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विश्लेषण विधि (Analytic Method)
विश्लेषण से अभिप्राय है, किसी समस्या को छोटे-छोटे भागों में विभाजित करके उसका अध्ययन करना और किसी निष्कर्ष पर पहुँचना। संश्लेषण से अभिप्राय है विश्लेषित तथ्यों को इकट्ठा करना और अभीष्ट परिणाम प्राप्त करना। रसायन शास्त्र में पानी (HO) को हाइड्रोजन व ऑक्सीजन में विभाजित करना विश्लेषण है। इसके विपरीत ऑक्सीजन को विशेष ताप या दबाव पर संयुक्त कर पानी बनाना संश्लेषण है। संश्लेषण और विश्लेषण एक-दूसरे के पूरक हैं। संश्लेषण में हमें कुछ तथ्य ज्ञात होते हैं और उनकी सहायता से या उन्हें संयुक्त करके हम एक निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं, जो पहले अज्ञात था। इस प्रकार संश्लेषण ज्ञात से अज्ञात की ओर बढ़ता है। मनोवैज्ञानिक और दार्शनिक यह मानते हैं कि मनुष्य की बौद्धिक क्रिया का अन्तिम सोपान संश्लेषण (Synthesis) है। विश्लेषण (Anlaysis) हमेशा संश्लेषण की ओर बढ़ता है और संश्लेषण विश्लेषण के उद्देश्य को पूरा करता है। गणित शिक्षण में विश्लेषण और संश्लेषण दोनों ही उपयोगी हैं।
विश्लेषण (Analytic) विधि निम्न उदाहरण द्वारा और स्पष्ट हो जायेगी।
उदाहरण: किसी त्रिभुज के तीनों कोणों का योग दो समकोण के बराबर होता है।
इसे विश्लेषणात्मक विधि से निम्न प्रकार सिद्ध कर सकते हैं-
1. इसमें हमें क्या सिद्ध करना है ?
- ∠क, ∠ख तथा ∠ग का योग दो समकोण के बराबर होता है।
2. इसमें क्या दिया हुआ है ?
- क ख ग एक त्रिभुज है, जिसके ∠क, ∠ख तथा ∠ग हैं।
3. ∠क, ∠ख तथा ∠ग का योग दो समकोण के बराबर कब सिद्ध हो सकता है ?
- जबकि ∠क और ∠ख का योग ∠ग के सम्पूरक कोण के बराबर हो जाये।
4. हम ऐसा क्यों करेंगे ?
- क्योंकि सम्पूरक कोणों का योग दो समकोण के बराबर होता है।
5. कोण ग का सम्पूरक कोण बनाने के लिये क्या करोगे ?
- भुजा ख ग को य तक बढ़ाने पर ∠क ग य, ∠ग का सम्पूरक बन जायेगा
6. ∠क + ∠ख को क ग य के बराबर सिद्ध करने के लिये हम क्या करेंगे ?
- इसे सिद्ध करने के लिए हमें रचना सिद्ध करनी होगी।
7. हम क्या रचना करेंगे ?
- हम भुजा क ख के समानन्तर ग र रेखा खींचेंगे।
8. अब हम कैसे सिद्ध करेंगे कि ∠क + ∠ख = ∠क ग य
∴ क ख ॥ ग र को काटती है।
भुजा क ग
∴ ∠ख क ग = एकान्तर कोण,
क ग र तथा क ख ॥ ग र को काटती है भुजा ख य,
∠क ख ग = संगति ∠र ग य
9. अतः इससे क्या सिद्ध हुआ ?
अतः ∠क + ∠ख + ∠क ग ख
∠क + ∠ख + ∠क ग ख
= ∠क ग य + ∠क ग ख
= दो समकोण
जिस प्रकार से आगमन व निगमन विधियों का एक-दूसरे से सम्बन्ध है, उसी प्रकार से संश्लेषण और विश्लेषण विधियाँ भी एक-दूसरे की पूरक हैं। विश्लेषण व्यर्थ है यदि हमारे मस्तिष्क में कोई संश्लेषण (Synthetic) सम्बन्धी विचार न हो। ज्योतिष और सामुद्रिक शास्त्र गहन विश्लेषण का ही परिणाम है। न्यूटन ने भौतिकी के महान् सिद्धान्त प्रतिपादित किये। उनका विश्लेषण कार्य सेब गिरने की एक छोटी-सी घटना से ही प्रारम्भ हुआ। छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करने के लिये विश्लेषण का मार्ग अत्यन्त लाभदायक है। विश्लेषण के लिये छात्र को पाठ्य-विषय की आरम्भिक जानकारी अवश्य होनी चाहिए या अध्यापक द्वारा प्रारम्भ में करा देनी चाहिए। ऐसा करने पर विश्लेषण छात्र के लिए आसान हो जाता है। विश्लेषण करने के लिए छात्र समस्या से सम्बन्धित साधारण जानकारी इकट्ठी करता है तथा अपने अन्तिम लक्ष्य तक पहुँचने के लिए उसे व्यवस्थित करके प्रयोग करता है।
विश्लेषण विधि के गुण (Merits of Analytical Method)
1. इस विधि में विद्यार्थी विश्वास तथा बुद्धि के साथ समस्या का समाधान ढूंढने का प्रयत्न करता है। वह विषय सम्बन्धी सूझ-बूझ को ग्रहण करता है।
2. विश्लेषण विधि में किसी निश्चित पग या ढंग को रटने की आवश्यकता नहीं होती। हर एक पग में अपने नियम होते हैं तथा उन नियमों का प्रमाण होता है। इससे अध्यापक तथा विद्यार्थी का काम आसान होता है। इसके द्वारा प्राप्त किया गया ज्ञान स्थायी होता है। छात्रों में खोज करने की प्रवृत्ति को प्रोत्साहन मिलता है। वे नवीन ज्ञान प्राप्त करने के लिए सदैव जिज्ञासु रहते हैं।
उसे सिद्ध किया जाता है। इस विधि में रचना का कारण ज्ञात नहीं होता। इस विधि में तर्क निम्न प्रकार से होता है-
यदि क = ख (ज्ञात)
तथा ख= ग (ज्ञात)
अतः क = ग (अज्ञात)
इस विधि में ज्ञात बातों की सहायता से अज्ञात तथ्यों या सम्बन्धों का पता लगाया जाता है। इस विधि से प्रश्न हल करने की प्रक्रिया विश्लेषण विधि की अपेक्षा संक्षिप्त एवं सरल होती है तथा प्रत्येक में हमें ज्ञात तथ्यों से आरम्भ करके सिद्ध करना है या अभीष्ट है, इस पर आ जाते हैं।
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