मार्क्सवाद विचारों की आलोचना | Criticism of Marxism Ideas in Hindi
मार्क्सवाद के विपक्ष में अनेक तर्क प्रस्तुत किए गए हैं। यहाँ हम उनका उल्लेख संक्षेप में कर रहे हैं-
1. मार्क्सवाद मनुष्य को केवल एक आर्थिक प्राणी मान लेता है परन्तु आर्थिक तत्व को ही जीवन का एक मात्र तत्व स्वीकार नहीं किया जा सकता।
2. मार्क्सवाद वैयक्तिक स्वतन्त्रता का हनन करता है और व्यक्ति के प्रत्येक कार्य पर समाज का अंकुश लगा देता है।
3. मार्क्स की इतिहास की भौतिक व्याख्या एकपक्षीय प्रतीत होती है और मानव-इतिहास के सभी कार्यों को केवल इसी के आधार पर नहीं समझाया जा सकता।
4. मार्क्स का अतिरिक्त मूल्य का सिद्धान्त ही पूर्ण सत्य नहीं है क्योंकि श्रम ही धन का एक मात्र स्रोत नहीं है।
5. मार्क्स का वर्ग-संघर्ष सिद्धान्त इतिहास द्वारा समर्थित नहीं है। इतिहास में ऐसे भी समय रहे हैं जब वर्ग-संघर्ष नहीं रहा।
6. मार्क्सवादी समाज का द्वन्द्वात्मक आधार असत्य है। मार्क्स का यह कथन इतिहास द्वारा असत्य सिद्ध होता है कि मार्क्सवाद के विकास में सामन्तवाद के बाद पूँजीवाद और पूँजीवाद के बाद मार्क्सवाद का प्रादुर्भाव होता है।
7. यह एक सर्वाधिकारी विचारधारा है और इसमें व्यक्ति मशीन की भाँति हो जाता है।
8. मार्क्सवाद में हिंसात्मक एवं क्रान्तिकारी साधनों की उपासना की गई है जब कि हिंसा द्वारा, चिरस्थायी शान्ति कभी भी सम्भव नहीं है। मार्क्सवाद यह बतलाता है कि, “पवित्र से के पवित्र उद्देश्य भी घृणित तरीकों द्वारा पाए जाने पर व्यर्थ हो जाता है।”
9. मार्क्सवादी विचारधारा वह मानता है कि वर्ग-संघर्ष में श्रमिकों की ही विजय होगी परन्तु यह आवश्यक नहीं है। इटली में फासिस्टवाद का विकास श्रमिकों की जीत होने पर ही हुआ। फासिस्टवादी मुसोलिनी पूँजीवाद को जीवित रखना चाहता था, इस बात से मार्क्सवादी इन्कार नहीं कर सकते हैं।
10. मार्क्सवाद धर्म के महत्व को नहीं समझता और धर्म का जनता की अफीम कहना किन्हीं भी मानों में उचित नहीं है।
11. मार्क्सवादियों की राज्य के बारे में गलत धारणा है। वे राज्य को एक पूँजीवादी संस्था मानते हैं, जो मजदूरों का शोषण करती है। परन्तु आधुनिक कल्याणकारी राज्यों में दलित वर्ग के उत्थान का प्रयास किया जाता है।
12. मार्क्स ने यह भविष्यवाणी की थी कि 50 वर्षों में राज्य का अन्त हो जायगा। रूस में क्रान्ति हुए 50 वर्ष से ऊपर हो गए परन्तु आज भी राज्य के अन्त होने के लक्षण कहीं भी नहीं दिखाई देते।
मैक्सलर्नर ने मार्क्सवाद में निम्नलिखित 6 महान दोष बतलाए हैं-
- पूँजीवाद की शक्ति को कम समझना,
- श्रमिकों को क्रान्तिकारी प्रवृत्ति की ओर बढ़ावा देना
- मध्य वर्ग को कम समझना एवं उनके कार्यों को सन्देह से देखना,
- राष्ट्रवादी विचारधारा को कम महत्व प्रदान करना,
- मानव-प्रकृति की गलत धारणा और
- मजदूरों की तानाशाही की दोषपूर्ण कल्पना।
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