्राप्त होता है। पर व्यक्ति को यह संतोष और आनन्द उस समूह या समाज से, जिसका कि वह सदस्य होता है, तनिक भी विरोध किए बिना प्राप्त करना पड़ता है। इस प्रकार, मानसिक स्वास्थ्य समायोजन की वह प्रक्रिया है, जिसमें समझौता और सामंजस्य, विकास और निरन्तरता का समावेश रहता है।” ‘मानसिक स्वास्थ्य’ के अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए कुछ परिभाषाएँ निम्न प्रकार हैं-
1. कुप्पूस्वामी – “मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ है-दैनिक जीवन में भावनाओं, इच्छाओं, महत्वाकांक्षाओं और आदर्शों में सन्तुलन रखने की योग्यता। इसका अर्थ है-जीवन की वास्तविकताओं का सामना करने और उनको स्वीकार करने की योग्यता।”
“Mental health means the ability to balance feelings, desires, ambitions and ideals in one’s daily life. It means the ability to face and accept the realities of life.” – Kuppuswamy.
2. लैडेल – “मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ है-वास्तविकता के धरातल पर वातावरण से पर्याप्त सामंजस्य करने की योग्यता।”
“Mental Health means the ability to make adequate adjustments to the environment, on the plane of reality.” -Ladell
मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति की विशेषताएँ (Characteristics of Mentally Healthy Person)
कुप्पूस्वामी (Kuppuswamy) के अनुसार-मानसिक रूप से स्वस्थ या सुसमायोजित (Well-adjusted) व्यक्ति में निम्नलिखित विशेषताएँ पाई जाती हैं-
1. आत्मविश्वास (Self-Confidence) – ऐसे व्यक्ति में आत्मविश्वास होता है। उसे यह विश्वास होता है कि वह अपनी योग्यता के कारण सफलता प्राप्त कर सकता है। उसे यह भी विश्वास होता है कि वह प्रत्येक कार्य को उचित विधि से कर सकता है। वह अधिकतर अपने ही प्रयास से अपनी समस्याओं का समाधान करता है।
2. संवेगात्मक परिपक्वता (Emotional Maturity) – ऐसा व्यक्ति अपने व्यवहार में संवेगात्मक परिपक्वता का प्रमाण देता है। इसका अभिप्राय यह है कि उसमें भय, क्रोध, ईर्ष्या ऐसे संवेगों को नियन्त्रण में रखने और उनको वांछनीय ढंग से व्यक्त करने की क्षमता होती है। वह भय, क्रोध और चिन्ताओं से अस्त-व्यस्त नहीं होता है।
3. सहनशीलता (Tolerance) – ऐसे व्यक्ति में सहनशीलता होती है। अतः उसे अपने जीवन की निराशाओं को सहन करने में किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता है।
4. वातावरण का ज्ञान (Understanding of Environment)- ऐसे व्यक्ति को वातावरण और उसकी शक्तियों का ज्ञान होता है। इस ज्ञान के आधार पर वह निर्भय होकर भावी योजनाएँ बनाता है। उसमें जीवन की वास्तविकताओं का उचित ढंग से सामना करने की शक्ति होती है।
5. जीवन-दर्शन (Philosophy of Life) – ऐसे व्यक्ति का एक निश्चित जीवन-दर्शन होता है, जो उसके दैनिक कार्यों को अर्थ और उद्देश्य प्रदान करता है। उसके जीवन दर्शन का सम्बन्ध इसी संसार से होता है। अतः उसमें इस संसार से दूर रहने की प्रवृत्ति नहीं होती है। इसी प्रवृत्ति के कारण वह अपनी समस्याओं का समाधान करने के लिए वास्तविक कार्य करता है। वह अपने कर्त्तव्यों और उत्तरदायित्वों की कभी भी अवहेलना नहीं करता है।
6. निर्णय करने की योग्यता (Ability to Decide) – ऐसे व्यक्ति में निर्णय करने की योग्यता होती है। वह स्पष्ट रूप से विचार करके प्रत्येक कार्य के सम्बन्ध में उचित निर्णय कर सकता है।
7. शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति ध्यान (Attention to Physical Health)- ऐसा व्यक्ति अपने शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति पूर्ण ध्यान देता है। वह स्वस्थ रहने के लिए नियमित जीवन व्यतीत करता है। वह भोजन, नींद, आराम, शारीरिक कार्य, व्यक्तिगत स्वच्छता और रोगों से सुरक्षा के सम्बन्ध में स्वास्थ्य प्रदान करने वाली आदतों का निर्माण करता है।
8. व्यक्तिगत सुरक्षा की भावना (Sense of Personal Safety)- ऐसे व्यक्ति में व्यक्तिगत सुरक्षा की भावना होती है। वह अपने समूह में अपने को सुरक्षित समझता है। वह जानता है कि उसका समूह उससे प्रेम करता है और उसे उसकी आवश्यकता है।
9. सामंजस्य की योग्यता (Ability to Adjust)- ऐसे व्यक्ति में सामंजस्य करने की योग्यता होती है। इसका अभिप्राय यह है कि वह दूसरों के विचारों और समस्याओं को एवं उनमें पाई जाने वाली विभिन्नताओं को स्वाभाविक बात समझता है। वह स्थायी रूप से प्रेम कर सकता है, प्रेम प्राप्त कर सकता है और मित्र बना सकता है।
10. आत्म- मूल्यांकन की क्षमता (Capacity of Self-Evaluation) – ऐसे व्यक्ति में आत्म-मूल्यांकन की क्षमता होती है। उसे अपने गुणों, दोषों, विचारों और इच्छाओं का ज्ञान होता है। वह निष्पक्ष रूप से अपने व्यवहार के औचित्य और अनौचित्य का निर्णय कर सकता है। वह अपने दोषों को सहज ही स्वीकार कर लेता है।
11. वास्तविक संस में निवास (Life in Real World)- ऐसा व्यक्ति वास्तविक संसार में, न कि काल्पनिक संसार में निवास करता है। उसका व्यवहार वास्तविक बातों से, न कि इच्छाओं और काल्पनिक भयों से निर्देशित होता है।
12. आत्म-सम्मान की भावना (Sense of Self-Respect)- ऐसे व्यक्ति में आत्म-सम्मान की भावना होती है। वह अपनी योग्यता और महत्व को भली-भाँति समझता है एवं दूसरों से उनके सम्मान की आशा करता है। मानसिक रूप से व्यक्ति का स्वस्थ होना अत्यन्त आवश्यक है। वह स्वस्थ तभी रह सकता है, जब उचित वातावरण द्वारा वह उपरोक्त सभी गुणों को अपने में संतुलित रूप से विकसित करे।
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