Commerce Notes

वैध अनुबन्ध के आवश्यक तत्वों का वर्णन कीजिए।

वैध अनुबन्ध के आवश्यक तत्वों का वर्णन कीजिए।
वैध अनुबन्ध के आवश्यक तत्वों का वर्णन कीजिए।

वैध अनुबन्ध के आवश्यक तत्वों का वर्णन कीजिए। अथवा एक वैध अनुबन्ध के आवश्यक तत्व क्या हैं? उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।

वैध संविदा/ अनुबन्ध के आवश्यक लक्षण अथवा तत्व

धारा (10) तथा धारा 2 (h) के अनुसार एक वैध अनुबन्ध में निम्नलिखित आवश्यक लक्षण (तत्व) होते हैं-

1. ठहराव या समझौता- एक वैध अनुबन्ध का प्रथम लक्षण या तत्व पक्षकारों के मध्य ठहराव का होना है। ठहराव में प्रस्ताव व स्वीकृति का होना आवश्यक है। केवल प्रस्ताव अथवा बिना प्रस्ताव के स्वीकृति ठहराव का रूप धारण नहीं कर सकता।

2. पक्षकारों में अनुबन्ध क्षमता का होना- अनुबन्ध अधिनियम के अन्तर्गत निम्नलिखित व्यक्ति वैधानिक दृष्टि से ठहराव करने के योग्य समझे जाते, हैं-(i) वयस्क व्यक्ति, (ii) स्वस्थ मस्तिष्क का व्यक्ति, (iii) अनुबन्ध करने के अयोग्य घोषित न किया हो।

3. स्वतन्त्र सहमति- स्वतन्त्र सहमति से आशय हैं- “जब दो व्यक्ति एक ही बात पर तथा एक ही भाव में राजी हो जाते हैं तब कहा जाता है कि उन्होंने सहमति की। स्पष्टतः निम्नलिखित परिस्थितियों के न होने से यह समझा जाता है कि सहमति स्वतन्त्र होगी- (i) उत्पीड़न, (ii) अनुचित प्रभाव, (iii) कपट, (iv) मिथ्यावर्णन, (v) गलती।

4. न्यायोचित प्रतिफल एवं उद्देश्य – प्रतिफल का उद्देश्य ‘बदले में’ कुछ प्राप्त करने से है तथा इसे प्रत्येक स्थिति में वास्तविक एवं न्यायोचित होना चाहिए तथा शब्दों में ठहराव का उद्देश्य-(i) अवैध, (ii) अनैतिक, (iii) लोकनीति के विरुद्ध नहीं होना चाहिए। अवैध प्रतिफल व उद्देश्य वाले अनुबन्ध व्यर्थ होते हैं।

5. ठहराव का स्पष्ट रूप से व्यर्थ घोषित न किया जाना- ठहराव ऐसा नहीं होना चाहिए जो इस अधिनियम के द्वारा स्पष्ट रूप से व्यर्थ घोषित कर दिया गया हो। भारतीय अनुबन्ध अधिनियम द्वारा व्यर्थ घोषित ठहराव निम्न हैं- विवाह में रोक लगाने वाले ठहराव, व्यापार में रुकावट डालने वाले ठहराव, वैधानिक कार्यवाही को रोकने वाले ठहराव, अनिश्चित ठहराव आदि।

6. ठहराव का पक्षकारों पर कानूनन लागू होना- एक वैध अनुबन्ध का आवश्यक लक्षण यह भी है कि अनुबन्ध के लिए किया गया ठहराव अनुबन्ध के सभी पक्षकारों पर लागू होगा।

7. वैधानिक औपचारिकतायें – किसी अनुबन्ध को वैध होने के लिए आवश्यक वैधानिक औपचारिकताओं को भी पूर्ण किया जाना चाहिए। जैसे-किसी अचल सम्पत्ति के बन्धक पट्टे आदि के सम्बन्ध में समझौते का लिखित होना, प्रमाणित होना, पंजीकृत होना, मुद्रित होना अत्यन्त आवश्यक है।

8. अनुबन्ध लिखित, साक्षी द्वारा प्रमाणित तथा रजिस्टर्ड होना चाहिए, बशर्ते कि वैधानिक रूप से ऐसा होना आवश्यक हो- अनुबन्ध लिखित होना चाहिए, साक्षी द्वारा प्रमाणित होना चाहिए तथा पंजीकृत होना चाहिए, बशर्ते कि भारत में प्रचलित किसी राजनियम द्वारा ऐसा होना आवश्यक हो।

9. अन्य लक्षण- वैध अनुबन्ध के उपरोक्त लक्षणों के अतिरिक्त कुछ अन्य लक्षण भी है, जो कि निम्न हैं-

  1. ठहराव निश्चित हो, न कि अनिश्चित।
  2. व्हराव वैध होना चाहिए न कि अवैध।
  3. टहराव निस्पादन करने के उद्देश्य से किया गया हो। एक वैध अनुबन्ध के लिए उपर्युक्त सभी लक्षणों का होना आवश्यक है।

IMPORTANT LINK

Disclaimer

Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com

About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment