राजनीति विज्ञान की पाठ्य पुस्तकों को कितने भागों में विभक्त कर सकते हैं?
पाठ्य पुस्तकों के प्रकार
राजनीति विज्ञान की पाठ्य-पुस्तकों को तीन भागों में विभक्त कर सकते है :-
1. परम्परागत पाठ्य पुस्तकें – इन्हें संक्षिप्त पाठ्य पुस्तकों की भी संज्ञा दी जाती है। इनकी विशेषता यह है कि पाठ्य पुस्तक को पूर्ण रूप से घटनाओं एवं तथ्यों के रूप में प्रस्तुत करती है। विषय वस्तु को समय के क्रम में व्यवस्थित किया जाता है। इन पुस्तकों से बालकों का सृजनात्मक विचारशक्ति के विकास के लिये अवसर नहीं मिलता है।
2. पाठ्यक्रम पर आधारित पुस्तकें – इन पाठ्य पुस्तकों को किसी स्तर के लिये प्रयुक्त किया जाता है। यह पाठ्यक्रम एवं स्तर द्वारा नियन्त्रित होती हैं। ज्ञान की दृष्टि से अधिक संकुचित होती है। एक ही विषय वस्तु के लिये माध्यमिक स्तर तथा उच्चतर माध्यमिक स्तर के लिये तथ्यों, घटनाओं, रूपरेखा में अन्तर पाया जाता है। इन पाठ्य पुस्तकों के निर्माण में शिक्षण उद्देश्यों को विशेष महत्व दिया जाता है।
3. सन्दर्भ पुस्तकें – इस प्रकार की पाठ्य पुस्तकों की रूपरेखा अधिक विस्तृत होती है। इसमें तथ्यों एवं घटनाओं की व्याख्या गहनता से की जाती है और भावी विकास के लिये अवसर प्रदान किया जाता है। शिक्षक इसका अध्ययन सन्दर्भक रूप में करता है, इसलिये इन्हें सन्दर्भ पुस्तकों की संज्ञा दी जाती है।
द्वितीय प्रकार की पाठ्य पुस्तकें सभी कक्षाओं में प्रयुक्त की जाती है, परन्तु प्रथम प्रकार की पुस्तकें उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में प्रयुक्त की जाती है। सन्दर्भ पुस्तकों का प्रयोग शिक्षण तथा उच्च कक्षाओं में किया जाता है।
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