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ई-जर्नल्स का अर्थ एंव क्षेत्र | Meaning and scope of e-journals in Hindi

ई-जर्नल्स का अर्थ एंव क्षेत्र | Meaning and scope of e-journals in Hindi
ई-जर्नल्स का अर्थ एंव क्षेत्र | Meaning and scope of e-journals in Hindi
ई-जर्नल्स क्या है? इसके क्षेत्र का वर्णन कीजिए ।

ई-जर्नल्स का अर्थ

आज हम सभी तीव्र तकनीकी व सामाजिक आर्थिक परिवर्तन के ऐसे युग से गुजर रहे हैं कि इन परिवर्तनों से हमें यह आभास होता है कि हम सूचना समाज में रह रहे हैं और इन तकनीकी स्रोतों ने परम्परागत सेवाओं व प्रक्रियाओं को इलेक्ट्रॉनिक रूप से परिवर्तित कर दिया है जो आकर्षक व मितव्ययी तथा लोचपूर्ण हो गया है। पिछले चन्द दशकों में इस तकनीकी क्रान्ति ने सूचना के संसाधन, संग्रहीकरण व प्रसार में बहुत प्रभाव डाला है। बहुत से सूचना के स्रोत विशेषतया जर्नल्स, अब इलेक्ट्रानिक मीडिया को अत्यन्त आवश्यक उपलब्धि मानते हैं। सी.डी. रोम व इंटरनेट पर इस प्रणाली के कारण सूचना बहुत थोड़े समय में बहुत से लोगों के पास कम कीमत पर पहुँच जाती है व इसके लिए कम स्थान की भी आवश्यक होती है। पिछले कुछ सालों में इलेक्ट्रॉनिक जर्नल के क्षेत्र में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है और जर्नलों की इस इलेक्ट्रानिक सुविधा से पेपर अर्थात् कागज के प्रयोग में कर्मी आई है। जटिल आंकड़ों, तालिकाओं, गतिशील पिक्चर्स, ध्वनि श्रुतिरूप व वीडियो क्लिप के रखरखाव में भी सुविधा हुई है। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि इंटरनेट पर आज लगभग 2250 जर्नल्स मुफ्त में उपलब्ध है बहुत से प्रिंट जर्नल्स भी अब ऑनलाइन संस्करण निकालते हैं जो अक्सर ‘प्रिंट सब्सक्राइबर्स के लिए निःशुल्क होते हैं।

इलेक्ट्रॉनिक जर्नल्स को अक्सर ‘इलेक्ट्रोनिक पब्लिशिंग’, ‘इलेक्ट्रानिक’ ‘सीरियल’, ‘ऑनलाइन ‘जर्नल्स’ व ‘इलेक्ट्रॉनिक पीरियाडिकल्स भी कहा जाता है। गेल मैकमिलन (Gail Macmillan) ने ई जर्नेल्स को ऐसे सीरियलों के रूप में परिभाषित किया है जिसे राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इलेक्ट्रानिक नेटवर्क जैसे बाईनेट व इंटरनेट द्वारा बनाया, छापा व बाँटा जाता है।

“Only serials produced, published and distributed, nationality and internationally via electronic networks such as Binet and Internet.”

W. Jones के अनुसार, ‘ई-जर्नल्स कम्प्यूटर या कम्प्यूटर नेटवर्क के माध्यम से उपलब्ध होते हैं और उन्हें किसी दूसरे भौतिक माध्यम में नहीं छापा जाता है। लेकिन वे सी.डी. रोम नहीं होते हैं।’

विकीपीडिया (Wikipedia) ने इलेक्ट्रोनिक जर्नल्स को इस प्रकार परिभाषित किया है। “Electronic Journals are scholarly journals or magazines that can be accesed via electronic transmission. They are a specialized form of electronic document.”

हैरोड़ के पुस्तकालय (Glossary) के अनुसार, “इलेक्ट्रानिक जर्नल वह जर्नल है जो कि इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में उपलब्ध होता है तथा किसी भौतिक रूप में या छेपित रूप में भी उपलब्ध रहता है।

ई-जर्नल्स का क्षेत्र

1990 के मध्य में ई-जर्नल्स तकनीकी के क्षेत्र में बहुत प्रगति हुई और इस समय पहला ई जर्नल अस्तित्व में आया। इन तकनीकियों में एक तकनीकी GGG (Glacial Geology and Geomorphology) थी जिसमें केवल छपित सामग्री थी। जहाँ तक पाठकों का प्रश्न है वे इस सामग्री में चयनित सामग्री को छपा सकते थे। इस प्रकार GGG का एक उद्देश्य इलेक्ट्रानिक हस्तान्तरण के लाभ प्राप्त करना था तो दूसरी ओर एक समर्थित, शैक्षिक व श्रेष्ठ गुणवत्ता युक्त प्रणाली द्वारा मूल्य आधारित उत्पादन प्रदान करता था।

आज बहुत से विद्वान प्रकाशक अपने जर्नल्स को छपित व इलेक्ट्रॉनिक रूप में निकाल रहे हैं। सन् 1998 के ई-जर्नल्स सुविधाओं में और अधिक विस्तार हुआ। 1999 में नोबल पुरस्कार विजेता व यू.एम. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के डायरेक्टर ने ऑनलाइन सुविधा हेतु एक प्रस्ताव पेश किया जो बायो मेडिकल विज्ञान के क्षेत्र में सभी लोगों तक आसानी से पहुँच बनाने के संदर्भ में था।

आज ई-जर्नल्स बहुत से ऐसे अवसर इसके उपयोगकर्ताओं को उपलब्ध करा रहा है, जो पहले उपलब्ध नहीं थे। ई-जर्नल्स की इन बहुआयामी विशेषताओं के कारण ही वे आज शैक्षिक व सार्वजनिक पुस्तकालय का प्रयोग करने वालों के लिए बेहतर विकल्प बनते जा रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक जर्नल तक पहुँच में कोई भौगोलिक बाधा भी नहीं है जिससे ये सर्वव्यापी बन गये हैं। अन्य छपित सामग्री के स्थान पर ई-जर्नल्स अपने सब्सकाइबर्स के पास बहुत जल्दी पहुँच जाते हैं। दूसरी मुख्य विशेषता ई-जर्नल्स की यह है कि एक ही समय पर, एक से अधिक पाठकों द्वारा डाउनलोड (Download) व प्रिंट रूप में लिया जा सकता है जो अब तक पहुँच के अधिकारों व अनुमति पर निर्भर करता है।

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Anjali Yadav

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