राजनीति विज्ञान शिक्षण के उद्देश्यों को लिखिये।
राजनीति विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य
प्राथमिक शिक्षा के बाद विद्यार्थियों को राजनीति विज्ञान में सम्मिलित विभिन्न विषयों का ज्ञान देना चाहिये जिससे उनकी बुद्धि इतनी विकसित सके कि वे इन विषयों को समझ सकें। राजनीति विज्ञान में विभिन्न प्रकरणों का तालमेल ऐसा हो जिससे राजनीति विज्ञान का ढांचा सुरक्षित रहे। कहने का तात्पर्य यह हैं कि राजनीति विज्ञान में ऐसे प्रकरण चुने जिनका परस्पर संबंध हो और जिनसे राजनीति विज्ञान का सामान्य ढांचा सुरक्षित रहे। इन प्रकरणों का चयन करते समय निम्नलिखित उद्देश्यों को प्रमुखता देनी चाहिये :
(i) राजनैतिक ज्ञान की आवश्यकता :- विद्यार्थियों को विश्व के राजनैतिक क्षेत्रों का ज्ञान देना ही काफी नहीं बल्कि उन्हें यह भी बताना चाहिये कि कैसे विभिन्न राजनैतिक क्षेत्र जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए परस्पर निर्भर है। यह निर्भरता आज समाज को एक दूसरे से जोड़े रखती हैं जिससे मानव कल्याण का विकास तथा मानवीय संवेदना का विकास होता है। माध्यमिक स्तर पर विद्यार्थियों को बताया जाना चाहिये कि विभिन्न क्षेत्रों में लोगों का जीवन उनकी राजनैतिक परिस्थितियों से बहुत प्रभावित होता हैं। राजनैतिक परिस्थितियां मानव के सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक सभी प्रकार के जीवन को प्रभावित करती हैं तथा उनमें समय-समय पर परिवर्तन करती हैं तथा उनमें समय- समय पर आने वाले परिवर्तन भी आते रहते हैं। इसलिए बच्चों को राजनैतिक ज्ञान व इसकी अवधारणाओं से परिचित करवा देना चाहिये।
(ii) लोकतंत्र की आवश्यकता :- इस स्तर पर विद्यार्थियों को यह बता देना चाहिये कि व्यक्ति के व्यक्तिगत एवं सामाजिक विकास के लिए लोकतन्त्र अति आवश्यक. होता हैं। आज विश्व के लगभग सभी देशों में लोकतन्त्र ही चलता हैं क्योंकि लोकतन्त्र एक शासन व्यवस्था ही नहीं अपितु एक जीवन विधि भी है। लोकतन्त्र में मानवधिकार सुरक्षित रहते हैं उनका विकास होता हैं। लोकतन्त्र के विकास के लिए विद्यार्थियों में विभिन्न गुणों-जैसे सहयोग, सहनशीलता, सद्भावना, धर्म निरपेक्षता, सामाजिक एवं आर्थिक समता, अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, रचनात्मक आलोचना आदि की ओर जागरुक करना चाहिये।
(iii) परिवर्तन प्रक्रिया की जानकारी :- बच्चों को जीवन की परिवर्तन प्रक्रिया के बारे में ज्ञान प्रदान कर देना चाहिय। उन्हें इस बात से अवगत कराना चाहिये कि परिवर्तन जीवन-प्रक्रिया का शाश्वत नियम है। आज के आधुनिक युग तक पहुँचते-पहुँचते मानव समाज अनेक परिवर्तनों से गुजर चुका हैं बच्चों को यह बता देना चाहिये कि उन्हें भी इस परिवर्तन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी हैं।
(iv) देश की शासन प्रणाली का ज्ञान :- माध्यमिक स्तर पर बच्चों में राष्ट्रीय भावना का विकास किया जाता है तथा उनकी मानसिकता को अनेकता में एकता के मार्ग की ओर अग्रसर किया जाता हैं। माध्यमिक स्तर पर बच्चों में भावनात्मक एकता को बढ़ावा दिया जाता हैं तथा उन्हें देश की शासन व्यवस्था से अवगत कराया जाता है जिससे, वे देश की प्रशासनिक गतिविधियां विभिन्न राजनैतिक एवं नागरिक संस्थाओं की कार्य प्रणाली को भली-भाँति समझ सकें। इससे विद्यार्थियों में देश की शासन व्यवस्था की जानकारी होगी तथा वे इसमें होने वाले परिवर्तनों से भी अवगत रहेंगे।
(v) अन्तर्राष्ट्रीयता के विकास के प्रति दायित्व :- विज्ञान एवं तकनीकी ने आज विश्व को इतना छोटा कर दिया हैं कि सभी देश एक दूसरे से किसी ना किसी रूप में जुड़ गए है। आज एक दूसरे पर निर्भरता भी बढ़ गई है। आज अन्तर्संबन्धों की अनिवार्यता अन्तर्राष्ट्रीयता के विकास से सभी देशों में परस्पर मधुर सम्बन्धों का प्रसार होगा और विश्व में शांति बनी रह सकेगी। इसलिए इस स्तर पर विद्यार्थियों में अन्तर्राष्ट्रीयता के प्रति दायित्वों के निर्वाह की जरुरत राजनीति विज्ञान शिक्षण का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य हैं।
(vi) विभिन्न संस्कृतियों के प्रति प्रशंसात्मक दृष्टिकोण:- आज का युग एक देश, एक जाति विशेष नहीं हैं। वर्तमान मानव संस्कृति आज जिस मुकाम पर पहुँची है उसमें विभिन्न संस्कृतियों का सहयोग है। इसमें विभिन्न संस्कृतियों का समावेश है। इसी बात को आधार मानते हुए बच्चों को यह सिखाना चाहिये कि सभी संस्कृतियों का मिश्रण ही आधुनिक संस्कृति का जन्मदाता है और इसके प्रति उनका दृष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिये ताकि वे दूसरी संस्कृतियों से कुछ सीख लें।
(vii) मानव सभ्यता की एकता का ज्ञान :- माध्यमिक स्तर पर विद्यार्थियों का बताया जाना चाहिये कि सभी सभ्यताएं देखने में अलग अलग हो सकती हैं मगर उनमें एक बुनियादी एकता विद्यमान रहती है। यही बुनियादी एकता विश्व को एक परिवार बनाने में अपनी भूमिका अदा करती हैं।
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