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शिक्षण कौशल का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएँ | Meaning, Definition and Features of Teaching Skills

शिक्षण कौशल का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएँ |  Meaning, Definition and Features of Teaching Skills
शिक्षण कौशल का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएँ | Meaning, Definition and Features of Teaching Skills

शिक्षण कौशलों से आप क्या समझते हैं ? इसके विभिन्न प्रकार एवं विशेषताएँ बताइए।

शिक्षण कौशल का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning & Definition of Teaching Skills)

सभी शिक्षाशास्त्री तथा मनोवैज्ञानिक शिक्षण को कला तथा विज्ञान दोनों ही स्वीकार करते हैं। यदि शिक्षण को कला स्वीकार किया जाए तो यह मानना होगा कि शिक्षक तैयार नहीं किया जा सकते। वे तो जन्म से ही शिक्षक बनने की योग्यताओं एवं क्षमताओं से परिपूर्ण होते हैं। समय के साथ-साथ उनकी इन योग्यताओं एवं क्षमताओं का विकास होता है यदि शिक्षण को एक विज्ञान के रूप में स्वीकार किया जाए तो यह मानना होगा कि शिक्षक प्रशिक्षण द्वारा तैयार किये जा सकते हैं। अतः जब से शिक्षण को एक कला के रूप मान्यता प्राप्त हुई तभी से शिक्षण की प्रक्रिया को एक अतिरिक्त शिक्षण कौशलों का समूह स्वीकार किया जाने लगा और विभिन्न कौशलों पर आधारित शिक्षण का विकास तथा विस्तार प्रारम्भ हुआ। सूक्ष्म शिक्षण में तो शिक्षण कौशलों को बहुत महत्त्व दिया गया है और इस शिक्षण के माध्यम से शिक्षक के विभिन्न शिक्षण कौशलों को विकसित किया जाता है। इस अर्थ में केवल शिक्षण में ही नहीं जीवन के हर क्षेत्र में कौशलों का विशेष योगदान है और अच्छे नागरिकों के विकास में भी कौशल महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। इसी कारण एक प्रशिक्षण पर रहे छात्राध्यापक के लिए शिक्षण कौशलों की जानकारी प्राप्त करना बहुत आवश्यक है।

शिक्षण छात्र, पाठ्यवस्तु और शिक्षक के बीच होने वाली अन्तःक्रिया है और यह क्रिया किन्हीं विशेष उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए की जाती है शिक्षण क्रियाओं की सफलता पूर्ण रूप से शिक्षण कौशलों पर निर्भर करती है। इस अर्थ में शिक्षण कौशल शिक्षण क्रियाओं या व्यवहारों के वह समूह हैं जिनका संचालन छात्रों के सीखने में सुविधा प्रदान करने के दृष्टिकोण से किया जाता है। विभिन्न विद्वानों ने शिक्षण कौशल को परिभाषित करने का भी प्रयास किया है। शिक्षण कौशल की कुछ प्रमुख परिभाषाओं का उल्लेख इस प्रकार है-

(1) गेज के अनुसार- “शिक्षण कौशल वह विशिष्ट अनुदेशन प्रक्रिया है जो अध्यापक द्वारा अपनी कक्षा शिक्षण की स्थिति में प्रयोग किया जाता है। यह शिक्षण क्रम की विभिन्न कक्षाओं से सम्बन्धित होता है जिसे शिक्षक अपनी कक्षीय अन्तः क्रिया में निरन्तर प्रयोग करते हैं।”

(2) मैकेण्टायर एवं ह्वाइट के अनुसार- “यह तकनीकी कौशल सम्बद्ध होती हैं अर्थात् अध्यापन व्यवहार का विन्यास है जो विशिष्ट अन्तःक्रिया परिस्थितियों में कक्षा में निश्चित शैक्षिक लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक हो।”

(3) अध्यापक शिक्षकों के एशियाई संस्थान के अनुसार- “विशिष्ट शिक्षण की ये समस्त क्रियायें जो छात्रों में वांछित परिवर्तन लाने में प्रभावी होती हैं, ये एक-दूसरे से सम्बद्ध होती हैं अर्थात् अध्यापक द्वारा किसी भी एक व्यवहार अथवा घटक का प्रदर्शन करने से निश्चित लक्ष्य की पूर्ति सम्भव होती है।”

स्पष्ट है कि शिक्षण कौशल शिक्षण व्यवहारों से सम्बन्धित वह स्वरूप है जो कक्षा में होने वाली अन्तःक्रियाओं की उन विशिष्ट परिस्थितियों को जन्म देता है जो शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायक होती हैं और छात्रों को सीखने की प्रक्रिया में सुविधा प्रदान करती हैं। विशेष रूप से छात्राध्यापकों के प्रशिक्षण में इन कौशलों का विशेष महत्त्व है क्योंकि इन कौशलों के विकास से छात्राध्यापकों की शिक्षण योग्यताओं का विकास सम्भव होता है। शिक्षण कौशलों की परिभाषाओं के विश्लेषण से शिक्षण कौशलों की निम्न विशेषताएँ स्पष्ट होती हैं।

