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सामाजिक अध्ययन को परिभाषित कीजिये।
सामाजिक अध्ययन की परिभाषाऐं निम्नलिखित है-
जारोली मैक, “सामाजिक अध्ययन मानव एवं उसके अन्य मानव तथा पर्यावरण के साथ संबंध का अध्ययन करता है।”
मुफात “चाहे कोई व्यक्ति भौतिक शास्त्र या गणित का कितना ही विद्वान हो या कुशल शिल्पी हो, यदि वह अपने साथियों के प्रति व्यवहार में दूरदर्शी नहीं है तो असामाजिक है। जीवन की कला एक ललित कला है और सामाजिक विज्ञान विषय इस कला को समझने में सहायता करता है।”
फोरेस्टर, “सामाजिक अध्ययन, जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट है, समाज का अध्ययन है और इसका मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को उस संसार को समझने में सहायता प्रदान करना है जिसमें उन्हें रहना है ताकि वे उसके उत्तरदायी सदस्य बन सकें। इसका ध्येय विवेचनात्मक चिन्तन तथा सामाजिक परिवर्तन की तत्परता को प्रोत्साहित करना, दूसरी संस्कृतियों के प्रति प्रशंसात्मक दृष्टिकोण रखना तथा यह अनुभव कराना है कि सभी मानव तथा राष्ट्र एक दूसरे पर आश्रित हैं।”
माध्यमिक शिक्षा आयोग – “इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, नागरिक शास्त्र आदि को एक पूर्ण इकाई के रूप में देखना चाहिए। इस एकीकृत स्वरूप की विषय-सामग्री ऐसी हो जो छात्रों को सामाजिक वातावरण में व्यवस्थित कर सके।”
‘यूनाइटेड स्टेट्स आफ ऐजूकेशन’ की बुलेटिन में सामाजिक अध्ययन की परिभाषा, “सामाजिक अध्ययन मानव समाज तथा सामाजिक समूह के एवं सदस्य के रूप में मानव विकास का अध्ययन है।”
सामाजिक अध्ययन का आधुनिक दृष्टिकोण
ई.बी. वेस्ले, “सामाजिक अध्ययन नामक पद उन विद्यालय विषयों की ओर संकेत देता है जो मानवीय सम्बन्धों का विवेचन करते हैं। ……….. यह अध्ययन क्षेत्र, विषयों के एक संघ तथा पाठ्यक्रम के एक खण्ड का निर्माण करता है। यह खण्ड वह है जो प्रत्यक्ष रूप से मानवीय सम्बन्धों से सम्बन्धित है। “
बाइनिंग व बाइनिंग, “सामाजिक अध्ययन की विषय-वस्तु द्वारा एक ऐसा आधार प्रस्तुत किया जाता है जिसके द्वारा छात्रों को अनिवार्य आदतों तथा कुशलताओं में प्रशिक्षित तथा उनमें ऐसी वृत्तियों एवं आदर्शों को विकसित किया जाता है जो बालक तथा बालिकाओं को लोकतन्त्रीय समाज में प्रभावकारी सदस्यों के रूप में उचित स्थान ग्रहण करने योग्य बनायेंगे।”
फोरेस्टर, “सामाजिक अध्ययन शिक्षा के आधुनिक दृष्टिकोण का एक अंश है। जिसका ध्येय तथ्यात्मक सूचनाओं को संग्रहित या एकत्रित करने की अपेक्षा मापदण्डों, वृत्तियों, आदर्शों तथा रूचियों को निर्माण करना है।”
जॉन यू. माइकेलिस ने लिखा है, “सामाजिक अध्ययन का कार्यक्रम मनुष्य तथा अतीत, वर्तमान तथा विकसित होने वाले भविष्य के सामाजिक और भौतिक पर्यावरणों के प्रति उनके द्वारा की गयी पारस्परिक क्रिया का अध्ययन है।”
जेम्स हेमिंग, “सामाजिक अध्ययन के अन्तर्गत हम जिस तथ्य का अध्ययन करते हैं, वह मनुष्य का जीवन है, परन्तु इसका अध्ययन निश्चित स्थान तथा समय के सन्दर्भ में किया जाता हैं सामाजिक अध्ययन में प्रमुख रूप से इन प्रसंगों का अध्ययन किया जाता है- मनुष्य ने अतीत तथा वर्तमान में अपने वातावरण से किस प्रकार संघर्ष किया, उसने अपनी शक्तियों का उपयोग या दुरूपयोग कैसे किया तथा उसने अपने संसाधनों, विकास तथा सभ्यता की आवश्यक एकता को किस प्रकार प्रभावित किया।”
एम.पी.मुफात – “सामाजिक विषय वह क्षेत्र है जो बालकों को आधुनिक सभ्यता के विकास को समझने में सहायक होता है। ऐसा करने के लिए विषय-वस्तु को सामाजिक विज्ञानों व सामाजिक विषयों से सम्बद्ध किया जाता है। “
“सामाजिक अध्ययन वह क्षेत्र है जो युवकों को उस ज्ञान, सूचना तथा क्रियात्मक अनुभवों के द्वारा सहायता प्रदान करता है, जो मूलभूत मूल्यों, वांछित आदतों, स्वीकृत वृत्तियों तथा उन महत्वपूर्ण कुशलताओं के निर्माण के लिए आवश्यक है जिनको प्रभावशाली नागरिकता का आधार माना जाता है।”
एन.सी. ई. आर.टी. के अनुसार, “सामाजिक विज्ञान विषय, मानव तथा उसके सामाजिक और भौतिक वातावरण के प्रति पारस्परिक क्रिया से सम्बन्धित है। “
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