राजनीतिक सिद्धान्त के महत्व का वर्णन कीजिये।
मानवीय जीवन की आवश्यकतों की पूर्ति तथा लक्ष्य की प्राप्ति से राजनीतिक सिद्धान्त का वास्ता है। मानव की खुशहाली के लिए ही विभिन्न विचारधाराओं का प्रतिपादन किया जाता रहा है। कल अगर उपयोगितावाद उदारवाद और मार्क्सवाद जैसी विचारधाराओं का आगमन हुआ तो आने वाले दिनों में कुछ विचारधाराएं कुछ नये मूल्यों को लेकर स्थापित होने के लिए प्रयासरत है, हालांकि इनका सम्बन्ध मुख्यतः दो ही विचारधाराओं उदारवाद या मार्क्सवाद से हो सकता है।
जहाँ तक राजनीतिक सिद्धान्त की उपयोगिता और महत्व की बात है, तो निम्नलिखित रूप में इन्हें रखा जा सकता है-
1. समस्याओं के समाधान में सहायक (Solving the problems )- राजनीतिक सिद्धान्त की उपयोगिता राजनीतिक समस्याओं के समाधान से जुड़ी हुई है। एक राजनीतिक चिन्तक परिस्थितियों का गहन अध्ययन करता है और उस परीक्षण के आधार पर अपने कुछ समाधान प्रस्तुत करता है, जिनसे मानव-जीवन यानि सम्पूर्ण व्यवस्था को लाभ मिलता है। स्पष्ट है कि समस्याओं के समाधान के दृष्टिकोण से राजनीतिक सिद्धान्त की महत्ता है।
2. आन्दोलन में महत्वपूर्ण कारक (Important Factor In Movement)- राजनीतिक आन्दोलनों के पीछे सदैव एक विचारधारा का हाथ रहा है। अब तक जितने भी राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय आन्दोलन हुए तथा समाज में क्रांतियाँ लाई गई, उन सबके पीछे राजनीतिक सिद्धान्त की भूमिका ही महत्वपूर्ण रही है। अगर राजनीति विज्ञान के क्षेत्र में देखें तो उदारवादी एवं मार्क्सवादी राजनीतिक सिद्धान्त की जरर्दस्त भूमिका रही है। अनुभववादी राजनीतिक सिद्धान्त के द्वारा राजनीतिक विज्ञान में व्यवहारवादी क्रान्ति लाई गई, तो समकालीन राजनीतिक सिद्धान्त द्वारा व्यवहारवादी कट्टरता के विरोध में उत्तर-व्यवहारवादी को लाया गया। स्पष्टतः राजनीतिक सिद्धान्त को जीवन व विज्ञान के क्षेत्रों में परिवर्तन के एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में स्वीकार किया जा सकता है।
3. भविष्य की योजना (Future Planning )- राजनीतिक सिद्धान्त का उद्देश्य केवल वर्तमान परिस्थितियों की समालोचना करना ही नहीं, बल्कि भविष्य के लिए योजना निर्धारित करना भी है, ताकि एक बेहतर भविष्य का निर्माण किया जा सके। उदाहरणार्थ प्लेटों के द्वारा अपनी प्रथम व महत्वपूर्ण आदर्शवादी रचना ‘The Republic’ में न्याय, शिक्षा और साम्यवादी सिद्धान्तों के साथ-साथ अनेक सिद्धान्तों का प्रतिपादन आदर्श राज्य की परिकल्पना हेतु किया गया है। इसी प्रकार सकारात्मक उदारवादी चिन्तकों के द्वारा न्यायपूर्ण समाज के लिए लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना में विभिन्न सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया जाता रहा है।
4. नवीन धारणाओं का विकास (Development of New Concept) — प्रत्येक युग में अलग-अलग परिस्थितियाँ होती है और प्रत्येक राजनीतिक विचारक अपने युग की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए नई-नई अवधारणाएं प्रस्तुत करता है। मद्यकालीन युग के पश्चात् बौद्धिक जागरण, धार्मिक सुधार आन्दोलन व औद्योगिक क्रान्ति ने उदारवाद को सामने लाया और व्यक्तिगत स्वतन्त्रता की अवधारणा का जन्म हुआ, उसी प्रकार परम्परागत उदारवादी सिद्धान्त के विरोध में समाजवादी और मार्क्सवादी सिद्धान्त का उदय और आर्थिक समानता की अवधारणा का विकास हुआ। सार रूप में, यह कहा जा सकता कि बदलती परिस्थितियों में राजनीतिक सिद्धान्त नवीन मानवीय मूल्यों की स्थापना में सहायक साबित होते रहे हैं।
