शिक्षा मनोविज्ञान / EDUCATIONAL PSYCHOLOGY

सामान्य प्रवृत्तियों का अर्थ | Meaning of General Tendencies in Hindi

सामान्य प्रवृत्तियों का अर्थ | Meaning of General Tendencies in Hindi
सामान्य प्रवृत्तियों का अर्थ | Meaning of General Tendencies in Hindi

सामान्य प्रवृत्तियों का क्या अर्थ है ? मूलप्रवृत्तियों तथा सामान्य प्रवृत्तियों में क्या अन्तर है ? सामान्य प्रवृत्तियों के मुख्य प्रकार कौन-कौन से हैं?

सामान्य प्रवृत्तियों का अर्थ (Meaning of General Tendencies)

मैक्डूगल ने सुझाव, अनुकरण और सहानुभूति को ‘सामान्य, स्वाभाविक प्रवृत्तियों’ (General Innate Tendencies) की संज्ञा दी है। डमविल ने इनको मानव स्वभाव की सामान्य प्रवृत्तियाँ बताया है। ये जन्मजात होती है और सामान्य रूप से सभी सामान्य परिस्थितियों में सभी व्यक्तियों में पाई जाती हैं।

रेबर्न (Reyburn) के अनुसार- “सामान्य प्रवृत्तियाँ, मूलप्रवृत्तियाँ नहीं हैं। ये विशेष प्रकार का व्यवहार नहीं हैं पर ऐसी विधियाँ हैं, जिनके द्वारा अनेक विभिन्न प्रकार का व्यवहार जाग्रत किया जा सकता है। इसीलिए इनको सामान्य न कि विशिष्ट प्रवृत्तियाँ कहा गया है। दोनों प्रवृत्तियों में से प्रत्येक का अपना स्वयं का विशिष्ट स्वरूप है। इनमें जो सामान्य बात है, वह स्वयं प्रवृत्तियाँ नहीं हैं, वरन् वे प्रतिक्रियाएँ हैं, जिनको वे उत्पन्न करती हैं। “

मूलप्रवृत्तियों तथा सामान्य प्रवृत्तियों में अन्तर (Distinction between Instincts & General Tendencies)

भाटिया (Bhatia) के अनुसार- “मूलप्रवृत्तियों और सामान्य प्रवृत्तियाँ सभी प्राणियों में स्वाभाविक, जन्मजात और सामान्य होती हैं।” फिर भी, दोनों को एक नहीं माना जा सकता है, क्योंकि इनमें निम्नांकित अन्तर मिलता है—

1. मूलप्रवृत्तियाँ विशेष परिस्थितियों में जाग्रत होती हैं। सामान्य प्रवृत्तियाँ किसी भी परिस्थिति में जायत हो सकती हैं।

2. मूलप्रवृत्तियों से एक विशेष प्रकार का संवेग सम्बद्ध रहता है। सामान्य प्रवृत्तियों से कोई संवेग सम्बद्ध नहीं रहता हैं।

3. मूलप्रवृत्तियाँ, व्यवहार की विशिष्ट विधियाँ हैं। सामान्य प्रवृत्तियाँ व्यवहार को जाग्रत करने की विशिष्ट विधियाँ हैं।

ड्रेवर को मूलप्रवृत्तियों और सामान्य प्रवृत्तियों में अन्तर मानने में आपत्ति है। इसका कारण यह है कि कुछ विशेष मूलप्रवृत्तियों में, जैसे—जिज्ञासा, रचनात्मकता और संचय (Curiosity, Constructiveness & Acquisition) में इनसे सम्बन्धित संवेग की अभिव्यक्ति नहीं होती है। अतः मूलप्रवृत्तियों और सामान्य प्रवृत्तियों में केवल मात्रा का अन्तर है, प्रकार का नहीं। इसी आधार पर ड्रेवर का कथन है- “मूलप्रवृत्तियों और सामान्य प्रवृत्तियों में अन्तर पूर्ण नहीं जान पड़ता है।”

“The distinction between instincts and general tendencies does not seem an absolute one.” – Drever : Instinct in Man

सामान्य प्रवृत्तियों के प्रकार (Kinds of General Tendencies)

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, सामान्य प्रवृत्तियाँ मुख्यतः चार प्रकार की हैं, जैसे-

  1. सुझाव :- (Suggestion),
  2. अनुकरण : (Imitation),
  3. सहानुभूति : (Sympathy),
  4. खेल : (Play)

इन प्रवृत्तियों के अतिरिक्त रॉस (Ross) ने “आदत” अथवा “जानी हुई बात को दोहराने की प्रवृत्ति” (“The tendency to repeat to the familiar”) को और डमविल (Dumville) ने “सुख को खोजने और दुःख से बचने की प्रवृत्ति” (“The tendency to seek pleasure and to avoid pain”) को ‘सामान्य प्रवृत्तियों में स्थान दिया है। ये प्रवृत्तियाँ ही मानव-व्यवहार की मूलाधार हैं।

IMPORTANT LINK

Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com

About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment