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विदेशी विनिमय प्रबन्धन अधिनियम के उल्लंघन एवं दण्ड के सम्बन्ध में प्रावधान

विदेशी विनिमय प्रबन्धन अधिनियम के उल्लंघन एवं दण्ड के सम्बन्ध में प्रावधान
विदेशी विनिमय प्रबन्धन अधिनियम के उल्लंघन एवं दण्ड के सम्बन्ध में प्रावधान

विदेशी विनिमय प्रबन्धन अधिनियम के उल्लंघन एवं दण्ड के सम्बन्ध में प्रावधानों का वर्णन कीजिए।

उल्लंघन एवं दण्ड (धारा 13-15) –

(1) आर्थिक दण्ड का भागी होना- यदि कोई व्यक्ति इस अधिनियम के किसी प्रावधान, नियम, नियमन, अधिसूचना, निर्देश अथवा आदेश का उल्लंघन करता है अथवा किसी शर्त का उल्लंघन करना है तो वह ऐसे उल्लंघन में मात्रात्मक धनराशि के तीन गुने तक के आर्थिक दण्ड का भागी हो सकता है। यदि मात्रात्मक धनराशि का उल्लेख न किया गया हो तो 2 लाख रू0 तक के आर्थिक दण्ड का भागी होगा। यदि इसके बाद में उल्लंघन जारी रहा है तो वह 5,000 रू0 तक के प्रतिदिन की दर से और आर्थिक दण्ड का भागी होगा।

(2) मुद्रा, प्रतिभूति अथवा अन्य सम्पत्ति को जब्त किया जाना – यदि अभिनिर्णयन सत्ता इस उपधारा (1) के अन्तर्गत किये गये उल्लंघन की दशा में आवश्यक समझे गये तो उपरोक्त आर्थिक दण्ड के अतिरिक्त दोषी व्यक्ति की मुद्रा प्रतिभूति अथवा अन्य व्यक्ति को जब्त करने का भी आदेश दे सकता है। वह ऐसी विदेशी विनिमय को भारत में लाये जाने का भी आदेश दे सकता है। (धारा 13)

अभिनिर्णयन सत्ता का आदेशों को लागू किया जाना-

धारा 14 के अन्तर्गत इस सम्बन्ध में निम्नलिखित नियम है-

(1) नागरिक कारावास का भागी होना- यदि दोषी व्यक्ति उपरोक्त आर्थिक दण्ड की राशि का पूर्ण भुगतान करने में असमर्थ होता है, तो वह धारा 13 के अन्तर्गत 90 दिन तक के नागरिक कारावास का भागी होगा। नागरिक कारावास की अवधि भुगतान करने की सूचना के पालन होने की तिथि से लागू होगी।

(2) गिरफ्तार होने एवं नागरिक न्यायालय में रोके जाने के आदेश की शर्तें- बाकीदार को गिरफ्तार करने एवं नागरिक न्यायालय में रोके जाने का आदेश तब तक निर्गमित नहीं किया जायेगा जब तक कि, अभिनिर्णयन अधिकारी बाकीदार को नियत तिथि को उपस्थिति होने की सूचना न दे दे। इस सूचना में इस बात का भी उल्लेख हो कि, क्यों न बाकीदार को नागरिक न्यायालय में भेज दिया जाये। अभिनिर्णयन अधिकारी को निम्न बातों की सन्तुष्टि होना आवश्यक है-

(अ) बाकीदार ने अभिनिर्णयन अधिकारी द्वारा सूचना के निर्गमन के पश्चात् वसूली में रुकावट उत्पन्न करने के उद्देश्य से बेईमानी से अपनी सम्पत्ति के किसी हिस्से को हस्तान्तरित, छिपा लिया अथवा हटा लिया है; अथवा

(ब) बाकीदार ने अभिनिर्णयन अधिकारी द्वारा सूचना के निर्गमन के पश्चात् धनराशि के भुगतान इन्कार कर दिया है।

(3) गिरफ्तारी के वारण्ट का निर्गमन- बाकीदार के विरुद्ध गिरफ्तारी का वारण्ट भी निर्गमित किया जा सकता है, बशर्तें कि, अभिनिर्णयन अधिकारी शपथ-पत्र अथवा अन्य प्रकार से सन्तुष्ट हो जाये कि, बाकीदार के भाग जाने अथवा अभिनिर्णयन सत्ता की स्थानीय सीमा को छोड़ने की सम्भावना है।

