सामग्री नियंत्रण के आवश्यक तत्त्व बताइए। भंडारगृह का संगठन करते समय किन-किन सिद्धान्तों का पालन होना चाहिए?
सामग्री नियंत्रण के आवश्यक तत्त्व
सामग्री नियंत्रण व्यवस्था के आवश्यक तत्त्व निम्न प्रकार हैं-
1. विभिन्न विभागों में उचित समन्वय एवं प्रभावी सम्प्रेषण व्यवस्था – सामग्री नियंत्रण व्यवस्था तब भी प्रभावशाली हो सकती है, जबकि विभिन्न विभागों, जैसे- क्रय विभाग, भण्डारण विभाग, निरीक्षण विभाग, उत्पादन विभाग, लेखा विभाग आदि में उचित समन्वय हो और उनमें प्रभावी सम्प्रेषण व्यवस्था हो ।
2. क्रय का केन्द्रीकरण – सभी प्रकार की सामग्रियों को क्रय करने के लिए एक केन्द्रीय क्रय विभाग की स्थापना की जानी चाहिए।
3. सामग्रियों का उचित वर्गीकरण करके संकेतों का निर्धारण – यदि उत्पादन विभाग में विभिन्न प्रकार की सामग्रियों का प्रयोग होता है तो सामग्रियों का उचित वर्गीकरण करके संकेत निर्धारित कर लेना चाहिए।
4. सामग्रियों की माँग का पूर्वानुमान – विभिन्न समय पर उत्पादन विभाग को विभिन्न प्रकार की कितनी-कितनी सामग्रियों की आवश्यकता होगी, इसका पूर्वानुमान लगा लेना चाहिए जिससे कि उत्पादन विभाग को समय पर सामग्री उपलब्ध कराकर उत्पादन कार्य निर्बाध गति से सम्पन्न होता रहे।
5. प्रमापों का निर्धारण – सामग्रियों का क्रय, निर्गमन, क्षय, प्रयोग की अवधि, किस्म आदि की प्रामाणिक मात्राएँ एवं मूल्य आदि पहले से ही विशेषज्ञों के द्वारा निर्धारित कर दिये जाने चाहिए।
6. विभिन्न स्कन्ध स्तरों का निर्धारण – सामग्रियों के न्यूनतम एवं अधिकतम स्कन्ध स्तरों एवं आर्थिक आदेश मात्रा का निर्धारण कर लेना चाहिए जिससे उपयुक्त समय पर सामग्रियों को क्रय करने के लिए आदेश दिये जा सकें।
7. सामग्री की समुचित संग्रहण व्यवस्था – सभी प्रकार की सामग्रियों के संग्रहण का स्थान व्यवस्था सभी दृष्टिकोणों, जैसे-सामग्री की किस्म, मात्रा, मौसम, सुरक्षा आदि को ध्यान में रखते हुए की जानी चाहिए जिससे सामग्री सुरक्षित रहे तथा आन्तरिक वहन व्यय भी न्यूनतम हो सके।
8. प्रमापित प्रपत्रों का प्रयोग – सामग्री की माँग, क्रय आदेश प्राप्ति निर्गमन, वापसी हस्तानान्तरण आदि के लिए प्रयोग होने वाले प्रपत्रों का प्रारूप निश्चित होना चाहिए।
9. सामग्री का उचित संग्रहण लेखा – सामग्री की प्राप्ति संग्रहण निर्गमन, क्षय, अवशेष आदि के सम्बन्ध में समुचित लेखे रखे जाने चाहिए जिससे कि आवश्यक सूचनाएँ सही समय पर शीघ्रता से प्राप्त की जा सकें।
10. सामग्री की उचित निर्गमन व्यवस्था – सामग्री का निर्गमन व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जिससे कि उत्पादन विभाग को बिना किसी विलम्ब के आवश्यकतानुसार सामग्री उपलब्ध हो सके।
11. आन्तरिक जाँच व्यवस्था – सामग्री भण्डार अर्थात् स्टोर की आन्तरिक जाँच स्वतंत्र एवं ईमानदार व्यक्तियों द्वारा भिन्न-भिन्न समय पर करायी जानी चाहिए। ऐसी जाँच से सामग्री के गबन एवं चोरी की सम्भावनाएँ बहुत कम हो जाती हैं।
भण्डार गृह का संगठन करते समय किन-किन सिद्धान्तों का पालन होना चाहिए- भण्डार गृह की उचित व्यवस्था करते समय निम्नलिखित नियमों का पालन होना चाहिए-
1. पृथक्-पृथक् भण्डार गृहों की व्यवस्था निर्माणी उद्योगों में कई प्रकार की सामग्री प्रयोग की जाती है, उदाहरणार्थ, कच्चा माल (Raw Material), अर्द्ध-निर्मित माल (Semi-Finished Materials), निर्मित माल (Finished Materials), सामान्य संभरण (General Supplies), अतिरिक्त अवयव (Spare Parts) आदि। इन सब प्रकार की सामग्री के लिए पृथक्-पृथक् भण्डार गृहों की व्यवस्था होनी चाहिए। इस प्रकार के विशिष्टीकरण से भण्डारी (Store-keeper) को सामग्री निकालने में सुविधा होने के साथ-साथ सामग्री परिमाण (Quantity) का शीघ्र ज्ञान भी हो जाता है।
2. भण्डार-गृह के लिए स्थान का चुनाव- इस सम्बन्ध में पर्याप्त सावधानी बरतनी चाहिए। जहाँ तक सम्भव हो कच्चे माल का भण्डार गृह संघाई (Foundary) के समीप अर्द्धनिर्मित सामग्री का भण्डार गृह कर्मशाला (Workshop) के समीप, निर्मित सामग्री का ‘भण्डार गृह एकीकरण विभाग (Assembly department) के समीप, कार्यालय संभरण का भण्डार गृह कार्यालय के समीप और अतिरिक्त अवयव का भण्डार गृह यन्त्र घर (Machine shop) के समीप स्थापित किया जाना चाहिए।
3. सांकेतिक संख्या एवं चिन्ह का प्रयोग- भण्डार गृह में रखी गयी विभिन्न प्रकार की सामग्री एवं वस्तु को पहचानने के लिए कुछ सांकेतिक संख्याओं और चिह्नों का प्रयोग किया जाना चाहिए। चिह्न विशेष सामग्री को तथा संख्या उसके आकार व किस्म को सूचित करते हैं। इस प्रकार क्रय-विक्रय विभाग, स्टोर्स-विभाग, उत्पादन विभाग तथा लागत-विभाग के कर्मचारियों को सामग्री का सही विवरण समझने में किसी प्रकार का भ्रम नहीं होता है तथा समय की बचत भी होती है।
4. भण्डार गृह की साज-सज्जा- भण्डार गृह में स्वच्छता, हवा व प्रकाश की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। सामग्री को रखने के लिए आलमारियाँ, बक्से, रैक्स, बोरे आदि की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए।
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