श्रव्य-दृश्य साधनों का चयन करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
शिक्षण सामग्री के तौर पर श्रव्य-दृष्य साधनों का प्रयोग करते समय कुछ सावधानियाँ बरतना बहुत आवश्यक होता है। इन साधनों का चयन करते समय निम्नांकित बातों को ध्यान में रखना चाहिए।
(1) श्रव्य-दृश्य साधन विषय के साथ जुड़े हुए हो:- एक अध्यापक को केवल उन साधनों का चयन करना चाहिए जो पूर्णरूप से विषय से सम्बन्धित है।
(2) इन साधनों को काम में लेते समय विषय की प्रकृति के साथ उसका जुड़ा होना बहुत आवश्यक होता है। उसे उस साधन का चयन करना चाहिए जो कि विषय की सही तस्वीर देता है और विद्यार्थी देखकर किसी भी तरह की उलझन में नहीं पड़े।
(3) साधनों का उचित आकार होना चाहिए। साधन न तो इतने छोटे होने चाहिए कि विद्यार्थी इन्हें देख न सके और न ही इतने बड़े होने चाहिए कि उनका ध्यान भंग हो जाये साधन उचित आकार के होने चाहिए ताकि सभी उनको हर तरह से देखने के योग्य हो सके।
(4) साधन महंगे नहीं होने चाहिए। ये स्थानीय और सहज उपलब्ध होने चाहिए।
(5) साधन आधुनिकतम होने चाहिए। हमारा समाज गतिशील है। समाज में तकनीक का प्रचार प्रसार लगातार बढ़ रहा है इसलिए यदि अध्यापक पुराने साधनों का प्रयोग करता है तो इसका कोई अर्थ नहीं है। उसे अत्यधिक नवीनतम साधनों का प्रयोग करना चाहिए।
(6) साधनों का चयन करते समय अध्यापक को छात्रों के अनुभवों तथा बुद्धि का स्तर भी ध्यान आदि, ये साधन औसत बुद्धिमान विद्यार्थियों के लिए उचित नहीं है तो ये साधन कभी भी सहायक नहीं हो सकते है। उदाहरण के लिए फिल्म स्ट्रिप एक अच्छा शिक्षण साधन है लेकिन यह साधन छोटे बच्चों के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता है।
(7) सभी साधनों को प्रयोग करते समय चयन के सिद्धान्त की पालना करनी चाहिए। इसका सही समय पर प्रयोग करना चाहिए जहाँ इसकी सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है।
(8) साधन केवल सजावट के लिए नहीं बल्कि पाठ के आगे व्याख्या के लिए ही होना चाहिए इसीलिए केवल उन साधनों को प्राथमिकता देनी चाहिए जिनका शैक्षणिक मूल्य है।
(9) श्रव्य-दृश्य साधनों का प्रयोग करते समय अध्यापक छात्रों के बीच एक उचित संवाद की प्रक्रिया होनी चाहिए।
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