सामाजिक विज्ञान व राजनीति विज्ञान को एक अनुशासन के रूप में प्राथमिक कक्षाओं में कक्षा 1 तथा 2 में कैसे सम्मिलित किया जाना चाहिए।
प्राथमिक कक्षाएं
कक्षा 1 तथा 2 में पर्यावरण/समाज विज्ञान के लिए अलग से कोई पाठ्यपुस्तक निर्धारित नहीं है। शुरुआती कक्षाओं में बच्चों के आस-पास के सामाजिक तथा सांस्कृतिक दोनों प्रकार के वातावरण के पर्यवेक्षण कौशल तथा सामान्य समझ के विकास की जरूरत है। इन कक्षाओं में भाषा तथा गणित दो विषय ही पढ़ाए जाते हैं। विद्यार्थियों के साथ संवाद की विधियों पर काफी जोर देने की जरूरत है। प्रयोग की जा रही भाषा पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। भाषा तथा गणित दोनों की पुस्तकों में लैंगिक संवेदनशीलता होनी चाहिए और उनकी विषय-वस्तु उपर्युक्त होनी चाहिए। उन पाठ्यपुस्तकों के चित्रों व आरेखों में आमतौर पर शहर की छवि रहती है जबकि अधिकांश शिक्षार्थी ग्रामीण क्षेत्रों के होते हैं।
आरेखित कार्यस्थलों तथा पोशाकों को वास्तविक जीवन-स्थितियों के आधार पर अलग किया जाता है। भाषा तथा गणित की पाठ्यपुस्तकों में प्रयुक्त भाषा को वातावरण के लिहाज से संवेदनशील होना चाहिए। शिक्षण प्रविधि में कहानी कहना, चित्र, पोस्टकार्ड, संगीत-नृत्य तथा अन्य बाहरी गतिविधियों में जो भी संभव हो, उनकी बहुलता होनी चाहिए। शिक्षकों के लिए अनुदेश पुस्तकें तैयार की जानी चाहिए। शिक्षकों को साथ लेकर आयोजित कार्यशालाओं के दौरान शिक्षकों ने मार्गदर्शी पुस्तकों की आवश्यकता जताई गई है। उनकी मार्गदर्शी पुस्तकों की प्रकृति आदेशात्मक न होकर सुधार का पूरा मौका देने वाली होगी। इस स्तर पर मानसिक विकास हेतु खेल एवं मनोरंजन के माध्यम से बच्चों को ज्ञान प्रदान करना चाहिए। विद्यालय के छात्र-छात्राओं के लिए परिवेश के अनुकूल पर्याप्त खेल सामग्री उपलब्ध करायी जानी चाहिए। बच्चों का परिवार, समाज तथा गांवों के अतीत एवं वर्तमान का बोध कराया जाएं, जिससे छात्र-छात्राओं में अपने परिवेश के इतिहास, भूगोल के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न हो सके।
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