NCF 2005 के अनुसार अन्तअनुशासनात्मक रूप से सामाजिक विज्ञान का शिक्षण किन विषयों पर केन्द्रित होना चाहिए?
सामाजिक विज्ञान का शिक्षण इन विषयों पर केंद्रित होना चाहिए
सामाजिक विज्ञान की परिभाषा करने में किसी भी परिप्रेक्ष्य के अविवादित वक्तव्य के बच निकलने की गुंजाइश रहती है क्योंकि इसमें इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, सामाजिक विज्ञान और मानवविज्ञान से ली गई इसमें अंतर्वस्तुएं शामिल होती हैं। अपने परिपेक्ष्य तथा प्रविधि के साथ ये सभी विषय स्वतंत्र रूप से विकसित हुए हैं। विषयों को खानों में बंटने से रोकने के लिहाज से इनकी सीमाओं को विस्तृत करने तथा समग्रतामूलक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है जिससे विद्यार्थियों में अपनी तथा दूसरों की संस्कृति के प्रति जागरुकता बढ़ाई जा सके तथा बहुलतावादी समाज की समझ, सर्वव्यापी मानवाधिकारों, बाल अधिकारों, लैंगिक संवेदनशीलता, सामाजिक न्याय तथा संविधान में अंतर्निविष्ट सिद्धांतों को प्रोत्साहन दिया जा सके। यह काम बहुविधायी है। जिसकी प्रमुख विशेषता विभिन्न संस्कृतियों के लोगों के बीच समझदारी स्वीकार्यता, सहानुभूति तथा सृजनात्मक एवं सामंजस्यपूर्ण संबंध है।
सामाजिक विज्ञान का शिक्षण इन विषयों पर केंद्रित होना चाहिए-
1. अवधारणा निर्माण, 2. ज्ञान, 3. कौशल तथा क्षमता और 4. मूल्यबोध।
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