(4) सूचना के पश्चात् उपस्थित न होने पर – यदि बाकीदार सूचना मिलने पर उपस्थिति होने में असमर्थ रहता है तो उसके विरुद्ध अभिनिर्णयन अधिकारी गिरफ्तारी का वारण्ट निर्गमित कर सकता है।

(5) अन्य अभिनिर्णयन अधिकारी द्वारा गिरफ्तारी के वारण्ट को क्रियान्वित किया जाना – एक अभिनिर्णयन अधिकारी द्वारा निर्गमित गिरफ्तारी के वारण्ट का क्रियान्वयन किसी दूसरे अभिनिर्णयन अधिकारी द्वारा भी किया जा सकता है, जिसके अधिकार क्षेत्र की सीमा में बाकीदार रहता हो।

(6) अभिनिर्णयन अधिकारी के समक्ष उपस्थिति – गिरफ्तारी वारण्ट के आधार पर गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तार के 24 घण्टे के अन्दर, यात्रा में लगे समय को छोड़कर, यथाशीघ्र अभिनिर्णयन अधिकारी के समक्ष उपस्थिति किया जायेगा।

(7) बाकीदार की मुक्ति- यदि बाकीदार बकाया राशि को तथा गिरफ्तारी में हुए व्ययों का गिरफ्तार करने वाले अधिकारी को भुगतान कर देता है तो उक्त अधिकारी उसे मुक्त कर देगा।

(8) बाकीदार को सुनवाई का अवसर दिया जाना – इस धारा के अनुसार, बाकीदार के अभिनिर्णयन अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने पर अभिनिर्णयन अधिकारी बाकीदार को इस बात की सुनवाई का अवसर देगा कि, क्यों न उसको गिरफ्तार कर लिया जाये।

(9) प्रतिभूति देने पर मुक्ति दिया जाना- जाँच कार्यवाही की निष्कर्ष निकलने तक यदि अभिनिर्णयन अधिकारी उचित समझे तो प्रतिभूति के आधार पर बाकीदार को इस शर्त पर छोड़ सकता है कि, आवश्यकता पड़ने पर बाकीदार अभिनिर्णयन अधिकारी के समक्ष पुनः उपस्थिति होगा।

(10) जाँच का निष्कर्ष निकलने पर गिरफ्तारी- जाँच का निष्कर्ष निकलने पर अभिनिर्णयन अधिकारी बाकीदार को नागरिक न्यायालय में रोके जाने का आदेश दे सकता है। यदि बाकीदार को मुक्त कर दिया गया हो तो उसे पुनः गिरफ्तार करने का आदेश दे सकता है।

(11) नागरिक न्यायालय में रोके जाने का आदेश न दिये जाने पर – यदि उपधारा (9) के अधीन अभिनिर्णयन अधिकारी बाकीदार को रोके जाने का आदेश नहीं देता है तो बाकीदार की गिरफ्तारी की दशा में उसे मुक्त करने का आदेश दे दिया जायेगा।

(12) प्रमाण- पत्र के क्रियान्वयन हेतु व्यक्ति को रोके जाने की दशायें- (i) यदि प्रमाण-पत्र में 3 वर्ष की अवधि में 1 करोड़ रू0 से अधिक की माँग हो; तथा (ii) अन्य मामलों में 6 महीने में 1 करोड़ रू0 से अधिक की माँग हो तो बाकीदार को रोका जा सकता है। किन्तु उपरोक्त धनराशि का भुगतान करने पर बाकीदार को मुक्त कर दिया जायेगा।

(13) बाकीदार को रोके जाने से मुक्ति मिलने पर- इस धारा के अन्तर्गत यदि बाकीदार को रोके जाने से मुक्ति मिल जाती हैं, तो भी उसे बकाया राशि के भुगतान से मुक्ति नहीं मिलेगी। किन्तु उसे पुनः गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा।

(14) रोकने के आदेश का निष्पादन- भारतीय दण्ड संहिता, 1973 के अन्तर्गत रोके जोन के आदेश का निष्पादन समूचे भारत में किसी भी स्थान पर हो सकता है।

उल्लंघन की दशा में उल्लंघन के लिए सुलह किये जाने का अधिकार – धारा 13 के अन्तर्गत किये गये उल्लंघन की दशा में, उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के आवेदन प्राप्त होने की तिथि से 180 दिन के अन्दर प्रवर्तन निर्देशक अथवा प्रवर्तक निर्देशालय के किसी अन्य अधिकारी एवं केन्द्रीय सरकार की ओर से अधिकृत रिजर्व बैंक के अधिकारी द्वारा निर्धारित ढंग से सुलह की जा सकती है। (धारा 15)

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Anjali Yadav

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