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लागत लेखों के अंकेक्षण की प्रविधि एवं प्रक्रिया को समझाइए तथा लागत या परिव्यय अंकेक्षण के लाभों को बताइए।
लागत अंकेक्षण की प्रविधि एवं प्रक्रिया – लागत अंकेक्षण कार्यक्रम एक विस्तृत योजना के रूप में होता है जिसके अन्तर्गत अंकेक्षण के विभिन्न चरणों तथा प्रत्येक चरण के सम्बन्ध में अंकेक्षण जाँचों का विवरण दिया जाता है। यह कार्यक्रम अंकेक्षण कार्य में अंकेक्षण दल के विभिन्न सदस्यों के बीच कार्य के वितरण तथा अंकेक्षण की प्रगति की एक दिशा बनाये रखने में सहायक होता है। एक संस्था में अंकेक्षण आरम्भ करने से पूर्व व्यवसाय में अपनायी गयी लागत प्रणाली का अध्ययन करना आवश्यक होता है। लागत लेखांकन के अन्तर्गत प्रयोग किये गये पत्र, प्रपत्र, प्रतिवेदन, वितरण-पत्र सूचियों के अतिरिक्त लेखांकन हेतु रखी गयी सभी पुस्तकों की सूची प्राप्त करनी चाहिए। यह देखना चाहिए कि आन्तरिक निरीक्षण का कार्य सुचारु रूप से चलता है या नहीं। यह भी देखना चाहिए कि अंकेक्षण कराने का प्रबन्धकों के मन में क्या उद्देश्य है, अंकेक्षण का क्षेत्र क्या है तथा व्यवसाय का आकार किस प्रकार का है; व्यवसाय का आकार बड़ा होने पर लेन-देन अधिक संख्या में होते हैं और उस दशा में पुस्तक लेखाकर्म का कार्य व आन्तरिक निरीक्षण का कार्य सुसंगठित होना चाहिए। लागत अंकेक्षण की प्रविधि और प्रक्रिया निम्न प्रकार की होनी चाहिए।
1. समस्त प्राप्तियों व अदायगियों का प्रमाणन होना चाहिए, अर्थात् प्रत्येक लेन-देन का प्रमाण (Voucher) होना चाहिए जिससे उस सौदे की सत्यता प्रमाणित हो सके।
2. सभी गणनाओं, प्रपंजीयन आदि का सत्यापन होना चाहिए। इसके लिए जो सही अंकन के चिह्न अपनाये जाते हैं, लगाने चाहिए। यदि काम अधिक हो और समय कम हो तो परीक्षात्मक ढंग से लेखे की जाँच कर लेनी चाहिए।
3. उचन्ती खाते (Suspense A/c ) की मदों की जाँच सतर्कता से करनी चाहिए। इसी प्रकार समायोजन की सभी प्रविष्टियों का अध्ययन करना चाहिए।
4. बजट किये गये व्ययों से वास्तविक व्ययों का मिलान करना आवश्यक है। इसके अन्तरों के कारणों के विश्लेषण से बहुत कुछ ज्ञान हो जाता है।
5. प्रविधि के अन्तर्गत निम्न बात प्रमुख हैं- (i) भौतिक परीक्षण, (ii) भौतिक गणना, (iii) पुष्टिकरण, (iv) मूल प्रपत्रों की जाँच, (v) क्रमानुसार जाँच करना तथा (vi) पूछताछ ।
6. अंकेक्षक को अपनी नोट बुक में सभी बातों की टिप्पणी रखनी चाहिए जिनका वह आवश्यक समझे।
लागत या परिव्यय अंकेक्षण के लाभ
निर्माताओं, उत्पादकों, उपभोक्ताओं तथा सरकार की दृष्टि से लागत अंकेक्षण के निम्नांकित लाभ हैं-
1. निर्माणी संस्थाओं को लाभ- लागत अंकेक्षण का सर्वाधिक लाभ निर्माणी संस्थाओं को प्राप्त होता है। लागत अंकेक्षण के आधार पर इकाई लागत तथा कुल लागत की शुद्धता एवं औचित्य की जाँच की जाती है। इससे लागत व्यय में कमी की प्रभावी योजनाएँ लागू की जा सकती हैं, ताकि संस्था की उत्पादकता एवं कुशलता में सुधार लाया जा सके।
2. श्रमिकों को लाभ- लागत अंकेक्षण से श्रमिक वर्ग को भी लाभ प्राप्त होता है। लागत अंकेक्षण के आधार पर श्रमिक को दिये जाने वाले पारिश्रमिक का उचित निर्धारण किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त श्रमिकों को लागत लेखों की सहायता से वस्तुओं की उत्पादन लागत, विक्रय मूल्य तथा लाभ के बारे में ज्ञान रहने के कारण वे उचित मजदूरी के लिए अपनी माँग प्रस्तुत कर सकते हैं। वे उक्त सूचनाओं के आधार पर सरलता से जाने जाते हैं कि उन्हें उचित प्रतिफल प्रदान किया जा रहा है अथवा नहीं।
3. उपभोक्ताओं को लाभ- लागत अंकेक्षण से संस्था व सरकार को वस्तुओं के मूल्य निर्धारण में सहायता मिलती है परिणामतः उपभोक्ताओं को वस्तुएँ उचित मूल्य पर प्राप्त होने का लाभ मिल जाता है। चूँकि वस्तुओं के मूल्यों में अनावश्यक वृद्धि पर नियन्त्रण बना रहता है, अतः उपभोक्तागण कम मूल्य पर वस्तुओं को प्राप्त कर अपने जीवन स्तर को ऊँचा उठा सकते हैं।
4. सरकार को लाभ- लागत अंकेक्षण की समस्या से सरकार को उद्योगों की उत्पादकता, प्रबन्धकीय कुशलता, लाभ तथा उत्पादित वस्तुओं की लागत एवं मूल्य की जानकारी प्राप्त होती रहती है। लागत अंकेक्षण से सरकार को उत्पादन शुल्क, बिक्री कर तथा आयकर के निर्धारण में भी सहायता मिलती है।
5. वित्तीय अंकेक्षण को लाभ- लागत अंकेक्षण का लाभ वित्तीय अंकेक्षण को भी प्राप्त होता है। चूँकि लागत अंकेक्षण के अन्तर्गत संस्था के अन्तिम स्कन्ध का मूल्यांकन, मजदूरी सम्बन्धी लेखों का परीक्षण तथा ह्रास आदि की गहन जाँच हो जाती है। अतः वित्तीय अंकेक्षण को उनकी पुनः जाँच करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है इससे उसके समय की बचत होती है।
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