शिक्षण कौशल की विशेषताएँ (Characteristics of Teaching Skills)

(1) शिक्षण कौशल छात्रों के व्यवहार में संशोधन करने में सहायक सिद्ध होते हैं। प्रत्येक शिक्षण कौशल को देखा, सुना व महसूस किया जा सकता है। सभी कौशलों का व्यवहार में प्रयोग किया जाना सम्भव है और वह यह कौशल शिक्षकों के अध्यापन कार्य में स्पष्ट रूप से प्रकट होते हैं।

(2) प्रत्येक शिक्षण कौशल शिक्षण कार्य का संकेतक होता है। अन्य शब्दों में शिक्षण कौशल शिक्षण कार्यों के किसी विशिष्ट प्रतिमान की ओर संकेत करता है और यह संकेत वांछित परिणामों को प्राप्त करने के लिए होता है।

(3) शिक्षकों द्वारा शिक्षण कौशलों के आयोजन से पता चलता है कि शिक्षक शिक्षण क्रिया के सम्पादन में कितने सजग एवं जागरूक हैं।

(4) शिक्षण कौशल शिक्षण कार्यों का विश्लेषण करने में सहायक है। इनके द्वारा शिक्षण की क्रियाओं का विश्लेषण करते हुए उनकी संरचना पर विशेष ध्यान दिया जाता है। शिक्षण क्रिया के संचालन की शिक्षण कौशल एक महत्त्वपूर्ण इकाई होती है।

(5) शिक्षण कौशल स्पष्ट चिन्तन, छात्रों की रुचि, कार्यशालाओं का विकास, बुद्धि का विकास एवं व्यक्तिगत सन्तुलन को विकसित करने में सहायक सिद्ध होते हैं।

(6) शिक्षण कौशल की कार्यकुशलता में वृद्धि करते हैं जिससे उन्हें शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में सहायता मिलती है और वे सरलता से अपने शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त कर पाते हैं।

संक्षेप में कहा जा सकता है कि कौशल शिक्षकों तथा छात्रों दोनों के लिए ही बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। ये शिक्षण की क्रियाओं तथा व्यवहारों से सम्बन्धित होते हैं और कक्षा में अन्तःक्रिया परिस्थितियों को उत्पन्न करने में सहायक होते हैं। इसके साथ ही साथ ये छात्रों को सीखने में सुगमता प्रदान करते हैं और शिक्षकों को शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायता करते हैं।

दृष्टान्त कौशल पर आधारित पाठ योजना

उदाहरण कौशल हेतु पाठ-योजना का प्रारूप-

  • कौशल –  दृष्टान्त
  • समय – 7 मिनट
  • कक्षा –  7
  • विषय –  भौतिकी

पाठ्य-वस्तु- पदार्थ गर्म एवं ठण्डा करने पर अपनी अवस्था बदलते हैं।

विशिष्ट उद्देश्य- अध्यापन प्रक्रिया में दृष्टान्त कौशल के सभी घटकों का समुचित उपयोग करने की क्षमता प्राप्त करना ।

प्रस्तुतीकरण-

  • शिक्षक- पदार्थ कितनी अवस्थाओं में पाया जाता है ?
  • पाठ-वस्तु- पदार्थ गर्म एवं ठण्डा करने पर अपनी अवस्था बदलते हैं।
  • विशिष्ट उद्देश्य- अध्यापन प्रक्रिया में दृष्टान्त कौशल के सभी घटकों का समुचित उपयोग करने की क्षमता प्राप्त करना ।

प्रस्तुतीकरण

शिक्षक- पदार्थ कितनी अवस्थाओं में पाया जाता है?

छात्र- पदार्थ तीन अवस्थाओं में पाया जाता है।

शिक्षक- कौन-कौन-सी ?

छात्र- ठोस, द्रव एवं गैस

शिक्षक- बर्फ को गर्म करने से क्या होता है ?

छात्र- बर्फ पिघलकर पानी में बदल जाती है।

शिक्षक- बर्फ ठोस पदार्थ है, सामान्य ताप पर पानी किस अवस्था में रहता है?

– प्रासंगिक प्रत्यय

छात्र- पानी द्रव अवस्था में रहता है।

शिक्षक- इस प्रकार ठोस से द्रव में बदलने के कुछ उदाहरण प्रस्तुत करो।

– छात्र सहभागिता

छात्र- सर्दियों में घी को गर्म करने पर द्रव बनता है। = दृष्टान्त-एक

मोम गर्म करने पर द्रव बन जाता है। = दृष्टान्त दो

लाख को गर्म करें तो द्रव में बदल जाता है। = दृष्टान्त तीन

शिक्षक- द्रव मोम को यदि कुछ देर ठण्डा करें तो क्या होता है? – रोचकता

छात्र- मोम ठोस अवस्था में बदल जाता है।

इस प्रकार ऐसी पाठ योजनाओं के निर्माण से तथा फिर उनका उचित पर्यवेक्षण एवं मूल्यांकन करके दृष्टान्त कौशल को विकसित किया जाता है।

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Anjali Yadav

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