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कमलेश्वर की कहानी ‘राजा निरबंसिया’ के प्रमुख पात्र जगपती चरित्र

कमलेश्वर की कहानी 'राजा निरबंसिया' के प्रमुख पात्र जगपती चरित्र
कमलेश्वर की कहानी ‘राजा निरबंसिया’ के प्रमुख पात्र जगपती चरित्र
कमलेश्वर की कहानी ‘राजा निरबंसिया’ के प्रमुख पात्र जगपती का चरित्र चित्रण कीजिए।

जगपती कमलेश्वर की कहानी ‘राजा निरबंसिया’ का प्रमुख पात्र है। चन्दा के पति जगपती के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

( 1 ) शिक्षित व्यक्ति- जगपती शिक्षित व्यक्ति है। उसने मैट्रिक करने के बाद शहर में एक वकील के मोहर्रिर का काम सँभाल लिया है। वह शहर में ही रहने लगा है।

( 2 ) साहसी- जगपती स्वस्थ शरीर का स्वामी है और उसमें साहस की कमी नहीं है। जगपती को रिश्तेदारी में शादी में जाना पड़ा। उसके दूर के भाई दयाराम की शादी थी। उसके जाने के छठे दिन ही खबर मिली कि बारात घर लौटने पर दयाराम के घर डाका पड़ा। घर आये मेहमान लगभग विदा हो चुके थे। उसी रात डाका पड़ा। डाकुओं ने जब बन्दूकें चलाई तो सबकी दाग रहे थे। बाहर का दरवाजा टूट चुका था। जगपती ने हिम्मत बँधते हुए हाँक लगाई—“ये और अन्त में एक गोली जगपती की जांध को पार करती निकल गयी और दूसरी उसकी जाँध हवाई बन्दूकें इन तेल पिलाई लाठियों का मुकाबला नहीं कर पायेंगी।” दरवाजे तड़ातड़ टूटते रहे के ऊपर कूल्हें में समाकर रह गयी।

( 3 ) स्वाभिमानी- जगपती स्वाभिमानी पुरुष है। उसकी पत्नी चन्दा ने जब कहा कि आपको स्वस्थ होने के लिए महँगी दवाओं की जरूरत है कम्पाण्डर साहब उनका इन्तजाम कर देंगे, जो जगपती का स्वाभीमान जाग उठता है और वह चन्दा को कर्ज से मना करता है और कर्ज को कोन की संज्ञा देता है।

( 4 ) चन्दा की स्वीकृति से खिन्न- चन्दा गर्भवती हो गयी। जगपती को इसका ज्ञान तब हुआ, जब मोहल्ले की औरतो ने जगपती पर ताने कसे और चन्दा के गर्भवती होने की बात कही। जगपती घर आया तो चन्दा ने बताया कि मैंने घर चिट्ठी लिख दी थी। कल भाई मुझे लेने आयेगा। मैं कल गाँव जाऊंगी। जगपती समझ गया कि चन्दा सन्तान को जन्म देने अपने पीहर जा रही है। जगपती ने कोई विरोध नहीं किया तो चन्दा रोने लगी। जगपती ने कहा “बेशर्म बेगैरत औरत। अब आँसू बहा रही है। उस समय नहीं सोचा था।”

( 5 ) अन्तर्मुखी- जगपती यह समझ रहा था कि चन्दा ने अपने सोने के दोनों कड़े बेचकर उसके लिए दवाएँ मंगवाई हैं। एक रात वह चन्दा की चारपाई पर जा रहा था कि उसका हाथ किसी कड़ी वस्तु पर पड़ा। उसने देखा कपड़े में चन्दा के सोने के दोनों कड़े लिपटे थे। यह जानकर उसके बहुत कष्ट होता है। लेकिन वह चन्दा से सीधे-सीधे कुछ नहीं पूछता।

( 6 ) व्यर्थ क्रोध का प्रदर्शन- जगपती को बहुत क्रोध आया। उसने चन्दा की पिटाई कर दी। जब जगपती को क्रोध शान्त नहीं हुआ तो चन्दा ने कहा- “तुमने मुझे बेच दिया।” यह सुनकर जगपती सन्न रह गया।

( 7 ) व्यक्तिवादी प्रवृत्ति- जगपती वस्तुतः मूल्यहीन संक्रमणशील वातावरण में जीने वाले व्यक्ति की मानसिक अवस्था का, उनकी विडम्बना का प्रतिनिधित्व करने वाला चरित्र है। परिस्थितियों के समक्ष स्वयं को लाचार अनुभव करते हुये सुख प्राप्ति के लिये परेशान है। व्यक्तिगत सुख के लिये किसी भी मूल्य को त्यागने के लिये तैयार है। इस प्रकार की घोर व्यक्तिवादी पीढ़ी जिसके लिये नैतिक मूल्यों का अर्थ के समक्ष कोई मोल नहीं है। इसका स्पष्ट प्रतिनिधित्व जगपती करता है।

( 8 ) संवेदनशील व्यक्ति- अन्तर्मुखी प्रवृत्ति का होने के कारण कुछ कह पाने में असमर्थ जगपती वस्तुतः संवेदनशील प्रवृत्ति का है। बचन सिंह और वह जब एक साथ चंदा का परोसा खाना खाते हैं तो उसकी यहीं संवेदनशील प्रवृत्ति उभरकर सामने आती है। यथा-“जगपती सिर झुकायें खाता रहता। सिर्फ एक गिलास पानी मांगता और चंदा चौंककर पानी देने से पहले कहती, “अरे तुमने तो कुछ लिया ही नहीं।” कहते-कहते वह पानी दे देती और तब उसके दिल पर गहरी सी चोट लगती न जाने क्यों वह खामोंशी की चोट उसे बड़ी पीड़ा दे जाती……….। “

( 9 ) आत्मग्लानि का अनुभव- अन्त में जगपति के चरित्र के माध्यम से लेखक ने युगीन विषम परिस्थितियों के समक्ष हताश मानव को और अर्थ लोलुपता के कारण नैतिक अधःपतन के परिणाम को रेखांकित करने का सफल प्रयास किया है। जगपति परिस्थितियों के सम्मुख हार गया हैं। सम्पत्ति के प्रति उसका अतिरिक्त मोह रहा – जो आधुनिक युग का शाप है। अन्त में चंदा के नरकीय जीवन के लिए स्वयं को जिम्मेदार समझते हुए आत्महत्या कर लेता है।

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Anjali Yadav

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