5. राजनीतिक व्यवस्था का औचित्य प्रमाणित करना (Justify the Political System)- राजतन्त्र, कुलीनतन्त्र, लोकतन्त्र, तानाशाही जैसी– विभिन्न प्रकार की व्यवस्थाएं होती हैं, जिनका खास सिद्धान्त एवं उद्देश्य होता है। इन सिद्धान्तों के द्वारा हर युग की राजनीतिक व्यवस्था के औचित्य को प्रमाणित करनेका प्रयास किया जाता है; उदाहरणार्थ, मुसोलिनी और हिटलर के द्वारा फासीवाद न नाजीवाद के औचित्य को प्रमाणित करनेका प्रयास किया गया। स्पष्ट है कि तमाम विचारधाराएं किसी न किसी सिद्धान्त पर आधारित होकर राजनीतिक व्यवस्था के औचित्य को प्रमाणित करना चाहती हैं। दूसरे शब्दों में, राजनीतिक सिद्धान्त का महत्व राजनीतिक व्यवस्था के औचित्य को प्रमाणित करने के कारण कुछ ज्यादा ही महत्वपूर्ण हो जाता है।
6. ज्ञान और चेतना की अभिवृद्धि (Enlightenment of Knowledge and Conscience )- राजनीतिक सिद्धान्त के द्वारा समस्याओं का समाधान भविष्य की योजना की सफलता, नवीन धारणाओं का विकास और राजनीतिक प्रणालियों व औचित्य प्रमाणित होता ही है, साथ ही साथ इससे ज्ञान तथा चेतना में भी अभिवृद्धि होती है। वास्तव में, ज्ञान और चेतना की अभिवृद्धि से ही मानवीय जीवन में प्रकाश आता है तथा आदर्श समाज और आदर्श राज्य का निर्माण होता है। प्लेटों ने ठीक ही कहा है कि “ज्ञान ही सद्गुण है और सद्गुण की ताकत है।” स्पष्ट है कि राजनीतिक सिद्धान्त के माध्यम से जिस ज्ञान और चेतना की अभिवृद्धि होती है, उनसे परिवार, समुदाय, राज्य के साथ-साथ सम्पूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय समाज को सौहार्दपूर्ण व खुशहाल बनाया जा सकता है। यहाँ स्पष्ट हो रहा है कि राजनीतिक सिद्धान्त से सम्पूर्ण विश्व को बेहतर मुकाम की ओर ले जाया जा सकता है।
7. घटनाओं और मानवीय मूल्यों में सन्तुलन (Maintain the Balance between Events and Values ) — राजनीतिक चिन्तकों के द्वारा राजनीतिक घटनाओं का विश्लेषण करके, उनका समाधान प्रस्तुत किया जाता है तथा घटनाओं और मानवीय मूल्यों में सन्तुलन में स्थापित करने का प्रयास किया जाता है। घटनाओं और मानवीय मूल्यों के बीच सन्तुलन स्थापित करने के लिए ही राजनीतिक सिद्धान्तों को अपने स्वरूप में परिवर्तन लाना पड़ता है।
राजनीतिक सिद्धान्त की उपयोगिता, उद्देश्य एवं महत्व के विवेचन से स्पष्ट है कि यह मानवीय जीवन की आधारशिला है, मानवीय जीवन को गति देता है तथा एक खुशहाल व शांतिपूर्ण विश्व निर्माण सहायक भी हो सकता है।
IMPORTANT LINK
- डाल्टन पद्धति का क्या तात्पर्य है ? डाल्टन-पद्धति का उद्देश्य, कार्य प्रणाली एंव गुण-दोष
- बेसिक शिक्षा पद्धति | Basic Education System In Hindi
- मेरिया मॉन्टेसरी द्वारा मॉण्टेसरी पद्धति का निर्माण | History of the Montessori Education in Hindi
- खेल द्वारा शिक्षा पद्धति का क्या तात्पर्य है ?
- प्रोजेक्ट पद्धति क्या है ? What is project method? in Hindi
- किण्डरगार्टन पद्धति का क्या अर्थ है ? What is meant by Kindergarten Method?